क्रिकेट की दुनिया नवजोत सिंह सिद्धू को छक्का मारने की उनकी काबिलियत के लिए याद करती है. बैट-बॉल को बाय-बाय कहने के बाद उन्होंने जब टेलीविजन की पिच पर पारी शुरू की तब बैट का काम उन्होंने अपनी जुबान से लिया.
बात-बात पर शेर पढ़कर और चुस्त जुमलों की फुलझड़ी फोड़कर वे अपने-देखने सुनने वालों को वैसे ही चौंकाते रहे जैसे कभी गेंदबाजों की उछाल भरी गेंदों को बाउंड्री के पार उछालते थे.
और, आज जब ‘सिक्सर सिद्धू’ लंबी राजनीतिक पारी खेलने के इरादे से पंजाब की सरकार में मंत्री बनकर सियासत के मैदान में हैं तो अब भी उनके मंत्रालय का काम-काज सूबे के लोगों के लोगों के छक्के छुड़ा देने के अंदाज में चल रहा है.
सिद्धू के मंत्रालय की नई कवायद
अब छक्के तो किसी के भी छूट जाएंगे अगर पता चले कि घर में म्याऊं सुनने की हसरत से आपने बिल्ली पाल रखी है तो आपको सरकारी खजाने में टैक्स भरना पड़ेगा या फिर अपने खजाने की रखवाली के लिए आप ‘डॉगी’ पालने का शौक फरमाते हैं तो फिर सरकारी खजाने में इस शौक के लिए टैक्स जमा करना पड़ेगा.
इंसान का इंसान से हो या फिर इंसान का जानवरों से- प्यार पर पहरेदारी का कायल कम से कम पंजाब तो कभी नहीं रहा, पंजाब की धरती तो पहरेदारियों को तोड़कर प्यार करने की गवाह रही है लेकिन इस उलटबांसी का क्या कीजिएगा कि पंजाब सरकार में नवजोत सिंह सिद्धू के मंत्री रहते यह खबर उड़ी है कि उनका मंत्रालय (लोकल गवर्नमेंट) म्युनिसिपल इलाके में पालतू जानवर रखने वालों पर टैक्स लगाने की जुगत भिड़ा रहा है.
बीते 24 अक्तूबर को छपी एक खबर के मुताबिक पंजाब सरकार ने एक अधिसूचना के जरिए कहा कि पालतू जानवर रखने वाले लोगों को इस एवज में टैक्स भरना होगा. खबर में सरकारी अधिसूचना के हवाले से लिखा गया है कि जिन पंजाबवासियों के पास कुत्ता, बिल्ली, सुअर, भेड़ या हिरण जैसे पालतू जानवर हैं उन्हें सालाना 250 रुपए का टैक्स भरना होगा जबकि गाय, भैंस, हाथी और ऊंट जैसे बड़े जानवर पालने वाले पंजाबवासी के लिए टैक्स की यह रकम सालाना 500 रुपए रखी गई है.
सिद्धू के मंत्रालय पर मजीठिया का बाउंसर
पालतू जानवरों के एवज में टैक्स अदायगी की बात कहने वाली अधिसूचना की खबर के फैलने के बाद पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के महासचिव बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि सिद्धू सरीखे ‘खास काबिलियत’ के लोग ही ऐसे ‘खास टैक्स’ लगा सकते हैं जिसमें सूबे के शहर और कस्बों में रहने वाले लोगों को दुधारू या फिर पालतू पशुओं के रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसे देने हों या फिर सालाना नवीकरण के नाम पर भी कुछ रकम चुकानी पड़े.
अब यह तो नहीं कहा जा सकता कि पंजाब की सरकार शिरोमणि अकाली दल के महासचिव की आलोचना से सिद्धू का मंत्रालय घबड़ा गई और उसने आनन-फानन में अपना फैसला वापस ले लिया लेकिन सरकार को मामले पर स्पष्टीकरण देने के लिए जरूर मजबूर होना पड़ा.
नवजोत सिंह सिद्धू के प्रभार में चल रहे स्थानीय शासन विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल पंजाब के शहरी इलाके में पालतू पशु और दुधारू जानवर पालने वाले लोगों पर टैक्स लगाने की मीडिया में उड़ी बात गलत है, सरकार ने ऐसा कोई टैक्स नहीं लगाया है. हां, सरकार आवारा घूमने वाले जानवरों पर अंकुश लगाने और उनके काटने से होने वाले नुकसान की भरपाई से संबंधित ‘पंजाब म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एंड म्युनिसिपल (रजिस्ट्रेशन कंट्रोल ऑफ स्ट्रे एनिमल्स् एंड कंपेनसेशन टू द विक्टिम ऑफ एनिमल अटैक) बायलॉज’ तैयार करने की प्रक्रिया में जरूर है.
प्रवक्ता के मुताबिक ऐसा पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश से किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा है कि लोगों को आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों के काटने से बचाने के लिए और ऐसे जानवरों की चपेट में आए लोगों को मुआवजा देने के लिए सरकार को एक नई नीति बनानी होगी.
लेकिन कहावत है ना कि बिना आग के धुआं नहीं उठता सो पंजाब के स्थानीय शासन विभाग के प्रवक्ता चाहे जो ओट लें लेकिन पालतू जानवरों के मालिकों पर टैक्स लगाने की खबर मीडिया में यों ही नहीं उड़ी. आधी-अधूरी ही सही लेकिन खबर में सच्चाई जरूर थी.
