स्कूल में आदिल अहमद दार शर्मीला और अंतर्मुखी यानी खुद में ही सीमित में रहने वाला छात्र था. बमुश्किल ही वो खेल या किसी गतिविधि में शामिल होता था. उसके एक दोस्त ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वो औसत छात्र था. हमेशा क्लासरूम में अकेला रहता था. 12वीं क्लास के बाद उसने पढ़ाई बंद कर दी थी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मार्च 2018 में वह जैश-ए मोहम्मद में शामिल हो गया.
हमले से पहले बनाया था वीडियो
300 किलो विस्फोटक के साथ एसयूवी गाड़ी को सीआरपीएफ के काफिले से टकरा देने से पहले उसने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था. इसमें उसने युद्ध का एक किस्म से महिमामंडन किया था. वीडियो संदेश से साफ होता है कि जैश-ए मोहम्मद किस निर्दयता के साथ काम करता है और कैसे उसने गांव के एक शर्मीले के बच्चे को मानव बम में तब्दील कर दिया.
हमले के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दार ने कहा था, ‘हमारे लोगों को सलाम, जिन्होंने भारतीयों की ताकत के सामने समर्पण नहीं किया. हम आपसे अत्याचार रोकने के लिए रहम की भीख नहीं मांग रहे हैं. हम वो हाथ तोड़ देंगे, जो हम पर अत्याचार क लिए उठेंगे. यह कदम मसूद अजहर के भतीजे की हत्या के खिलाफ बदला है.’
सुरक्षा संस्थानों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह हमला काफी कुछ कहता है. कैसे जैश इस मामले में अपनी रणनीति बदल रहा है. सुरक्षा बलों ने पिछले कुछ सालों में 250 से ज्यादा आतंकी मारे हैं. इसमें तमाम संगठनों के टॉप कमांडर्स शामिल हैं.
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सुरक्षा बलों ने जला दिया था घर
दार उर्फ वकास दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में काकपोरा गांव के गांदी बाग का निवासी था. वह 21 मार्च, 2018 को जैश के साथ जुड़ा. उसके साथ कुछ और कश्मीरी युवक थे. आरोप है कि सुरक्षा बलों ने जैश के साथ जुड़ने के बाद पिछले साल जून में कई घर जला दिए, जिसमें उसका घर भी शामिल था.
हमले के बाद सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के बहुत से गांवों में सघन जांच शुरू की है. लेकिन नुकसान तो हो ही गया. पिछले तीन दशक में इस तरह का यह दूसरा हमला है. सुरक्षा बलों को नुकसान के मामले में यह यकीनन सबसे बड़ा हमला है.
जिस तरह हमले की योजना बनी और इसकी तामील की गई, वो यकीनन एजेंसियों के लिहाज से बड़ी सुरक्षा चूक है. यह बात जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी स्वीकारी है. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास इंटेलिजेंस इनपुट थे, लेकिन चूक की वजह से हम उस गाड़ी का पता नहीं कर पाए, जिसमें विस्फोटक भरे हुए थे.’
कहां से आए इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक, सुरक्षा एजेंसियां भी हैरान
हमला और विस्फोट श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर हुआ, जो राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर है. पूरे देश में सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाला हाइवे है यह. जैश के साथ जितने आतंकी जुड़े हैं, उसकी वजह से यह हमला सुरक्षा एजेंसियों को बिल्कुल हतप्रभ कर गया है.
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘दक्षिण कश्मीर में इंटेलिजेंस की स्थिति पिछले कुछ साल में बहुत मजबूत हुई है. इसके बावजूद गाड़ी में विस्फोटक भरने और विस्फोट करने का काम जैश ने किया है. यह चिंताजनक है. विस्फोटक कहां से लाए गए. इन्हें एक साथ कैसे रखा गया, इसकी जांच करने के बाद ही मामले की तह तक पहुंचा जा सकता है.’
चिंता की बात यह भी है कि पिछले साल मारे गए 250 और उससे पहले 29 साल में मारे गए हजारों आतंकी जो नहीं कर पाए, वो काम दार ने किया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक शहीद हुए 42 जवानों में ज्यादातर छुट्टी से लौटे थे. वे 78 गाड़ियों के काफिले का हिस्सा थे, जो करीब 2,500 जवानों के साथ जा रहा था.
मसूद अजहर को छोड़ने का पछतावा
मसूद अजहर ने जनवरी 2000 में जैश का गठन किया था. 1999 में उसे कंधार विमान अपहरण के मामले में छोड़ा गया था. उसे छोड़ने के बाद कश्मीर समस्या ने एक अलग रुख ले लिया था. कलाश्निकोव के साथ दिखने वाले लोगों की जगह फिदायीन दस्ता लेने लगा था.
कई साल की खामोशी के बाद जैश ने 2013 के अंत में वापसी की, जब मसूद अजहर ने 2001 संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की कहानी आईना उसके मरने के बाद रिलीज की. 240 पेज की इस किताब में जैश प्रमुख ने अफजल गुरु की तारीफ की और भारत सरकार पर इस बात के लिए हमला बोला कि उसने अफजल को बेरोजगार, चेन स्मोकर युवा के तौर पर पेश किया, जिसे मामूली कीमत पर खरीदा जा सकता था. उसकी मौत के एक साल पूरे होने पर अफजल गुरु स्क्वॉड नाम का आउटफिट बनाया गया. इस स्क्वॉड ने पूरे कश्मीर और बाहर भी अफजल गुरु के नाम पर हमले करने शुरू किए.
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने गुरुवार को यह कहा कि अगर पुलिस की तरफ से कोई चूक हुई है, तो सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, ‘अभी कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी. लेकिन हमें भी समझ नहीं आ रहा कि इन लोगों ने कैसे इस घटना को अंजाम दिया. इतना ज्यादा विस्फोटक यहां ला पाना असंभव है.’
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