वाराणसी के लोगों को एक बड़े झंझट से छुटकारा मिलने जा रहा है. पूरे शहर में बेतरतीब पसरे तारों और उससे होनेवाली परेशानियों से निजात मिलने जा रही है. क्योंकि दुनिया का यह प्राचीनतम शहर अब वायरलेस होने जा रहा है. लंका चौक, गदौलिया बाजार, अस्सी जानेवाली गलियों में फैले बिजली के तार अब पोल पर नहीं, अंडरग्राउंड होने जा रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक शहर के 16 स्क्वॉयर किलोमीटर इलाके में बिछ रहे अंडरग्राउंड बिजली के तारों का काम विभाग ने पूरा कर लिया है.
तत्तकालीन बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने जून 2015 में 432 करोड़ से अंडरग्राउंड केबल बिछाए जाने की घोषणा की थी. सितंबर 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस योजना का उद्घाटन किया, दिसंबर 2015 में शुरू हो गया था. पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट की निगरानी खुद मंत्री गोयल कर रहे थे और दावा किया गया था कि काम एक साल में पूरा कर लिया जाएगा.
वाराणसी में आसान नहीं था अंडरग्राउंड केबलिंग का काम
अधिकारियों की मानें तो जो डीपीआर बना था, उसे प्रैक्टिकल तौर पर उतराने में बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा. आईपीडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर सुधाकर गुप्ता ने बताया कि यहां आईपीडीएस का काम पूरा करने में हमें यह महसूस हुआ कि अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए यह सबसे जटिल शहर है. कंपनी को काम पूरा करने में 2 साल लगे.
अधिकारियों ने बताया कि सबसे पहले पुराने उपकेंद्रों को हटाकर उन्हें आधुनिक किया गया. दो नए उपकेंद्र चौक और कज्जाखपुरा स्थापित किए गए.
अंडरग्राउंड बीएसएनएल की लाइंस, पानी पाइप लाइंस और सीवेज पाइप लाइंस ने भी परेशानी उत्पन्न कीं क्योंकि इन पाइप लाइंस का कोई मैप किसी के पास मौजूद नहीं था. काम के दौरान कुछ पाइप लाइंस डैमेज हो गईं. उसके बाद संबंधित एजेंसी को भुगतान होने तक काम रोक दिया गया लेकिन अब काम पूरा हो गया है.
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