आज से ठीक 60 साल पहले भी एक रेल हादसा हुआ था. तमिलनाडु के अरिलायुर में 27 नवंबर 1956 को हुए इस ट्रेन हादसे में 144 यात्री मारे गए थे. इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे में 142 लोगों की जान गई है. दो त्रासदियों के बीच का इत्तेफाक बस इतना सा है.
तब की घटना में 144 यात्रियों के मारे जाने पर तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने प्रायश्चित करते हुए इस्तीफा दे दिया था. शास्त्री ने यह कहते हुए संसद में इस्तीफा दिया था कि 'मैं जिम्मेदार हूं.'
इस्तीफा स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सदन में कहा था,
आज सुरेश प्रभु रेल मंत्री हैं. इस्तीफे की पेशकश तो दूर की बात रही, वे ट्विटर पर अपनी पीठ खुद थपथपा कर दुष्प्रचार कर रहे हैं.
भारतीय रेल के ट्विटर-वीर
प्रभु ने देश को संदेश भेजा है, 'इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के शिकार लोगों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि में इजाफा: मृतकों को 3.5 लाख दिए जाएंगे.'
उम्मीद करें कि यह राहत राशि नए नोटों में हो, बैंको तक भेज दी जाए और एटीएम ठीकठाक हों.
इसके बाद वे ट्विटर पर एक चेतावनी जारी करते हैं, 'दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा.' और इस तरह उन्होंने दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ दिया.
प्रभुजी, इस घटना के लिए कौन दोषी है?
आपकी सरकार जब से आई है, लगातार किराया और शुल्क बढ़ता गया है. आज आपका मंत्रालय टिकट रद्द करवाने का भारी दंड लेता है, बच्चों को पूरा किराया देने पर ही बर्थ देता है और अलग-अलग बहानों से किराया और माल भाड़ा बढ़ा दिया गया है. उस पर से एक बेकार की योजना ला दी गई है जिसका नाम डायनमिक प्राइसिंग है. यह कभी-कभार हास्यास्पद स्थिति पैदा कर देती है, जब ट्रेन का किराया हवाई जहाज से भी महंगा हो जाता है.
पिछले साल प्रभु ने एक श्वेत पत्र जारी किया था. उसके मुताबिक
नई पटरियां बिछाने का काम पिछड़ता जा रहा है. रेलवे के श्वेत पत्र के मुताबिक पटरियों के रखरखाव का काम बढ़ता जा रहा है. जिसे पूरा कर पाना नामुमकिन हो सकता है. इससे रेलवे की संपत्तियां लंबे समय तक ठीक से काम करने लायक नहीं रह पाएंगी.
मंत्रीजी जवाब दें
प्रभुजी, कृपया एक ट्वीट कर के बताइए कि यात्री सुरक्षा पर आय में से कितना खर्च किया गया था? पुरानी पटरियों को बदलने और मानवीय गलतियों को न्यूनतम करने के लिए ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन प्रणाली लगाने पर क्या खर्च हुआ था?
कृपया ट्वीट करें कि 1,20,000 करोड़ के राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष नाम के आपके सुरक्षा कोष की मौजूदा स्थिति क्या है?
जरा यह ट्वीट कर बताने का कष्ट करें कि क्या यह फंड वित्त मंत्रालय से मंजूर हो चुका है या फिर इस सरकार का यह कोई नया जुमला है?
मंत्रीजी कृपया ट्वीट कर बताएं कि डायनमिक प्राइसिंग जैसे आपके नए नुस्खों से रेलवे को क्या मदद मिली है? पिछली बार जब सुना था तो भारतीय रेलवे 30,000 करोड़ के घाटे में चल रही थी क्योंकि आपके मंत्रालय ने बिना कोई अतिरिक्त सुरक्षा या सेवा मुहैया कराए ही किराया व शुल्क बढ़ा दिया था.
जरा ट्वीट कर के बताइए कि रेलवे पर अनिल काकोदकर पैनल की सिफारिशों का क्या हुआ? उन्होंने एक सिफारिश की थी कि एक स्वतंत्र सुरक्षा नियामक होना चाहिए- उसका क्या हुआ? पिछली बार सुना था कि आपके मातहत मंत्री संसद में कह रहे थे कि नियामक पर विचार किया जा रहा है. अपना फैसला लेने से पहले और कितनी मौतों और हादसों की आपको दरकार है?
जुमलों की नैतिकता
हकीकत यह है: उस बदकिस्मत ट्रेन पर चढ़े और मारे गए सभी यात्रियों के खून से समूची रेलवे के हाथ रंगे हुए हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ट्रेन की यात्रा को सुरक्षित करने को तात्कालिक अहमियत नहीं दी गई और पिछली सरकारों की उस ऐतिहासिक विरासत को कायम रखा गया जिसमें इसका इस्तेमाल केवल राजनीति साधने के लिए किया जाता था.
उसके बाद से हालांकि उनके अधिकतर शुरुआती वादे झूठे निकल गए और सुधार रुक गए. गिरता राजस्व और अपर्याप्त सुरक्षा उपाय बताते हैं कि वे सिर्फ बोलते हैं, करते बहुत कम हैं.
प्रभु ठीक कहते हैं कि दोषी को सजा मिलनी चाहिए.
नैतिक जिम्मेदारी का आपने कभी नाम सुना है? मंत्रीजी, आप लाल बहादुर शास्त्री को जानते हैं क्या?
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