-संजय सावंत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी ऐलान के बाद इसकी रणनीति बनाने वाले के बारे में तमाम तरह की अटकलें लग रही हैं. इनमें से एक अनिल बोकिल और उनकी अर्थक्रांति प्रतिष्ठान भी है. नोटबंदी में उनकी भूमिका देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है.
महाराष्ट्र के स्वयंसेवी संगठन अर्थक्रांति का दावा है कि काले धन पर नकेल कसने का आइडिया उसी ने मोदी सरकार को दिया है. एनजीओ के अनुसार अनिल बोकिल ने अगस्त 2014 में पीएम के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया था.
तब मोदी सरकार ने अर्थक्रांति के सुझाए तरीकों पर अमल के लिए कुछ और तथ्य पेश करने की बात की थी. सुझावों पर अमल करने से पहले सरकार पूरी तरह आश्वस्त होना चाहती थी. पीएम मोदी के कहने पर सरकार के अन्य मंत्रियों के साथ कालेधन पर रोक के सुझावों को साझा किया गया था.
एनजीओ की मानें तो इसके बाद से ही प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी लगातार अर्थक्रांति के संपर्क मे थे. एनजीओ चलाने वाले अनिल बोकिल पेशे से इंजीनियर और चार्टड एकाउंटेंट हैं. बोकिल का दावा है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से पहले ही काले धन पर नियंत्रण के सुझाव दिए थे.
बोकिल कालेधन के मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं. इस पर राहुल का क्या कहना था यह भी बोकिल ने फर्स्टपोस्ट को बताया. पढ़िए अनिल बोकिल के साथ पूरी बातचीत ....
आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहली बार कब मिले?
मैं पहली बार दिसंबर 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला. मैं अपनी अर्थक्रांति टीम के साथ उनसे मिला था. तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसके बाद हम तमाम वरिष्ठ भाजपा नेताओ से संपर्क मे थे. लालकृष्ण आडवाणी से भी हम मिले थे. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के दो साल बाद मैं अपनी टीम के साथ उनसे जुलाई 2016 में मिला.
अगस्त 2016 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्रियों को भी अपना प्रेजेंटेशन दिया. इसमें मैंने बताया कि कैसे देश से काले धन को खत्म करने के तरीके अपनाए जा सकते हैं.
दरअसल साल 2000 के बाद से ही हम बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं. इनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिंहा, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और मनोहर पर्रिकर शामिल हैं.
पहली मुलाकात में नरेंद्र मोदी ने हमें 90 मिनट का समय दिया था. हमें सुनने के बाद उन्होंने सुझावों को लागू करने का आश्वासन दिया. अब उस मुलाकात के तीन साल बाद प्रधानमंत्री ने देश से काला धन साफ करने की पहल कर दी है.
500 और 1000 नोटबंदी के प्रधानमंत्री के फैसले पर आप की क्या राय है?
मैं पीएम मोदी को इस फैसले के लिए बधाई देता हूं. यह देश के लिए बेहद अहम और बड़ा फैसला है. पूरा देश जानता है कि हमारे प्रधानमंत्री कितने हिम्मतवाले और दिलेर हैं. इस ऐतिहासिक फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था से काला धन साफ हो जाएगा.
हमारी अर्थव्यवस्था में इस्तेमाल हो रही कुल मुद्रा का 80 फीसदी हिस्सा 500 और 1000 के नोटों का है. हमारी अर्थव्यवस्था को खोखला करने के लिए पड़ोसी मुल्कों से जाली नोट बड़ी आसानी से भेजे जा रहे हैं.
1000 का नोट बनाने के लिए केवल 3 रुपए का खर्च ही आता है. मतलब केवल तीन रुपए खर्च करके पड़ोसी हमारी अर्थव्यवस्था में 997 नकली रुपए डाल देता है.
