महाराष्ट्र के औरंगाबाद का राजस्थान के विधानसभा चुनाव से क्या लेना-देना हो सकता है? लेकिन आगे बढ़ने से पहले रुकिए, अगर आपका जवाब भी न है तो फिर वैश्वीकरण और ग्लोबल विलेज के दौर में आप कच्चे खिलाड़ी मालूम होते हैं. सोशल मीडिया की मौजूदगी वाले इस समय में दुनिया बहुत छोटी हो चुकी है. आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हों लेकिन आप अपनी पहुंच से दूर के किसी दूसरे कोने में आसानी से परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
जयपुर में भी यही सामने आया है. राजस्थान हाईकोर्ट में एक गंभीर वाकया हुआ. वाकये को अंजाम देने वालों का न जयपुर से लेना-देना था और न ही राजस्थान हाईकोर्ट से. लेकिन पुलिस की थ्योरी में एक खतरनाक कॉन्सिपिरेसी सामने आई. और अगर ये सच है तो वाकई खतरा अब भयंकर स्तर तक पहुंच चुके होने का अंदाजा लगाया जा सकता है.
हाईकोर्ट के परिसर में 'औरंगाबादी' साजिश
किसी नतीजे का विश्लेषण करने से पहले हमें पूरी घटना को जानना चाहिए. हुआ यूं कि इसी हफ्ते सोमवार को 2 महिलाएं औरंगाबाद से जयपुर स्थित राजस्थान हाईकोर्ट के परिसर में पहुंची. यहां उनका न कोई मामला चल रहा था और न ही कोई दूसरा संबंध ही था. वे गेट से सीधे मनु की मूर्ति के पास पहुंची. उनके हाथों में काले रंग से भरा स्प्रे था. मूर्ति की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि महिलाएं आसानी से उस तक नही पहुंच सकती थी. लिहाजा उन्होने वो तरकीब अपनाई, जो निश्चित रूप से पहले से सोची गई होगी और हो सकता है कहीं उसकी रिहर्सल भी की गई हो.
मूर्ति के पास पहुंचकर एक महिला दूसरी के कंधे पर चढ़ गई और मनु की मूर्ति पर काले रंग से स्प्रे करने लगी. ये सब इतना अचानक हुआ कि हर किसी को समझने में वक्त लग गया. इस दौरान उनका एक साथी अपने स्मार्ट फोन से पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाता रहा.
इसे देखते ही सुरक्षाकर्मी हरकत में आए और दोनों महिलाओं को पकड़ लिया गया. हालांकि इस हड़बड़ाहट में उनका साथी मौके से फरार हो गया. हाईकोर्ट प्रशासन की तरफ से इस संबंध में अशोक नगर थाने में मामला दर्ज कराया गया. मनु की मूर्ति को काले रंग से रंगने की वजह इन्होने उनके प्रति नफरत बताई. लेकिन एक और सवाल हाईकोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था से भी जुड़ा है. 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के बम धमाकों से पहले भी जयपुर में सुरक्षा व्यवस्था की पोल कुल चुकी है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल उपमन और महासचिव संगीता शर्मा घटना को गंभीरता से लेने की मांग की है.
मुस्लिम युवक की हिंसा फैलाने की साजिश !
हाईकोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था अपनी जगह है और इसकी फिक्र होनी भी चाहिए. लेकिन फिलहाल जो कहानी निकल कर आ रही है, वो बहुत ही हैरतअंगेज है और खौफनाक भी. दोनों गिरफ्तार महिलाओं ने काला रंग डालने के पीछे वजह मनु से नफरत बताई है. लेकिन रोंगटे खड़े कर देने वाली वजह है, इनके औरंगाबाद से जयपुर पहुंचने की कहानी.
महिलाओं की निशानदेही पर मास्टरमाइंड मोहम्मद अब्दुल शेख दाऊद को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. अशोक नगर एसीपी दिनेश शर्मा के मुताबिक ये पूरी साजिश चुनाव के समय राजस्थान में जातीय हिंसा फैलाने की साजिश है. मोहम्मद दाऊद महाराष्ट्र के आजाद नगर का रहने वाला है. गिरफ्तार दोनों महिलाओं समेत वह कुल 6 लोगों को जयपुर लेकर आया था. ये लोग औरंगाबाद में मजदूरी करते हैं. इनके रेल किराए से लेकर होटल में रुकने तक का पूरा खर्च दाऊद ने ही उठाया.
