महाराष्ट्र में आयोजित होने जा रहे मराठी भाषा के सबसे बड़े कार्यक्रम अखिल भारतीय मराठी साहित्य सभा के आयोजकों ने लेखिका नयनतारा सहगल को भेजा गया आमंत्रण वापस ले लिया था. नयनतारा को '92वें साहित्य सभा सम्मेलन' के उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. माना जा रहा था कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन के आयोजकों को नयनतारा को भेजा गया निमंत्रण वापस लेने की धमकी दी थी. कार्यकर्ताओं का कहना था कि नयनतारा चूंकि अंग्रेजी की लेखिका हैं, कार्यक्रम का उद्धघाटन किसी मराठी साहित्यकार द्वारा ही किया जाना चाहिए.
एनडीटीवी की खबर अनुसार निमंत्रण वापस लेने से पहले नयनतारा 11 जनवरी को होने जा रहे 92वें साहित्य सभा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शामिल होने वाली थी. अब आयोजकों द्वारा सहगल का निमंत्रण वापस लेने की खबरों के बीच एमएनएस के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी को नयनतारा के आने से कोई दिक्कत नहीं है. ठाकरे ने इसके साथ ही होने वाली किसी भी तरह की दिक्कत पर माफी भी मांगी. ठाकरे ने कहा, 'जब उनकी (नयनतारा सहगल की) उपस्थिति में, हमारी गहन संस्कृति और परंपराएं सामने आएंगी, तो वह हमारी संस्कृति को दुनिया के बाकी हिस्सों में प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेंगी. हमें नयनतारा सहगल से कोई आपत्ति नहीं है और हम उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं.'
The official stand of Maharashtra Navanirman Sena regarding the ongoing controversy pertaining to the presence of acclaimed writer Nayantara Sahgal at the 92nd Akhil Bhartiya Marathi Sahitya Sammelan pic.twitter.com/uQQx6u2V4o
— Raj Thackeray (@RajThackeray) January 7, 2019
ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं पर भी नाराजगी जताई. कार्यकर्ताओं ने आयोजकों से कहा था कि अगर कार्यक्रम का उद्धघाटन उन्होंने किया तो वह कार्यक्रम होने नहीं देंगे. कई लेखकों ने प्रतिष्ठित लेखक के निमंत्रण को रद्द करने के फैसले की निंदा की.
'अवॉर्ड वापसी' मुहिम की अगुवाई करने वालों में शामिल थीं सहगल
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, 'महाराष्ट्र जो एक नब्बे वर्षीय महिला लेखक के शब्दों से डरता है, वह महाराष्ट्र गोडसे और उसके आकाओं का है, न कि अंबेडकर, फुले, गोखले या तिलक का .' मुंबई कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने आरोप लगाया कि यह सत्तारूढ़ बीजेपी के इशारे पर किया गया है. उन्होंने कहा, 'आयोजकों का फैसला बीजेपी के इशारे पर लिया गया था, मनसे सिर्फ एक मोर्चा है. राजनीति से पहले साहित्य को आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए. यदि सरकार लेखकों से डरती है, तो इसका मतलब है कि उसके दिन खत्म हो गए हैं.'
The Maharashtra that fears the words of a ninety one year old woman writer is the Maharashtra of Godse and his mentors, not the Maharashtra of Ambedkar, Phule, Gokhale or Tilak: https://t.co/kOwqpW7HH1
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) January 7, 2019
सहगल 2015 के दौरान हुई 'अवॉर्ड वापसी' मुहिम की अगुवाई करने वालों में शामिल रही थीं. सहगल नेहरू-गांधी परिवार की सदस्य हैं और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भतीजी हैं.
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