गुरुवार को कश्मीर के पुलवामा इलाके में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हुए आत्मघाती हमलों में 42 से अधिक वीर जवानों को खो देने के बाद जहां एक तरफ देश का कोना-कोना ग़मज़दा है, वहीं दूसरी तरफ देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी भी अपने एक सपूत को खोने का दुख में शोकाकुल है.
वाराणसी जिला मुख्यालय से लगभग बीस किलोमीटर दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के तोफापुर गांव में आज मरघट जैसा सन्नाटा है. रह-रह कर गांव वालों की आंखें श्याम नारायण के घर की तरफ आती मीडिया कर्मियों और उनके रिश्तेदारों की गाड़ियों और वाहनों को देख कर स्थिर हो जाती हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को आतंकी हमले में शहीद होने वालों में वाराणसी जिले के चौबेपुर क्षेत्र के सीआरपीएफ की 61 बटालियन के जवान तोफापुर के सपूत रमेश यादव (26) भी हैं.
रमेश के बूढ़े पिता किसान श्याम नारायण, बेटे के मरने के समाचार सुनने के बाद से लेकर अब तक कई बार गश खाकर जमीन पर गिर चुके हैं और उनकी पुत्रवधु रेनू घंटों तक अचेत रहने के बाद अब बेसुध सी पड़ी हुई हैं. रिश्तेदारों को अपनी तरफ आते देख कर उनके आंसू रह रह कर बाहर आ जा रहे हैं और वातावरण में अजीब सी खामोशी पसरी हुई है.
मौत आने के कुछ घंटे पहले तक लेते रहे घर की खोज खबर
Varanasi: Family and relatives of CRPF personnel Ramesh Yadav who lost his life in #PulwamaTerrorAttack yesterday, mourns his death. pic.twitter.com/3qhjdX6bte
— ANI UP (@ANINewsUP) February 15, 2019
एक महीने की छुट्टी घर पर बिताने के बाद रमेश देश की सीमा की सुरक्षा के लिए 12 फरवरी को घर से रवाना हुए थे. पति की मृत्यु के बाद अचेत हुई उनकी पत्नी रेनू होश में आने पर बार-बार एक ही बात दोहरा रही हैं कि उनके पति सीआरपीएफ में तैनात रमेश यादव ने उनको घर से जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना होने के बाद रास्ते से फोन किया था.
बिलखते हुई बार-बार यही कहती हैं, 'हमसे फोन पर कहे थे कि बेटे के साथ ही पिता और परिवार के लोगों का ध्यान रखना. हम सरहद पर देश की हिफाजत करेंगे और तुम अच्छे से घर-परिवार को संभालना, अब किसके सहारे जिएंगे हम और हमारा बेटा?'
रेनू चीख चीख कर कहती हैं, 'अब हम किसको देखें ? किसको संभालें? हे भगवान ये क्या किया? हमने किसी का क्या बिगाड़ा था? हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ?
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रमेश तीन साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे, और पांच साल पहले रमेश का विवाह रेनू से हुआ था. रमेश के परिजन हमें बताते हैं कि दो भाइयों में रमेश छोटा था, रमेश के बड़े भाई राजेश कर्नाटक में दूध का व्यवसाय करते हैं, रमेश के पिता श्याम नारायण घर पर रह कर खेती-किसानी का काम करते हैं.
रमेश के घर पर वृद्ध माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी रेनू और डेढ़ साल का बेटा है. गुरुवार की रात आठ बजे बटालियन मुख्यालय से फोन पर रमेश के शहीद होने की जानकारी मिलने के बाद गाँव में कोहराम मच गया. गांव के ग्रामीण देर रात तक रमेश के घर के बाहर जमे रहे और एक दूसरे को ढांढस देते रहे कि शायद सूचना गलत निकल जाए.
तोफापुर गांव के प्रधान लालमन यादव हमें बताते हैं, 'रमेश की शहादत ने हमारे गांव का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है. शहादत बेकार नहीं जाएगी, इस बार कड़ी निन्दा से काम नहीं चलेगा. सरकार और सेना को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.'
गौरतलब है कि पुलवामा में हुए हमलों में शहीद होने वालों में उत्तर प्रदेश के भी 12 जवान शामिल हैं. यह खबर लिखे जाने तक जिले का कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी रमेश के परिजनों से मिलने गांव में नहीं पहुंचा था. तोफापुर गांव चंदौली लोकसभा और वाराणसी जिले की शिवपुर विधानसभा का हिस्सा है.
इस इलाके के विधायक अनिल राजभर उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री भी हैं और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय यहां से सांसद हैं. मीडिया का जमावड़ा होने के बाद तोफापुर में अनिल राजभर के पहुंचने की सूचना मिली है और बताया जा रहा है कि उन्होंने शहीद के परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है.
पूर्वांचल के चंदौली जनपद के ही पड़ाव क्षेत्र के बहादुरपुर गांव निवासी अवधेश यादव उर्फ दीपू भी पुलवामा हमले में शहीद हुए हैं. बहादुरपुर गांव के हरिकेश यादव के चार बेटे बेटियों में अवधेश सबसे बड़े थे और वे वर्ष 2006 में सीआरपीएफ की 145वीं बटालियन में भर्ती हुए थे.
उनके परिवार में पिता के अलावा मां मालती देवी हैं जो कैंसर से पीड़ित हैं, दो बहनों की शादी हो चुकी है. छोटा भाई बृजेश यादव पढ़ाई कर रहा है. अवधेश का विवाह चंदौली के सैयदराजा के पूरवा गांव निवासी जनार्दन यादव की बेटी शिल्पी के साथ हुआ था, उनका एक बेटा निखिल अभी मात्र 3 साल का है. शुक्रवार सुबह पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल और कोतवाल शिवानंद मिश्रा शहीद अवधेश के घर पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया.
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इस बीच प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के आदेश के बाद शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों व पुलिस कर्मियों ने दो मिनट का मौन रखकर पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धाजंलि दी.
Lucknow: DGP UP, OP Singh observed two-minute silence to pay homage to the CRPF personnel who lost their lives in #PulwamaAttack yesterday. pic.twitter.com/GGHxwJbDkw
— ANI UP (@ANINewsUP) February 15, 2019
पुलिस महानिदेशक कार्यालय में डीजीपी ओपी सिंह ने अपने साथी पुलिस कर्मियों के साथ दो मिनट का मौन रखकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एवं अन्य पुलिस अधीक्षकों समेत अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अलग अलग पुलिस कार्यालयों में अपने सहयोगी पुलिस कर्मियों के साथ दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धाजंलि दी है.
इसके अलावा प्रदेश भर के सभी क्षेत्राधिकारी कार्यालय, थाना और पुलिस चौकियों में भी तैनात पुलिस कर्मियों ने दो मिनट का मौन रख कर वीर जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं. उत्तर प्रदेश के अन्य कई सरकारी विभागों में भी पुलवामा में शहीद हुए जवानों की शहादत को सलाम करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई है.
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