दाऊद ने मूर्ति पर काला रंग डालने का पूरा वीडियो भी बनाया था. पुलिस इस जांच में भी जुटी है कि ये वीडियो किस-किस को भेजा गया है. पुलिस के मुताबिक इसके पास से विदेशों से फंडिंग के दस्तावेज और दूसरे आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं. पुलिस मान रही है कि ये अकेले इसकी साजिश नहीं हो सकती, लिहाजा उसके राजनीतिक कनेक्शन भी खंगाले जा रहे हैं.
मूर्ति को लेकर पुराना है विवाद !
मनु भारत में विधि के आदिपुरुष माने जाते हैं. एक बड़ा वर्ग उनकी लिखी मनुस्मृति को तत्कालीन समाज की स्थिति और विधि का स्रोत बताता रहा है. हालांकि आजादी के पहले से ही ये विवादों में, विशेषकर दमित वर्गों के निशाने पर भी रही हैं. राजस्थान हाईकोर्ट में इस मूर्ति को हटाने को लेकर 29 साल से एक याचिका भी विचाराधीन है. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इस मूर्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर धमकियां भी मिली थी. इसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
1989 में राजस्थान उच्चतर न्यायिक अधिकारी एसोसिएशन ने एक गैर सरकारी संगठन की सहायता से ये मूर्ति लगवाई थी. उसी साल हाईकोर्ट ने इसे हटाने का फैसला भी किया था. हालांकि, तब विश्व हिंदू परिषद के आचार्य धर्मेंद्र और धर्मपाल आर्य ने मूर्ति को हटाने के खिलाफ याचिका दायर की थी. इसके बाद जस्टिस एम.बी शर्मा ने मामला बड़ी पीठ को भेजते हुए फैसला आने तक स्टे लगा दिया था.
बहरहाल, राजस्थान बार काउंसिल के सदस्यों ने मंगलवार को मूर्ति की पूजा कर दुग्धाभिषेक किया है. लेकिन इस घटना और वकीलों के दुग्धाभिषेक के बाद राजनीति गरमाने लगी है. दलित अधिकार संगठन ने मनु की मूर्ति हटाने को लेकर अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी है. इनका कहना है कि मनुवाद को हटाकर ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना हो सकती है. यानी पुलिस की थ्योरी अगर सही है तो जातीय विद्वेष बढ़ने की आशंका से पूरी तरह इनकार भी नहीं किया जा सकता.
राजस्थान को सुलगाने की लगातार हो रही साजिश
पिछले कुछ समय से विशेषकर इस चुनावी साल की शुरुआत के साथ ही राजस्थान में जातीय भावनाओं को भड़काने का काम हर तरफ से किया जा रहा है. 2 अप्रैल की एससी/एसटी की रैली में हुई हिंसा के बाद से लगातार सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज वायरल किए जा रहे हैं. गुजरात के कांग्रेस समर्थित विधायक जिग्नेश मेवाणी के राजस्थान में दौरे भी अचानक ही बढ़ गए हैं. उनके भड़काऊ भाषणों को देखते हुए पिछले दिनों नागौर और अलवर में उनकी कुछ सभाओं पर रोक भी लगाई गई.
जयपुर के गोपालपुरा बाईपास का नामकरण भगवान परशुराम के नाम पर किए जाने को भी मुद्दा बनाया जा रहा है. नगर निगम ने हाल ही में इस रोड के नाम के लिए सुझाव मांगे थे. बताया जा रहा है कि चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ की सिफारिश पर ये नामकरण किया गया है. ब्राह्मण संगठनों ने इस संबंध में सराफ को धन्यवाद देने वाले होर्डिंग भी लगाए. कुछ महीनों पहले गोपालपुरा के पास ही महेश नगर के पार्क का नाम डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा गया था. उस समय कई ब्राह्मण संगठनों ने विरोध जताया था. अब परशुराम के नाम का विरोध दलित संगठन कर रहे हैं.
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