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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को दिए अपने भाषण से दो अनपयुक्त शब्द ‘भीख का कटोरा’ वापस लेना चाहते हैं. दरअसल अपने भाषण में उन्होंने इस बात का पक्ष लिया था कि संस्थान की बेहतरी के लिए सरकार के सामने 'मदद के लिए हाथ फैलाने' की बजाय उन्हें अपने एलुम्नाई की मदद लेनी चाहिए.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि वह अपने इन शब्दों को वापस लेना चाहते हैं. उन्होंने दावा किया कि शुक्रवार को पुणे के एक स्कूल में उनके भाषण के दौरान ‘अनजाने में’ इन शब्दों का इस्तेमाल हो गया था.
मीडिया के रिपोर्ट्स में जावेडकर के इस बयान की निंदा करते हुए कोट किया गया, 'दरअसल ये किसी भी संस्थान के पूर्व छात्र होते हैं जो अपने शिक्षण संस्थान को वापस लौटाते हैं लेकिन कुछ ऐसे स्कूल हैं जो मदद की मांग करते हुए कटोरा लेकर सरकार के पास पहुंचते रहते हैं.'
मेरे भाषण को गलत तरीके से पेश किया गया
इसके जवाब में जावडेकर ने कहा, 'मेरे भाषण को गलत तरीके से पेश किया गया. सरकार बड़े पैमाने पर शिक्षा में निवेश कर रही है और पिछले चार सालों में बजटीय प्रावधानों में 70 फीसद की वृद्धि की गई है. उसी के साथ पूर्व छात्रों को भी स्कूलों और कॉलेजों के विकास में योगदान करने की जरूरत है.
दुनियाभर में यही परिपाटी है. मेरा मतलब यह नहीं था कि सरकार मदद नहीं करेगी. मेरा बस यह तात्पर्य था कि सरकारी मदद के अलावा पूर्व छात्रों को भी स्कूलों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. '
बीते शुक्रवार को पुणे के एक स्कूल में भाषण देते हुए जावडेकर ने कहा कि पूरे विश्व में, शैक्षणिक संस्थानों को कौन चलाता है? पूर्व छात्र चलाते हैं. विश्वभर में विश्वविद्यालय कौन चलाते हैं? पूर्व छात्र जो अपने-अपने क्षेत्र में सफल रहे और फिर उन्होंने अपने संस्थान को वापस दिया. ज्ञान प्रबोधिनी में इस बात की परंपरा रही है. मुझे बताया गया है कि यहां के पूर्व छात्र स्कूल के लिए जितना कर सकते हैं उतना करते हैं.'
जावडेकर ने कहा कि- ऐसे स्कूल भी चलते हैं. नहीं तो हर बार सरकार के पास कटोरा लेकर जाएंगे और बात करेंगे कि हमें मदद चाहिए. अरे मदद तो आपके घर में पड़ी हुई है. आपके जो पूर्व छात्र हैं उनकी भी जिम्मेदारी बनती है.
इस बयान के बाद जावडेकर की निंदा होने लगी, मीडिया रिपोर्टर्स में उन्हें कोट किया गया. जिसके बाद उन्हें यह सफाई देनी पड़ी.