भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि किसी अज्ञात शव के फिंगरप्रिंट का मिलान उसके डेटाबेस में संरक्षित 120 करोड़ लोगों के बायोमैट्रिक्स से कराना तकनीकी रूप से संभव नहीं है. यूआईडीएआई ने मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ से कहा कि फिंगरप्रिंट, आंख की पुतली सहित बायोमैट्रिक्स का मिलान आमने सामने से किया जाता है और इसके लिए आधार संख्या की जरूरत पड़ती है.
कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केन्द्र और यूआईडीएआई को अज्ञात शवों की पहचान के लिए आधार बायोमैट्रिक्स के इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. पीठ ने यूआईडीएआई से जानकारी रिकार्ड में लाने और याचिका पर अपने जवाब में यह बताने को कहा कि आधार डेटाबेस के साथ फिंगरप्रिंट का मिलान संभव क्यों नहीं है.
कोर्ट ने याचिका पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का जवाब मांगा. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए अगले साल पांच फरवरी की तारीख तय की.
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