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LoC के पास रहने वाले लोगों ने बयां किया अपना दर्द, कहा- क्यों नहीं एक बार में ही मार देते?

LoC पर पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन जारी है लेकिन पुलवामा हमले के बाद से हालात और ज्यादा बिगड़े हैं, पिछले एक हफ्ते से गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं

Updated On: Mar 03, 2019 01:05 PM IST

FP Staff

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LoC के पास रहने वाले लोगों ने बयां किया अपना दर्द, कहा- क्यों नहीं एक बार में ही मार देते?

घंटों मोर्टार दागे जाने की आवाज़, लगातार हो रही भारी गोलीबारी, आसमान में उठता धुएं का गुबार और हर पल मौत की आहट, जम्मू-कश्मीर सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) के पास रहने वालों लोगों की दिन की शुरुआत भी इन्हीं चीजों से होती है और रात भी मौत के डर में गुजर जाती है. LoC पर पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन जारी है लेकिन पुलवामा हमले के बाद से हालात और ज्यादा बिगड़े हैं. पिछले एक हफ्ते से गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं.

LoC पर रहने वाले लोग जिंदगी जी नहीं रहे बल्कि जिंदगी काट रहे हैं

सीमा पार से तकरीबन रोजाना ही वक्त-बेवक्त भारतीय गांवों और चौकियों पर फायरिंग हो रही है. पाकिस्तान की इस हरकत से स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है. मौत रोज गांववालों के सिर पर नाचती है. लिहाजा जिंदगी बचाने के लिए लोग अपना घर और मवेशियों को बेसहारा छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं. जंग जैसे हालात के बीच LoC पर रहने वाले लोग दरअसल जिंदगी जी नहीं रहे बल्कि जिंदगी काट रहे हैं. LoC के पास पुंछ के सालोत्री गांव की रहने वाली रकमत बी (50) की ही कहानी सुनिए.

गोला सीधा रकमत बी के घर पर गिरा

भारी गोलीबारी के बीच रकमत बी टिन शेड वाले मिट्टी के घर में अपने पांच साल के पोते को सुलाने की कोशिश कर रही थीं, जो शायद गोली की आवाज से सहमकर उठ गया था. बंदूकें अपेक्षाकृत खामोश होने या गोलीबारी हल्की होने पर रकमत बी पोते को सुलाकर दूसरे कमरे में आराम करने जाती ही हैं कि फिर से गोली चलने की आवाज आने लगी. पाकिस्तान की तरफ से दागा गया गोला सीधा रकमत बी के घर पर गिरा, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में रकमत बी की बहू और पोता-पोती शामिल थे. पोती सिर्फ 9 माह की थी.

पुंछ जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा है

रकमत बी का घर पुंछ सेक्टर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है. पुंछ जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा भी है. यहां के हालात इस कदर बदतर हैं कि हर दिन हर घंटे कहीं न कहीं गोलीबारी की आवाज सुनाई देती है. बीते कुछ दिनों से तो हालात और भी ज्यादा चिंताजनक हुए हैं. यहां दोनों तरफ से लॉन्ग रेंज के मोर्टार दागे जा रहे हैं, जिससे सीमा के पास रहने वाले लोग हर रोज मौत का सामना कर रहे हैं. इन लोगों को बखूबी पता है कि उनका इलाका डेंजर जोन में आता है. वो यहां से दूर जाना भी चाहते हैं, मगर उनका कहीं और ठिकाना भी नहीं है.

27 साल का बेटा मोहम्मद यूनिस जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है

रकमत बी कहती हैं, 'मैं अल्लाह से लगातार दुआ कर रही थी की बम और गोले की आवाज रुक जाए लेकिन आवाजें लगातार बढ़ रही थी और पहले से ज्यादा तेज हो रही थी. अचानक एक गोला आ गिरा और एक ही झटके में मेरा घर बर्बाद हो गया. पाकिस्तान की ओर से दागे गए गोले में रकमत बी की बहू और पोता-पोती की जान चली गई, जबकि उनका 27 साल का बेटा मोहम्मद यूनिस जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है.

मोहम्मद यूनिस परिवार में इकलौता कमाने वाला था

रकमत बी आगे बताती हैं- जानती हूं हमारा इलाका खतरे से खाली नहीं है. मोर्टार शेलिंग (तोप से गोलाबारी) से बचा-खुचा भी खत्म हो सकता है लेकिन, जाएं तो जाएं कहां? मैंने पूरी जिंदगी यहीं गुजार दी और कहां जाऊंगी? क्या करूंगी? रकमत बी का बेटा मोहम्मद यूनिस परिवार में इकलौता कमाने वाला था. मजदूरी करके जो थोड़े पैसे मिलते थे, उससे किसी तरह पूरे परिवार की रोजी-रोजी चलती थी. फिलहाल वह जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहा है. अगर ये जंग जीत भी गया, तो भी कभी काम नहीं कर पाएगा. उसे बाकी जिंदगी बिस्तर पर ही बितानी पड़ेगी. ये बताते हुए रकमत बी रोने लगती हैं.

प्रशासन के रवैये से सीमा पार रहने वाले लोगों में काफी गुस्सा है

शनिवार को जब सरकार के अधिकारी गांव का दौरा करने पहुंचे, तो लोगों के सब्र का बांध टूट गया. लोगों ने इलाके से दूसरी जगह शिफ्ट कराने के लिए अधिकारियों के सामने गुहार भी लगाई. इसके बाद प्रशासन ने कुछ इन लोगों को दूसरी जगह अस्थायी तौर पर शिफ्ट भी करा दिया है. फिलहाल इन लोगों के रहने और खाने का इंतजाम एक स्कूल में किया गया है, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर अपने पुराने ठिकाने लौटना ही पड़ेगा. सरकार और प्रशासन के इस रवैये से सीमा पार रहने वाले स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा हैं.

इतने सालों में सरकार से एक चीज मिली है, वो है मायूसी

रकमत बी के बहू और पोते-पोती के मातम पुर्सी में आए अब-रजाक खाकी कहते हैं- हमारे नेता जंग की बात करते हैं. क्या वो इसका मतलब भी जानते हैं? हम दिनभर कड़ी मेहनत करते हैं, तब जाकर दो वक्त के खाने का जुगाड़ हो पाता है. हम इस उम्मीद से हर चुनाव में वोट डालते हैं कि नई सरकार हमें इस मौत के जाल से निकालेगी. लेकिन, नहीं होता. कुछ भी नहीं होता ऐसा. हमें इतने सालों में सरकार से एक चीज मिली है, वो है मायूसी. वहीं, जंग के हालात में अपने परिवार को खोने के बाद भी रकमत बी अभी भी कहती हैं कि वो अपना इलाका छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहती. मौत आनी हो तो आए.

साभार- न्यूज 18

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