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राष्ट्रपति का देश को संबोधन: गांधी के देश में हिंसा की जगह नहीं

राष्ट्रपति के संबोधन में अहिंसा, गांधी, युवाओं से लेकर पर्यारण संरक्षण तक का जिक्र

Updated On: Aug 14, 2018 10:35 PM IST

FP Staff

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राष्ट्रपति का देश को संबोधन: गांधी के देश में हिंसा की जगह नहीं

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाध कोविंद ने देश के नागरिकों को संबोधित किया. उन्होंने देशवासियों को 72वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उन्होंने अपने संबोधन में महात्मा गांधी से लेकर देश की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार देशवासियों से साझा किए.

शिक्षा का उद्देश्य

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन की शुरूआत प्राकर्तिक धरोहरों के संरक्षण की मांग से की. इसके बाद राष्ट्रपति ने शिक्षा व्यवस्था पर भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है. ऐसी भावना से ही संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है.

हिंसा पर काबू पाना गांधी से सीखें

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए हिंसा पर लगाम कसने का संदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है. प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है. उन्होंने कहा, 'हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है.

दुनियाभर में मनाई जाएगी गांधी जी की 150वीं जयंती

कोविंद ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देशभर में होने वाले समारोह की भी बात कही. उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व में हर जगह, जहां-जहां पर मैं गया, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है. उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है. हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा.

निरर्थक विवादों में न पड़ें

कोविंद ने कहा, 'आज हम एक निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें.' उन्होंने कहा, 'आज जो निर्णय हम ले रहे हैं, जो बुनियाद हम डाल रहे हैं, जो परियोजनाएं हम शुरू कर रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक पहल हम कर रहे हैं– उन्हीं से यह तय होगा कि हमारा देश कहां तक पहुंचा है. हमारे देश में बदलाव और विकास तेजी से हो रहा है और इस की सराहना भी हो रही है.'

युवाओं को अवसर प्रदान करना सेनानियों का सपना

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ जनों के योगदान का जिक्र करते हुए कहा 'जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं. तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं.

महिलाओं की देश निर्माण में है अहम भूमिका

कोविंद ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओ की एक विशेष भूमिका है. उन्होंने कहा महिलाओं के हक की बात करते हुए कहा कि एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्‍चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों.

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