सरकार ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा समय में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को असम के अलावा किसी दूसरे राज्य में क्रियान्वित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. लोकसभा में प्रसून बनर्जी के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने यह जानकारी दी.
अहीर ने कहा, 'एक गैर-सांविधिक प्रक्रिया के तौर पर 1951 की जनगणना के दौरान शामिल किए गए सभी व्यक्तियों के विवरण को रिकॉर्ड करते हुए 1951 में असम में एनआरसी तैयार किया गया था.' उन्होंने कहा, 'नागरिकता अधिनियम-1955 और नागरिकता नियमावली-2003 के तहत असम राज्य के लिए विशेष प्रावधानों के अंतर्गत एनआरसी 1951 को अपडेट करने का काम किया जा रहा है. वर्तमान में असम के अलावा अन्य राज्यों में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के विस्तार का कोई प्रस्ताव नहीं है.'
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) में दावे पेश करने के लिए और राहत दी थी. कोर्ट ने दावे पेश करने की आखिरी तारीख 15 दिसंबर, 2018 से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया था. केस की सुनवाई के दौरान एनआरसी के कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में जितने 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं हुआ था, उनमें से अभी तक 14.8 लाख लोगों ने ही अभी तक ही अपने दावे पेश किए हैं.
बता दें कि एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट 30 जुलाई को प्रकाशित होने के बाद करीब 40 लाख आवेदक इससे बाहर रह गए लेकिन दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है और इसकी अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2018 कर दी गई है.
(एजेंसी से इनपुट)
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