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UIDAI का बड़ा बयान, 50 करोड़ मोबाइल नंबर नहीं होंगे बंद

आधार वेरिफिकेशन के जरिए लिए गए सिम कार्ड को अगर किसी दूसरे आइडेंटिफिकेशन प्रक्रिया का बैकअप नहीं मिला, तो ये जल्द ही डिसकनेक्ट या डिएक्टिव हो जाएंगे

Updated On: Oct 18, 2018 11:12 AM IST

FP Staff

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UIDAI  का बड़ा बयान, 50 करोड़ मोबाइल नंबर नहीं होंगे बंद

देश के 50 करोड़ मोबाइल यूजर्स का नंबर बंद होने की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही थी लेकिन अब इसे अफवाह बताया जा रहा है. पहले इस खबर में बताया जा रहा था कि जिन मोबाइल यूजर्स ने कनेक्शन लेने के दौरान आधार कार्ड के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र नहीं दिया है उनका सिम डिसकनेक्ट हो जाएगा लेकिन अब दूरसंचार विभाग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने मीडिया में चल रही ऐसी खबरों को अफवाह बताया है. बयान जारी करते हुए बताया गया है कि मीडिया में 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के नंबर जल्द ही बंद होने की बात कही जा रही है जो कि देश में लगभग कुल मोबाइल सर्कुलेशन का आधा है. ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि आधे से ज्यादा कनेक्शन बंद कर दिए जाएं. ये बिल्कुल गलत खबर फैलाई जा रही है.

इससे पहले खबर थी कि देश के 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के नंबर जल्द ही बंद हो सकते हैं. यह खतरा उन मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए था जिन्होंने कनेक्शन लेने के दौरान आधार कार्ड के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र नहीं दिया था. ऐसे में केवल आधार कार्ड देकर मोबाइल कनेक्शन लेने वाले लोगों को नई केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता. आधार वेरिफिकेशन के जरिए लिए गए इन सिम कार्ड को अगर किसी दूसरे आइडेंटिफिकेशन प्रक्रिया का बैकअप नहीं मिला, तो ये जल्द ही डिसकनेक्ट या डिएक्टिव हो जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी निजी कंपनी किसी व्यक्ति के यूनिक आईडी का इस्तेमाल पहचान के लिए नहीं कर सकती है. वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक बीते बुधवार को टेलीकॉम सेक्रेटरी अरुण सुंदरराजन ने इस मामले में सेवाप्रदाता कंपनियों से मुलाकात की थी और ऑथेंटिकेशन के किसी दूसरे तरीकों पर विचार किया था. वहीं इस समस्या को लेकर टेलीकॉम विभाग भी यूआईडीएआई से बातचीत कर रहा था. अरुण सुंदरराजन ने बताया था कि इस विषय को लेकर सरकार बहुत गंभीर है और इससे निकलने के लिए दूसरे विचारों पर चर्चा हो रही है. उन्होंने बताया था कि सरकार चाहती है कि नई प्रक्रिया के कारण लोगों को परेशान न होना पड़े. उन्होंने बताया कि हम चाहते हैं कि एक सरल प्रक्रिया के तहत ये काम हो, जिसमें उपभोक्ताओं को कम से कम समस्या का सामना करना पड़े.

वहीं मीडिया में ये बात भी चल रही थी कि इससे पहले रिलायंस जियो ने केवल आधार कार्ड लेकर सबसे ज्यादा मोबाइल कनेक्शन लोगों में बांटे थें जियो का पूरा डेटाबेस और नेटवर्क ऑपरेशन बायोमेट्रिक पहचान पर आधारित है. कंपनी ने बताया कि इस साल के सितंबर महीने तक जियो के 25 करोड़ यूजर्स बन चुके हैं. जियो के अलावा भारती एयरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएल और एमटीएनएल का नंबर यूज कर रहे लोगों पर भी खतरा मंडरा रहा है.

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