दिल्ली की जहरीली हवा में सांस लेना दूभर हो गया है और आने वाले 10 दिनों में स्थिति और बिगड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने कई प्रभावी और सख्त कदम उठाए हैं. इस कड़ी में दिल्ली में क्लीन एयर कैंपेन के तहत कई कार्यों पर बैन लगाया गया है और लोगों से भी दिल्ली को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने में अपना योगदान देने की अपील की गई है.
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया. साथ ही साथ खुदाई के काम पर भी रोक लगा दी गई है. इसके अलावा कूड़ा जलाने पर भी बैन लगाया गया है. वहीं जो इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी. आइए जानते हैं दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कुछ करना पड़ा है बंद...
सीपीसीबी के फेसबुक/ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दे सकते हैं जानकारी
सर्दियों के मौसम में निर्माण कार्य के कारण वायु की गुणवत्ता का स्तर और गिर जाता है. क्योंकि इस मौसम हवा की गति धीमी होने की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है. इसी के कारण डीपीसीसी ने दिल्ली-एनसीआर में सभी तरह के निर्माण और खुदाई के कार्यों पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कार्यरत पर्यावरण प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कई निर्देश भी जारी किए हैं. ईपीसीए ने कहा है कि हमे ये सुनिश्चित करना होगा कि कूड़ा न जलाया जाए. अगर कोई ऐसा करता है तो इसके बारे में आप सीपीसीबी के फेसबुक/ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दे सकते हैं.
10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां होंगी जब्त
क्लीन एयर कैंपेन के तहत दिल्ली में 1 नवंबर से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां जब्त की जाएंगी. दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) ने ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस से उन वाहनों की चेकिंग और तेज करने को कहा है जो ज्यादा प्रदूषण फैला रही हैं. साथ ही ट्रैफिक पुलिस से ये भी कहा गया है कि वो 1 से 10 नवंबर के बीच ट्रैफिक के कारण लगने वाले जाम को कंट्रोल करें.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल अधिक करें
दिल्ली-एनसीआर में 40 फीसदी प्रदूषण प्राइवेट गाड़ियां फैलाती है, इसे लेकर ईपीसीए ने लोगों से गुजारिश की है कि वो प्राइवेट गाड़ियों की बजाए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक इस्तेमाल करें और इस दौरान डीजल गाड़ियां का इस्तेमाल न के बराबर करें. आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में 35 लाख से ज्यादा प्राइवेट गाड़ियां हैं.
मेट्रो ने भी चलाई अतिरिक्त ट्रेनें
वहीं राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो ने भी 21 अतिरिक्त ट्रेनें चलाईं. ये 812 अतिरिक्त फेरे लगाएंगी. यह कदम उस दिन उठाया गया है जब पिंक लाइन के शिव विहार से त्रिलोकपुरी-संजय लेक के बीच के 17.8 किलोमीटर के हिस्से को आम लोगों के लिए खोला गया है. इस लाइन में तीन स्टेशन इंटरचेंज हैं.
दिल्ली मेट्रो के एक प्रवक्ता के कहा कि दिल्ली-एनसीआर में बदतर होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो ने 31 अक्टूबर को 21 अतिरिक्त ट्रेनें चलाईं जो 812 अतिरिक्त फेरे लगाएंगी. उन्होंने कहा कि इनमें लाइन-7 के खंड शिव विहार- त्रिलोकपुरी संजय लेक पर 730 चक्कर लगाने वाली 14 ट्रेंने शामिल हैं. इसी के साथ पहली बार मेट्रो ट्रेनें एक दिन में 4,831 चक्कर लगाएंगी.
क्यों खराब हो सकते हैं हालात
हवा की गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान शोध प्रणाली (सफर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में नमी बढ़ेगी. इससे दो नवंबर से हवा की गति धीमी होने की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने की आशंका है.
(एजेंसी इनपुट)
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