देश के दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए पश्चिम बंगाल बाल विवाह के मामले में बहुत आगे निकल गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने साल 2015-16 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के हवाले से यह रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक 15 से 19 साल की लड़कियों की शादी किए जाने के सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल में देखे जा रहे हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल ने राजस्थान जैसे राज्य को भी काफी पीछे छोड़ दिया है, जहां लड़कियों की छोटी उम्र में ही विवाह करने की परंपरा बहुत पहले से रही है.
बाल विवाह में केवल 8 प्रतिशत अंक की गिरावट देखने को मिली है
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005-06 में किए गए एनएफएचएस-3 में बाल विवाह के मामले में बिहार सबसे आगे था. उसके बाद झारखंड और राजस्थान का नंबर था. एनएफएचएस-3 में बंगाल चौथे स्थान पर था लेकिन दस साल बाद एनएफएचएस-4 में वह इस सूची में सबसे आगे हो गया है. सर्वे के मुताबिक इन सालों में यहां बाल विवाह में केवल 8 प्रतिशत अंक की गिरावट देखने को मिली है. वहीं बीमारू राज्य कहे जाने वाले बिहार, झारखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बाल विवाह में 20 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है.
ज्यादातर राज्यों में बाल विवाह दर में लगातार कमी आई है
इसके अलावा, सर्वे के तहत जिला स्तर पर किया गया विश्लेषण बताता है कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा (39.9 प्रतिशत) बाल विवाह होते हैं. उसके बाद गुजरात के गांधीनगर (39.3 प्रतिशत) और राजस्थान के भीलवाड़ा (36.4 प्रतिशत) जिले का नंबर आता है. वहीं, किसी राज्य के कितने जिले अब भी बाल विवाह से प्रभावित है, इस मामले में बिहार सबसे आगे है. वहां 20 जिलों में बाल विवाह प्रचलन में है. उसके बाद पश्चिम बंगाल (14 जिले) और झारखंड (11 जिले) के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश और मणिपुर को छोड़ कर ज्यादातर राज्यों में बाल विवाह दर में लगातार कमी आई है. देश में 15 से 19 साल की लड़कियों के विवाह किए जाने की राष्ट्रीय औसत दर 11.9 प्रतिशत हो गई है.
यह मामला सीधे तौर पर परिवार की आय से जुड़ा हुआ है
आश्चर्य की बात नहीं है कि बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए, यह औसतन 14.1% है, जबकि शहरी भारत में यह 6.9% है. यह मामला सीधे तौर पर परिवार की आय से जुड़ा हुआ है. लड़की के परिवार में अधिक शिक्षित और अच्छी तरह से जीवनयापन करने वाले लोग कम से कम बाल विवाह करने की संभावना रखते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि अनुसूचित जनजाति (15%) और अनुसूचित जाति (13%) में बाल विवाह का सर्वाधिक प्रचलन है.
18 साल की उम्र तक 31% लड़कियां मां बन जाती हैं
अधिकांश बाल विवाह सामाजिक योजना और परिवार नियोजन पर ज्ञान की कमी के कारण किशोर गर्भावस्था में होते हैं. 15 से 19 साल के बीच शादी करने वाली लगभग तीन लड़कियों में से एक के बच्चे की मौत हो जाती है जबकि वह खुद भी किशोर होती है. उनमें से लगभग एक चौथाई की उम्र सिर्फ 17 साल होती है और 18 साल की उम्र तक 31% लड़कियां मां बन जाती हैं. इस उम्र में लड़कियों को पढ़ना होता है और आत्मनिर्भर बनना होता है.
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