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Pariksha Pe Charcha 2: एक-आध परीक्षा में इधर-उधर होने से जिंदगी नहीं ठहरती

प्रधानमंत्री ने कहा, एक-आध परीक्षा में कुछ इधर-उधर हो जाए, तो जिंदगी ठहर नहीं जाती है. लेकिन जीवन में हर पल कसौटी जरूरी है. अगर हम अपने आप को कसौटी पर नहीं कसेंगे तो आगे नहीं बढ़ेंगे

Updated On: Jan 29, 2019 02:20 PM IST

Bhasha

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Pariksha Pe Charcha 2: एक-आध परीक्षा में इधर-उधर होने से जिंदगी नहीं ठहरती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि एक-आध परीक्षा में कुछ इधर-उधर हो जाए तो जिंदगी ठहर नहीं जाती, जिंदगी में हर पल कसौटी जरूरी है, ऐसे में कसौटी के तराजू पर नहीं झोंकने पर जिंदगी में ठहराव आ जाएगा. प्रधानमंत्री ने छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों से ‘Pariksha Pe Charcha 2’ में अपनी चर्चा में यह बात कही.

दिल्ली में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे एक छात्र ने मोदी से पूछा था कि बच्चों से माता-पिता की अपेक्षाएं काफी होती है, वैसी ही स्थिति उनके (प्रधानमंत्री) समक्ष है जहां देशवासियों को उनसे कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं हैं, इस बारे में वह क्या कहेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक कविता में लिखा है कि, ‘कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता है.' इसमें सबके लिए बहुत बड़ा संदेश छुपा है. मोदी ने कहा, ‘एक-आध परीक्षा में कुछ इधर-उधर हो जाए, तो जिंदगी ठहर नहीं जाती है. लेकिन जीवन में हर पल कसौटी जरूरी है. अगर हम अपने आप को कसौटी पर नहीं कसेंगे तो आगे नहीं बढ़ेंगे.’

उन्होंने कहा कि अगर हम अपने आपको कसौटी के तराजू पर झोंकेंगे नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा. जिंदगी का मतलब ही होता है गति, जिंदगी का मतलब ही होता है सपने. ठहराव जिंदगी नहीं है.

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों के साथ संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार से निपटते हैं उस पर निर्भर करता है.

उन्होंने कहा, ‘मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है. लक्ष्य हमारे सामर्थ्य के साथ जुड़ा होना चाहिए और अपने सपनों की ओर ले जाने वाला होना चाहिए.’ मोदी ने कहा कि लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो. जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी.

उन्होंने कहा कि हम कई बार कुछ न करने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी को ओलंपिक में जाना हो, लेकिन उसने गांव, तहसील, इंटर स्टेट, नेशनल नहीं खेला हो और फिर भी ओलंपिक जाने के सपने देखेगा तो कैसे चलेगा.

सवा सौ करोड़ भारतीयों की सवा सौ करोड़ आकांक्षाएं होनी चाहिए

लक्ष्य के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि निशाना चूक जाएं तो माफ हो सकता है लेकिन निशाना नीचा हो तो कोई माफी नहीं, लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में न हो. लक्ष्य हमारे सामर्थ्य के साथ जुड़ा होना चाहिए और अपने सपनों की ओर ले जाने वाला होना चाहिए.

प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा संवाद में कहा, ‘लोग कहते हैं मोदी ने बहुत आकांक्षाएं जगा दी हैं, मैं चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की सवा सौ करोड़ आकांक्षाएं होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हमें आकांक्षाओं को उजागर करना चाहिए, देश तभी चलता है. अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए. हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए.’ मोदी ने कहा कि निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा ऊपरी गति के लिए अनिवार्य होती है.

उन्होंने कहा कि जो सफल लोग होते हैं, उन पर समय का दबाव नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने समय की कीमत समझी होती है. प्रधानमंत्री ने सवा सौ करोड़ देशवासियों को अपना परिवार बताते हुए कहा कि जब मन में अपनेपन का भाव पैदा होता तो फिर शरीर में ऊर्जा अपने आप आती है और थकान कभी घर का दरवाजा नहीं देखती है. वे इसी भाव से सेवा कार्य में जुटे हैं.

परीक्षा को हम सिर्फ एक परीक्षा मानें तो इसमें मजा आएगा

परीक्षा के समय में सकारात्मक माहौल के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि अभिभावकों का सकारात्मक रवैया बच्चों की जिंदगी की बहुत बड़ी ताकत बन जाता है. उन्होंने कहा, ‘परीक्षा को हम सिर्फ एक परीक्षा मानें तो इसमें मजा आएगा.’ उन्होंने कहा कि मां-बाप और शिक्षकों को बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए. इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हमें हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

छात्र जीवन में अवसाद के संबंध में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि आशा और अपेक्षा जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है . उन्होंने कहा कि अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों के अवसाद (डिप्रेशन) को हल्के में नहीं लेना चाहिए. अवसाद या तनाव से बचने के लिए काउंसलिंग से भी संकोच नहीं करना चाहिए, बच्चों के साथ सही तरह से बात करने वाले विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहिए.

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