हमारे देश में ट्रेन लेट की समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन संसद में शुक्रवार को ट्रेन लेट होने के जो आंकड़े रेल मंत्रालय ने पेश किए वह कई लोगों को परेशान कर सकते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के बीच 450 से 1.48 ट्रेन अपने लक्ष्य पर पहुंचने में लेट हुईं. इसमें सबसे बुरी स्थिति मेल और एक्सप्रेस ट्रेन की है. इस बीच करीब 75,880 मेल और एकसप्रेस ट्रेन लेट हुईं हैं. इसके बाद सबसे बुरी स्थिति सुपरफास्ट ट्रेन की है, 60,856 सुपरफास्ट ट्रेन इस बीच लेट हुई हैं. वहीं 7,000 प्रीमियम ट्रेन जैसे राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनें लेट हुईं. इन आंकड़ों में लोकल ट्रेन शामिल नहीं हैं.
सबसे ज्यादा ट्रेनें कोहरे के चलते दिसंबर से जनवरी के बीच लेट हुई हैं. अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक रेलवे की प्रतिदिन 12,600 ट्रेनें 66,000 किमी का आंकड़ा तय करती हैं. रेलवे सुपरफास्ट ट्रेन के लिए अलग से ज्यादा शुल्क लेता है, इनकी औसतन रफ्तार 55 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह शुल्क चेन्नई से दिल्ली के बीच 30 रुपए स्लीपर क्लास, 45 रुपए एसी 3 टायर और 2 टायर के लिए है वहीं 75 रुपए फर्स्ट क्लास एसी के लिए है.
अगर ट्रेन लेट होती है या 55 किमी प्रति घंटा से धीरे चलती है तो ऐसी स्थिति में भी यात्रियों से लिया गया अधिक शुल्क उन्हें वापस नहीं किया जाता.
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