मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर सकता है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि नोटों को बदलने के लिए सरकार ने लोगों को पर्याप्त समय नहीं दिया है. इस फैसले से देश में अराजकता बढ़ेगी और लोग परेशान होंगे.
याचिकाकर्ता ने कहा है, 'प्रधानमंत्री की घोषणा कालेधन, जाली नोटों और चरमपंथ को उखाड़ फेंकने के लिए आया है. लेकिन ठीक इसी समय इस आर्थिक फैसले ने भारत की सवा अरब जनता के सामने संकट पैदा कर दिया है. यह आम आदमी के जीवन में आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है.'
आठ नवंबर को टीवी के जरिए देश को दिये संदेश में पीएम मोदी ने पांच सौ और एक हजार रुपए मूल्य के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी.
जिसके बाद देश की समूची सियासत में भूचाल आ गया. विपक्ष ने मोदी सरकार के फैसले को आर्थिक इमरजेंसी करार दिया और फैसला वापस लेने की मांग की .
उधर एक वकील ने याचिका दायर कर फैसले पर तत्काल रोक लगाने की मांग की. जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस याचिका को तत्काल सुनवाई के लिये लाया गया था. जिस पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है. केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए एक कैवियट दाखिल कर कहा है कि कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले सर्वोच्च अदालत सरकार का पक्ष भी सुने.
पीएम मोदी के एलान के बाद देश में करंसी संकट खड़ा हो गया. सैकड़ों की भीड़ बैंकों और एटीएम पर घंटों लाइन में खड़ी हुई है. हालांकि केंद्र सरकार ने दो हजार और पांच सौ रुपए के नए नोट जारी किए हैं. लेकिन सौ-सौ के नोटों की कमी के चलते एटीएम वीरान पड़े हैं और बैंकों में लंबी कतारों की वजह से आम आदमी परेशान दिखाई दे रहा है.
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