राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के मसौदे से बाहर किए गए 40 लाख लोगों में से करीब 3. 5 लाख लोगों ने दावा किया है कि वे भारतीय नागरिक हैं. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली इस कवायद में दावों और आपत्तियों को लिए जाने पर यह बात सामने आई है. सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.
दावे और आपत्तियां लेने का कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ था.
अधिकारियों को 100 से भी कम ऐसे आवेदन मिले हैं जिनमें NRC में संदिग्ध अवैध घुसपैठियों के नाम शामिल होने को चुनौती दी गई है.
अब तक करीब 3. 5 लाख लोगों ने NRC में अपना नाम शामिल कराने के लिए आवेदन जमा किया है और उन्होंने उन्हें प्रासंगिक दस्तावेज भी सौंपे हैं.
इस अवधि के दौरान कम संख्या में दावे और आपत्तियां प्राप्त होने को लेकर नयी दिल्ली में शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन सहित अन्य शामिल हैं.
NRC के मसौदे का प्रकाशन 30 जुलाई को किया गया था, जिससे करीब 40 लाख लोगों का नाम बाहर किए जाने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
असम 20वीं सदी के प्रारंभ से ही बांग्लादेश के लोगों की घुसपैठ से जूझ रहा था. असम एकमात्र राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक पंजी है जिसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था.
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