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मराठों को 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की चर्चा, पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट

महाराष्ट्र में 30 फीसदी आबादी मराठों की है इसलिए उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने की जरूरत है, रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठों को आरक्षण देने के दौरान ओबीसी कोटे में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा

Updated On: Nov 15, 2018 02:16 PM IST

FP Staff

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मराठों को 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की चर्चा, पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट

महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठों को आज 16 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की है. इस मामले में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 30 फीसदी आबादी मराठों की है, इसलिए उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने की जरूरत है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठों को आरक्षण देने के दौरान ओबीसी कोटे में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा. अगर इस आरक्षण पर मुहर लगती है तो सभी श्रेणी को मिलाकर राज्य में कुल 68 फीसदी आरक्षण हो जाएगा जबकि अभी राज्य में अलग-अलग वर्ग को मिलाकर 52 फीसदी आरक्षण है.

बसें जलाकर ही राज्य को करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पिछले काफी समय से चले आ रहे मराठा आंदोलन के दौरान अब तक राज्य परिवहन की बसें जलाकर ही करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान राज्य को हो चुका है. आज तोडफोड़ के डर से मुंबई में परिवहन विभाग ने अपनी बसें खड़ी रखीं जिसके कारण राज्य की आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा. औरंगाबाद के एमआईडीसी क्षेत्र में अपने उद्योग चला रहे उद्यमियों ने चेतावनी दी थी कि है कि यदि बार-बार ऐसी ही स्थिति रही, तो वे अपने उद्योग औरंगाबाद से कहीं और ले जाने को मजबूर हो जाएंगे.

288 सदस्यों की विधानसभा में भी 114 सदस्य मराठा समुदाय से हैं

बता दें कि सरकारी नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं में 16 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर हुए इस आंदोलन में अब तक तीन लोग खुदकुशी कर चुके हैं. राज्य में करीब 30 फीसदी आबादी वाला मराठा समुदाय राजनीति में भी खासा दबदबा रखता है. महाराष्ट्र में 30 फीसदी से अधिक आबादी मराठा समुदाय की है. 288 सदस्यों की विधानसभा में भी 114 सदस्य मराठा समुदाय से हैं. सूत्रों की मानें तो अगर मराठा समुदाय असंतुष्ट रहा तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के समीकरण बिगड़ सकते हैं, इसलिए सरकार इस मामले को भविष्य की मुसीबत नहीं बनने देना चाहती है.

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