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पाकिस्तान चुनाव: 'चाहे कोई भी जीते कश्मीर मुद्दे पर अंतिम फैसला सेना ही करेगी'

कश्मीर के अलगाववादियों ने कहा कि इस बार पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने कश्मीर समस्या के समाधान को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने से बचने की कोशिश की है

Updated On: Jul 25, 2018 07:21 AM IST

Ishfaq Naseem

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पाकिस्तान चुनाव: 'चाहे कोई भी जीते कश्मीर मुद्दे पर अंतिम फैसला सेना ही करेगी'

पाकिस्तान में बुधवार यानी 25 जुलाई को मतदान होना है. इससे एक दिन पहले मंगलवार को कश्मीर के अलगाववादियों ने कहा कि इस बार पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने कश्मीर समस्या के समाधान को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने से बचने की कोशिश की है.

हुर्रियत (एम) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुख ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक दलों के लिए कश्मीर बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं रहा. इन दलों का अपने अंदरुनी मसलों का समाधान खोजने पर ज्यादा जोर रहा.

यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब पीएमएल (एन) के अध्यक्ष और पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के दावेदार शाहबाज शरीफ ने कहा कि वो कश्मीर का पाकिस्तान के साथ एकीकरण करने की कोशिश करेंगे. पीटीआई के चेयरमैन इमरान खान ने कहा कि अनसुलझा कश्मीर मुद्दा उपमहाद्वीप की शांति के लिए खतरा है.

क्या कहना है अलगाववादी नेताओं का?

इससे पहले वरिष्ठ अलगाववादी नेता और हुर्रियत (जी) के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने कहा था कि मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल (एमएमए) के अध्यक्ष मौलान फजलुर रहमान को कश्मीर पर पाकिस्तानी संसद की विशेष समिति के चेयरमैन पद से हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सरकार को वैसे व्यक्ति को नियुक्ति करना चाहिए जो कश्मीर मसले पर बोल सके. एमएमए प्रमुख इसलिए निशाने पर आए क्योंकि उन्होंने आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी की मौत के बाद 'कश्मीर में भारतीय ज्यादतियों' के बारे में चुप्पी साधे रखी.

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कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहे पाकिस्तान चुनाव में पीएमएल (एन), पीटीआई और एमएमए के बीच कांटे की टक्कर है. प्रचार के दौरान जमकर हिंसा हुई. आतंकवादी संगठनों ने चुनावी रैली को निशाना बनाया. दूसरी तरफ राजनीतिक दलों ने 'भ्रष्टाचार' और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क करने का आरोप लगाया.

Indian police officers detain Mirwaiz Umar Farooq, Kashmir's chief cleric and chairman of the moderate faction of Hurriyat (Freedom) conference, during a protest in Srinagar June 17, 2010. Indian police in Srinagar on Thursday detained top leaders of the conference including Farooq and several supporters following a protest march led by Farooq to the office of United Nations Military Observers Group in India and Pakistan to handover a memorandum highlighting what Hurriyat says are the increasing human rights violations on Kashmiri people by Indian security forces in the Himalayan region. REUTERS/Fayaz Kabli (INDIAN-ADMINISTERD KASHMIR - Tags: CIVIL UNREST POLITICS) - GM1E66H17Q901

मीरवाइज ने कहा, 'पाकिस्तान में प्रचार के दौरान आंतरिक मसले छाए रहे. हमने कश्मीर की स्थिति पर किसी राजनीतिक दल की ओर से आक्रामक प्रचार नहीं देखा. यह सही है कि सभी दलों ने कश्मीर को अपने एजेंडे में रखा है लेकिन फिर भी प्रचार में कश्मीर बड़ा मुद्दा नहीं है. प्रचार में जोर पूरी तरह पाकिस्तान के आंतरिक मुद्दों पर रहा.'

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उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि पाकिस्तान में चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार कश्मीर समस्या के समाधान के लिए कितनी गंभीरता से काम करती है. मीरवाइज ने कहा, 'जो भी सरकार पाकिस्तान में सत्ता में आएगी, उसके लिए कश्मीर मसला विदेश नीति का अहम एजेंडा होगा. लेकिन यह देखना होगा कि चुनावी घोषणा पत्र को लागू करने में कितनी गंभीरता दिखाई जाती है. यह देखना होगा कि वो अपने एजेंडे को लागू करने में कितने सफल हो पाते हैं.'

इस मुद्दे पर है अलगाववादियों के बीच मतभेद

हालांकि इस बात को लेकर अलगाववादी नेताओं की राय बंटी हुई है कि 'क्या पाकिस्तान की नई सरकार' कश्मीर में जनमत संग्रह वाले संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से बाहर जाकर भारत सरकार के साथ वार्ता शुरू करेगी.

पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने चार सूत्री प्रस्ताव पेश किया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को लागू करने की पाकिस्तान की मांग से हटकर देखा गया. गिलानी ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए इस फॉर्मूले का विरोध किया था. इसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों तरफ भारत और पाकिस्तान की सेनाओं की तैनाती में कटौती, एलओसी के दोनों तरफ लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना, स्वशासन और भारत और पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर पर संयुक्त निगरानी शामिल थी.

Syed Ali Shah Geelani

हालांकि पाकिस्तान में मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है. मीरवाइज ने कहा कि ये चार सूत्री फॉर्मूला 'सरकार की आधिकारिक नीति' थी. लेकिन हुर्रियत (जी) के प्रवक्ता गुलाम अहमद गुलजार ने कहा कि मुशर्रफ की नीति उनकी 'निजी राय' थी.

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हालांकि गुलजार और मीरवाइज दोनों का मानना है कि पाकिस्तान की अंदरुनी राजनीति को छोड़ दें तो नई सरकार कश्मीर समस्या के समाधान को समर्थन जारी रखेगी. गुलजार ने कहा, 'कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की आधिकारिक नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हुर्रियत का हमारा धड़ा खुलकर मुशर्रफ के फॉर्मूले का विरोध करता रहा है क्योंकि यह कश्मीर समस्या का समाधान नहीं है. लेकिन यह उनकी निजी राय है, न कि पाकिस्तान के लोगों की.'

पाकिस्तानी सेना ही लेगी अंतिम फैसला

मौलान फजलुर रहमान और कश्मीर पर मुशर्रफ की नीति पर गिलानी के हमले को छोड़ दें तो कश्मीर पर अलगाववादी नेता हमेशा से पाकिस्तान की आधिकारिक लाइन पर चलते रहे हैं. कश्मीर में कई अलगाववादी नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान में चाहे जो जीते, लेकिन कश्मीर से जुड़ी नीति पर फैसला वहां की सेना ही करेगी. उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से बाहर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मुशर्रफ इसलिए फॉर्मूला दे पाए कि वो खुद सेना प्रमुख थे.

गुलजार ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के विपरीत पाकिस्तान के किसी भी राजनीतिक दल का कश्मीर में सीधे या उनके किसी भी पदाधिकारी के माध्यम से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

नाम गुप्त रखने की शर्त पर अलगाववादी नेताओं ने कहा कि पीएमएल (एन) ने भी पाकिस्तानी सेना पर चुनाव में हस्तक्षेप और पीटीआई को समर्थन करने का आरोप लगाया है, कश्मीर की राजनीति पर सीधे सेना का नियंत्रण रहता है. उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना हर दिन के आधार पर कश्मीर की स्थिति की निगरानी करती है.

हालांकि मीरवाइज ने कहा, 'पाकिस्तान के लोगों ने हमेशा कश्मीर मसले का समर्थन किया है, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मसले पर आमराय बना सकता है.'

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