प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की लिखी किताब 'मूविंग आन मूविंग फारवर्ड, ए इयर इन ऑफिस' का विमोचन किया. विमोचन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य बड़े मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया. कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति को किताब की शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किताब केवल नायडू जी के एक साल के कार्यकाल का ब्योरा नहीं है. बल्कि यह एक फैमिली एलबम की तरह है. जिसमें हम भी कहीं न कहीं हैं.
Delhi: PM Narendra Modi and former PM Dr.Manmohan Singh at the launch of Vice President Venkaiah Naidu's book “Moving On… Moving Forward: A Year in Office” pic.twitter.com/9BOQ2l6xJG
— ANI (@ANI) September 2, 2018
इस किताब के जरिए आपको इस बात की जानकारी होगी की नायडू अपने काम के प्रति कितने ईमानदार हैं. बीते 50 साल से राजनीति में सक्रिय नायडू के साथ मुजे कई सालों तक काम करने का मौका मिला. वो हमेशा 'पदभार से ज्यादा कार्यभार' को महत्व देते थे.
बतौर उपराष्ट्रपति इन एक सालों में उन्होंने देश के तमाम राज्यों का भ्रमण कर लिया. कभी आप उन्हें केरल में पाते तो कभी कहीं और. नायडू ने कभी भी जिम्मेदारियों को बोढ की तरह नहीं लिया. उन्हें जो भी दायित्व मिला उसको अच्छी तरह से निभाते गए और सफलता प्राप्त करते रहे. यहां तक की उस क्षेत्र को भी सफल बनाते रहे.
वेंकैया नायडू दिल से किसान हैं
एक बार अटल जी के कार्यकाल के दौरान अटल जी नायडू को एक मंत्रालय देना चाहते थे. नायडू ने खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री से उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार देने की मांग की. नायडू दिल से किसान हैं. उन्होंने जब ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा अपने हाथों में लिया तो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जैसी अन्य जनकल्याणकारी योजनाएं लेकर आएं.
बता दें कि नायडू ने गत वर्ष 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी. उसके एक दिन पूर्व ही उन्होंने संसद में इस बात की घोषणा की थी कि वह अपने पहले वर्ष के कार्यकाल के अनुभवों पर एक पुस्तक लिख रहे हैं.
राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों के बारे में नायडू ने पुस्तक में संसद के पहले दो सत्रों में अपेक्षित कामकाज नहीं हो पाने के कारण निराशा व्यक्त की है. लेकिन मानसून सत्र में इस बार बेहतर कामकाज होने का हवाला देते हुए उन्होंने भविष्य में नई शुरुआत होने की उम्मीद जताई है.
वहीं प्रधानमंत्री ने नायडू के अनुशासित होने की तारीफ करते हुए कहा कि समय पर काम करना उनकी आदत में है. उनके स्वभाव में ही अनुशासन है, लेकिन अब तो अनुशासन का पालन करना अलोकतांत्रिक हो जाता है.
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