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राफेल डील पर PM मोदी को CCS से नहीं मिली थी मंजूरी, रक्षा मंत्री ने बताई वजह

निर्मला सीतारमण ने न्यूज़18 को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि, इच्छा जाहिर करने की प्रक्रिया में सीसीएस की मंजूरी नहीं चाहिए होती है. इसकी आवश्यकता तभी होती है जब आप इसके समझौते पर दस्तखत करते हैं'

Updated On: Oct 10, 2018 10:48 PM IST

FP Staff

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राफेल डील पर PM मोदी को CCS से नहीं मिली थी मंजूरी, रक्षा मंत्री ने बताई वजह

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के साथ 36 राफेद लड़ाकू विमानों के सौदे की बात कही थी तो कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी (सीसीएस) ने उसे मंजूरी नहीं दी थी. बुधवार को सीएनएन-न्यूज़18 को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने इस सौदे को लेकर बातचीत की इच्छा जाहिर की थी. इसके लिए सीसीएस की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती.

सीतारमण ने दावा किया कि, इच्छा जाहिर करने की प्रक्रिया में सीसीएस की मंजूरी नहीं चाहिए होती है. इसकी आवश्यकता तभी होती है जब आप इसके समझौते पर दस्तखत करते हैं.

रक्षा मंत्री ने कहा, 16 महीने तक लंबी चली मोलभाव के बाद कैबिनेट के सामने इस सौदे का मसौदा पेश हुआ था, तब इसे सीसीएस ने मंजूरी दी थी. इसके बाद ही भारत सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रेंच सरकार के साथ यह डील फाइनल की. 16 महीने तक चले मोलभाव के दौर में विमानों की कीमत, संख्या, जरूरत के लिहाज से बदलाव, रख-रखाव पर सहमति बनी.

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के राफेल सौदे को लेकर बातचीत शुरू करने के करीब 16 महीने बाद अगस्त 2016 में सीसीएस ने फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपए के इस डील को अपनी मंजूरी दी.

सीतारमण का यह बयान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद आया है जिसमें उसने केंद्र को 29 अक्टूबर तक सीलबंद लिफाफे में राफेल सौदे की कीमत और सौदे की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने को कहा है.

Rafale Fighter Plane

राफेल लड़ाकू विमान (फोटो: पीटीआई)

राफेल डील को लेकर कांग्रेस के क्या हैं आरोप?

राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां ने मोदी सरकार के खिलाफ काफी हमलावर तेवर अपना रखे हैं. कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने फ्रांस के साथ जिस राफेल लड़ाकू विमान की डील की थी, उसे मोदी सरकार 3 गुना कीमत में खरीद रही है. कांग्रेस का आरोप है कि नई डील में किसी भी तरह की तकनीक ट्रांसफर की बात नहीं हुई है.

राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों और संबोधनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल मामले में देश से झूठ बोलने और सौदे में भारी भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते रहे हैं.

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