आखिर पूरा माजरा क्या है
अगर कोई कहे कि पंजाब सरकार के स्थानीय प्रशासन विभाग ने पालतू जानवर रखने पर टैक्स चुकाने की बात ना तो सोची है ना ही आधिकारिक तौर पर इसके लिए कोई कवायद की है तो ऐसा कहना गप्प ही होगा.
मिसाल के लिए भठिंडा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के एक आदेश पर गौर किया जा सकता है. पंजाब के एक मशहूर अखबार में 10 अक्तूबर को छपी खबर के मुताबिक भठिंडा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने शहरवासियों से कहा है कि उन्हें अपने घर में जानवर रखने हैं तो इसकी सूचना नगरनिगम को देनी होगी और सालाना शुल्क चुकाकर उस जानवर का पंजीकरण कराना जरूरी होगा.
खबर में यह भी कहा गया कि पंजाब सरकार का स्थानीय प्रशासन विभाग ‘पंजाब म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एंड म्युनिसिपल (रजिस्ट्रेशन कंट्रोल ऑफ स्ट्रे एनिमल्स् एंड कंपेनसेशन टू द विक्टिम ऑफ एनिमल अटैक) बायलॉज’ कानून पर अमल करने की प्रक्रिया में है और इसके तहत जारी आदेश का पालन करते हुए भठिंडा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने ऐसा कदम उठाया है क्योंकि आदेश सूबे के हर जिले में भेजे गए हैं.
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‘बायलॉज’ मे पालतू जानवरों पर आयद टैक्स के बारे में क्या कहा गया है इसकी भी झलक खबर से मिल जाती है. खबर में बताया गया है कि भठिंडा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में छोटे जानवरों के रजिस्ट्रेशन के लिए सालाना 250 रुपए लिए जायेंगे और बड़े जानवरों के लिए 500 रुपए. जानवरों के रजिस्ट्रेशन के सहारे पता किया जा सकेगा कि किसी शहर में कितने पालतू जानवर हैं और पालतू जानवर के कारण कोई नुकसान होता है तो उसके मालिक से इसका हर्जाना भी वसूला जा सकेगा जो कि ‘बायलॉज’ में शामिल है.
कोर्ट की सिफारिश से है सीधा रिश्ता
दरअसल 2015 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज आर के गर्ग की अध्यक्षता में एक समिति बनाई. समिति चंडीगढ़ शहर में आवारा कुत्तों के कारण हो रही परेशानी का निदान सुझाने के लिए बनाई गई थी.
जस्टिस गर्ग की समिति ने सुझाव दिया कि पंजाब म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट 1976 के तहत आवारा कुत्तों के काटे का शिकार हुए लोगों को मुआवजा देना चंडीगढ़ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की जिम्मेवारी है. चंडीगढ़ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की सोच रही कि एक्ट में कुत्ते के काटे का शिकार हुए लोगों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी तो नहीं बनती, हां ऐसे कुत्तों की संख्या ना बढ़े इसके लिए स्टेरेलाइजेशन करना जरूर कॉर्पोरेशन का जिम्मा है.
लेकिन कोरपोरेशन ने उस घड़ी यह जरूर माना था कि आवारा कुत्ता तो नहीं लेकिन पालतू कुत्ता किसी व्यक्ति को म्युनिसिपल इलाके में काटता है तो मुआवजा देने की जिम्मेदारी कॉर्पोरेशन की बनती है. इसी नुक्ते से हाईकोर्ट की बनाई समिति के अध्यक्ष ने कहा था कि चंडीगढ़ में पालतू कुत्तों की तादाद 20 हजार से ज्यादा है लेकिन पंजीकरण सिर्फ 5,000 कुत्तों का है. ऐसे में कोई पालतू कुत्ता किसी शहरवासी को काटता है और उसका मालिक कह दे कि मेरे कुत्ते ने नहीं काटा तो मालिक से हर्जाना कैसे वसूला जा सकता है ?
कोर्ट की समिति ने सिफारिश चंडीगढ़ म्युनिसपल कॉर्पोरेशन को ध्यान में रखकर की थी और अनुमान लगाया जा सकता है कि फिलहाल उस सिफारिश को ही ध्यान में रखकर पंजाब सरकार का स्थानीय शासन विभाग ‘बायलॉज’ लागू करने की प्रक्रिया में है. समिति ने सिर्फ पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन और आवारा कुत्तों के काटे के शिकार लोगों को मुआवजा देने के संबंध में सिफारिश रखी थी जबकि नए बायलॉज में इसका दायरा बढ़ाकर शहरी इलाके में रखे गए तमाम छोटे-बड़े पालतू जानवरों को शामिल कर लिया गया है.
साल 2012 की पशुगणना में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, खच्चर, गधा और ऊंट जैसे पालतू जानवरों की कुल संख्या अस्सी लाख (8117101) से ज्यादा बतायी गई है. तेज शहरीकरण वाले पंजाब में इनमें से बहुत से पालतू जानवर(जैसे गाय, और भैंस) व्यावसायिक कारणों से म्युनिसिपल इलाके में पाले जाते हैं. अगर टैक्स लगता है तो निश्चित ही सरकार पशुपालकों की नाराजगी झेलेगी.
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