शुक्रवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बीच कोर्ट में तब तीखी बहस हो गई जब दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच जजों की एक बेंच ने दो जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच के फैसले को बदल दिया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट के जजों के नाम पर रिश्वतखोरी से जुड़ा हुआ है.
जजों के नाम पर कथित रिश्वतखोरी के मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 2 जजों की बेंच के उस ऑर्डर को रद्द कर दिया, जिसमें मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बनाने को कहा गया था.
क्या है मामला?
दरअसल यह मामला उड़ीसा हाई कोर्ट के रिटायर जज आई एम कुद्देशी से जुड़ा हुआ है. कुद्देशी के ऊपर आरोप है उन्होंने अपने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए घूस लिया है. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. इस मामले में यह भी आरोप है कि कई सुप्रीम कोर्ट के जजों के नाम पर भी घूस लिया गया है.
प्रशांत भूषण इस मामले में एनजीओ ‘कैंपेन फॉर जूडिशियल एकाउंटैबिलिटी’ और याचिकाकर्ता कामिनी जायसवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. प्रशांत भूषण और एनजीओ ने यह मांग की थी, इस मामले की जांच सीबीआई की जगह कोई अन्य एसआईटी बनाकर किया जाए. भूषण ने कहा कि सीबीआई पर उन्हें भरोसा नहीं है.
इसी याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को जस्टिस चेलेश्वरम् की बेंच ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई संविधान पीठ या पांच जजों की बेंच करे. शुक्रवार को भी यह मामला दो जजों के सामने सुनवाई के लिए आने वाला था.
इसके बाद चीफ जस्टिस (सीजेआई) दीपक मिश्रा की अगुआई वाली 5 जजों की गठित बेंच ने जस्टिस चेलेश्वरम् के बेंच रद्द कर दिया. इस बेंच ने कहा- ‘सीजेआई सुप्रीम कोर्ट के मुखिया हैं. उनके आवंटन के बिना कोई बेंच केस नहीं सुन सकती.’
अब दो सप्ताह बाद दो जजों की दूसरी बेंच इस पर सुनवाई करेगी.
प्रशांत भूषण ने लगाया सीजेआई पर भी आरोप
प्रशांत भूषण पांच जजों के बेंच के फैसले से संतुष्ट नहीं थे. मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सहित अन्य जजों और याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण के बीच गर्मा-गरम बहस हुई.
भूषण ने अपनी आवाज तेज करते हुए चीफ जस्टिस से मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने को कहा क्योंकि सीबीआई की एफआईआर में कथित तौर पर उनका भी नाम है. सीजेआई ने बदले में भूषण से प्राथमिकी की सामग्री को पढ़ने को कहा और उन्हें अपना आपा खोने के खिलाफ चेतावनी दी. भूषण के साथ याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता कामिनी जायसवाल भी थीं.
जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगाने के बावजूद हम आपको रियायत दे रहे हैं और आप उससे इनकार नहीं कर सकते. आप आपा खो सकते हैं लेकिन हम नहीं.’
भूषण ने कथित तौर पर न्यायाधीशों से संबंधित भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग करते हुए कहा कि सीजेआई का नाम इसमें है. हालांकि प्रशांत भूषण ने जब एफआईआर पढ़ा तो एफआईआर में सीजेआई का नाम नहीं था.
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