हम जुलाई 2016 में ही प्रधानमंत्री से मिले थे. वो इतनी जल्दी नोटबंदी का फैसला ले लेंगे, हमें उम्मीद नहीं थी. इससे हम भी हैरान हैं. हमने वर्तमान टैक्स व्यवस्था को भी बदलने का सुझाव दिया था. हमने इसके बदले बैंकों से लेन-देन पर सिंगल प्वाइंट टैक्स व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया था.
पीएम मोदी ने चुनौती स्वीकार करने का जोखिम उठाया है. उनके इस फैसले से इस देश में मुझसे ज्यादा शायद ही कोई और खुश हो.
नोटबंदी के बाद सरकार का अगला कदम क्या होना चाहिए?
बड़े नोटों को बंद करना अधूरा काम होगा. देश से 56 तरह के टैक्स को खत्म करना अगला बड़ा और ज्यादा मुश्किल काम होगा. मैं 130 करोड़ भारतीयों से अपील करता हूं कि वो इस काम में पीएम नरेंद्र मोदी का साथ दें. हमारे देश में 80 फीसदी लेन-देन नकद किया जाता है जबकि केवल 20 फीसदी ही चेक, डिमाण्ड ड्राफ्ट या फिर ऑनलाइन लेन-देन होता है. लिहाजा देश में कितनी नकदी है, इसका सही अंदाजा लगा पाना नामुमकिन है.
असामाजिक तत्व और आंतकी नकदी पहुंचाने के लिए हवाला या जाली नोटों का इस्तेमाल करते हैं. नकद लेन-देन का हिसाब रख पाना मुश्किल होता है. सरकार के इस फैसले से जनता को ई-पेमेंट, ऑनलाइन लेन-देन, चेक और डीडी की आदत डालने पर मजबूर होंगे.
हमारे देश की कराधान नीति में नकद लेन-देन पर कोई प्रावधान नहीं है. इससे न केवल आतंक को मदद मिल रही है बल्कि भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याएं भी भयानक रूप ले चुकी हैं. यह सब देश के विकास के लिए बाधक है.
क्या आपने भाजपा के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल के नेताओं से मुलाकात की है?
अब बीजेपी में शामिल हो चुके और देश के रेलमंत्री सुरेश प्रभु से 2005 में मुलाकात हुई थी. तब प्रभु शिवसेना मे थे. हमारा प्रस्ताव उन्हें अच्छा लगा था और मंत्री बनने के बाद उन्होंने हमें कुछ सुझाव भी दिए थे. महाराष्ट्र से होने के कारण मोदी कैबिनेट के दो बड़े मंत्रियों सुरेश प्रभु और नितिन गडकरी से मुझे काफी प्रोत्साहन मिला. दोनो नेताओं ने मेरे एनजीओ अर्थक्रांति प्रतिष्ठान की भी मदद की है.
हमने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के अन्य कई बड़े नेताओं से भी मुलाकात की थी. राहुलजी ने हमारी बात गंभीरता से सुनी और 2014 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कोर ग्रुप से मिलने की सलाह भी दी.
भारत को काले धन से मुक्त कराने के लिए हम देश के हर राजनीतिक दल के बड़े नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन प्रधानमंत्री ने पहले से बताए बिना शानदार काम किया है. उन्होंने हिम्मत का काम किया है. ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाना आसान नहीं था. यह किसी मरीज के इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन करने जैसा है.
राहुल गांधी ने आपको पर्याप्त समय दिया था?
मैं इस झगड़े में नही पड़ना चाहता कि राहुल गांधी ने हमें कम समय दिया जबकि मोदी ने निर्धारित समय से दस गुना ज्यादा समय दिया था.
अर्थक्रांति प्रतिष्ठान में कौन-कौन हैं?
साल 2000 में जब हमने अर्थक्रांति प्रतिष्ठान की नींव रखी थी तब हम 10 से 15 प्राथमिक सदस्य थे. अब हमारे साथ लाखों की संख्या में एकाउंटेंट, इंजीनियर और पढ़े लिखे युवा जुड़ रहे हैं.
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