दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने राफेल मामले पर बड़ा बयान दिया है. नेटवर्क18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'सरकार की तरफ से अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को चुनने के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया था.'
उन्होंने कहा, 'अनिल अंबानी 30 पार्टनर्स में एक थे. अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को इसलिए चुना क्योंकि उनके पास नागपुर के नजदीक जमीन थी.' ट्रेपियर ने एक इंटरव्यू में यह भी कहा है कि अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप के साथ दसॉ एविएशन का जॉइंट वेंचर राफेल लड़ाकू विमान करार के तहत करीब 10 फीसदी ऑफसेट निवेश का ही प्रतिनिधित्व करता है.
ट्रेपियर ने कहा, हम करीब 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं जिनमें करीब 30 ऐसी हैं, जिनके साथ हमने पहले ही साझेदारी की पुष्टि कर दी है. जब ऑफसेट के बारे में पूछा गया तो ट्रेपियर ने कहा कि भारतीय कानून (रक्षा खरीद प्रक्रिया) के अनुसार ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि भारतीय रेगुलेशन के अनुसार ऑफसेट का चुनाव करना हमारा काम है.
गौरतलब है कि कांग्रेस इस सौदे में में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए प्रति राफेल तय हुई थी. कांग्रेस दसॉ के ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस डिफेंस के चयन को लेकर भी सरकार को निशाना बना रही है.
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