दिल्ली में धरना और प्रदर्शन का पर्याय बन चुके जंतर मंतर पर एनजीटी के निर्देश के बाद से ऐसे आयोजनो पर रोक लगा दी गई थी. इस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश देते हुए कहा कि यह रोक हमेशा के लिए नहीं लगाई जा सकती. इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इन स्थानों पर प्रदर्शनों को मंजूरी देने के लिए दिशा निर्देश तैयार करे.
जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि विरोध प्रकट करने और शांतिपूर्ण तरीके से रहने के नागरिकों के अधिकार में टकरावों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. पीठ ने मजदूर किसान शक्ति संगठन की याचिका पर अपने फैसले में कहा, 'जंतर मंतर और बोट क्लब जैसे स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.'
एनजीटी के आदेश के बाद लगा था प्रतिबंध
नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) ने पिछले साल पांच अक्टूबर को जंतर मंतर और बोट क्लब जैसे स्थानों पर विरोध प्रदर्शन और धरना के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. एनजीटी का कहना था कि इस तरह की गतिविधियों से पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन होता है. इसके बाद एनजीटी ने रामलीला मैदान को धरना प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थल के तौर पर इस्तेमाल करने को कहा.
केजरीवाल ने किया कोर्ट के निर्देश का स्वागत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रदर्शनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली को पुलिस राज्य में परिवर्तित करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरनाक था. 'मैं मध्य दिल्ली में प्रदर्शन के अधिकार को बनाए रखने संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं.'
(भाषा से इनपुट)
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