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बेकार पड़ गए मशीनगन जल्द खरीदे जा सकेंगे यादगार स्वरूप, पुराने हथियारों के निपटारे के लिए सरकार की योजना

8 साल की देरी के बाद सरकार ने आखिरकार पुराने और बेकार हथियारों के निपटारे की गाइडलाइन्स तय कर दी है. हालांकि, यह हथियार इस हालत में नहीं मिलेंगे कि आप इन्हें चला सकें. इन्हें केवल सजावट के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा सकेगा

Updated On: Dec 16, 2018 01:33 PM IST

Yatish Yadav

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बेकार पड़ गए मशीनगन जल्द खरीदे जा सकेंगे यादगार स्वरूप, पुराने हथियारों के निपटारे के लिए सरकार की योजना

क्या आप अपने घर में लाइट मशीनगन को सजावट के तौर पर रखना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो आपकी यह ख्वाहिश जल्द ही पूरी होने वाली है. जल्द ही आप को ऐसे प्रतिबंधित हथियार यादगार निशानी के तौर पर खरीदने का मौका मिलेगा. हालांकि, यह हथियार इस हालत में नहीं मिलेंगे कि आप इन्हें चला सकें. इन्हें केवल सजावट के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा सकेगा.

8 साल की देरी के बाद सरकार ने आखिरकार पुराने और बेकार हथियारों के निपटारे की गाइडलाइन्स तय कर ही दी है. यह वो हथियार हैं जो केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के पास जमा हो गए हैं. इन हथियारों के निपटारे का सवाल केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने पहली बार अक्टूबर 2010 में उठाया था. फ़र्स्टपोस्ट ने इससे जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन किया. इससे कई बातें सामने आई हैं. जैसे कि एक सुझाव यह भी है कि इस्तेमाल न किए जा सकने वाले हथियारों को यादगार निशानी के तौर पर रखने का मौका दिया जाए. इनमें मशीनगन जैसे हथियार शामिल हैं.

हथियारों को नष्ट करने से पहले काम आ सकने वाले कल-पुर्जे निकालकर अलग करने का भी प्रस्ताव 

इसके अलावा इन बेकार हो चुके हथियारों को नष्ट करने से पहले इनके काम आ सकने वाले कल-पुर्जे निकालकर अलग करने का भी प्रस्ताव है, ताकि खराब हथियारों की मरम्मत में यह कल-पुर्जे इस्तेमाल हो सकें. खाली कारतूसों को नष्ट करने से पहले उन्हें पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया जाएगा. इसके बाद इन हथियारों और कारतूसों को सरकारी कंपनी एमसटीसी लिमिटेड यानी मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉरपोरेशन के जरिए बेचा जाएगा.

आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक हथियारों को परिभाषित किया गया है. लाइट मशीनगन अपने इस्तेमाल के वक्त एक बार में 100 गोलियां दागने में सक्षम होती है. करीब से मार करने वाले हथियारों में एलएमजी बेहतरीन मानी जाती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

अर्धसैनिक बलों के पास जमा होते जा रहे बेकार और निष्क्रिय हथियारों के ढेर के निपटारे को लेकर ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड से 2010 में ही चर्चा हुई थी. ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड इन हथियारों को अपने एक कारखाने की भट्टियों में गलाकर नष्ट करने को भी तैयार था. लेकिन ओएफबी ने इसके लिए एक शर्त रखी. वो यह कि ऐसे हथियारों को लाने-ले जाने और गलाकर नष्ट करने से पहले तक इनकी सुरक्षा की जानकारी संबंधित पुलिस बल की ही होगी. दिसंबर 2012 में असम राइफल, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स, इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल और सीआरपीएफ के अधिकारियों की एक बैठक हुई. इसमें बेकार हथियारों को नष्ट करने और इन हथियारों के इस्तेमाल होने लायक कल-पुर्जों को अलग करने के विकल्पों पर अहम चर्चा हुई. इस बैठक के दौरान अधिकारियों ने इन हथियारों को सुरक्षित रूप से लाने-ले जाने और इस्तेमाल होने लायक कल-पुर्जों के बेहतर इस्तेमाल के विकल्पों पर भी गौर किया.

बेकार पड़ गए हथियारों को कई टुकड़ों में बांट देने का सुझाव

बाद में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट यानी बीपीआरएंडडी ने सुझाव दिया कि ऐसे बेकार हथियारों को कई टुकड़ों में बांटना होगा. फिर इनके इस्तेमाल होने लायक कल-पुर्जे बाकी हिस्सों से अलग करने होंगे. इसके बाद यह तय करना होगा कि किस प्रक्रिया के बाद इन हथियारों को अपने रिकॉर्ड से हटाना होगा. इस विचार-विमर्श के दौरान यह सलाह भी दी गई कि केंद्रीय पुलिस बल भी पुराने और बेकार हथियारों के निपटारे के लिए उस प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं, जो रक्षा मंत्रालय और सेना का मास्टर जनरल ऑफ ऑर्डनेंस अपनाता है. अब कई राज्य सरकारों ने भी अपने पुराने और बेकार हथियारों के निपटारे के लिए तरीका सुझाने की गुजारिश की है. तो हथियारों के निपटारे पर विचार-विमर्श के लिए राज्यों के पुलिस अधिकारियों को भी बुलाया गया था. इन बैठकों से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि किसी भी हथियार को बेकार घोषित करने की एक तय प्रक्रिया होगी.

'मोर्चे पर तैनात टीमें ऐसे हथियारों को एक जगह जमा कर के उनकी फेहरिस्त बनाएंगी. इसके बाद इन हथियारों को केंद्रीय हथियार भंडार या पुलिस बलों के हथियार संबंधी विभागों के पास जमा कराया जाएगा. इसके बाद संबंधित केंद्रीय बल के मुख्यालय अपने अधिकारियों की कमेटी को इन हथियारों के निपटारे का सुझाव देने के लिए कहेंगे. कमेटियों के सुझाव के आधार पर इन हथियारों को पहले बेकार घोषित किया जाएगा. इन हथियारों के कल-पुर्जों की उपयोगिता पर फैसला लेने के लिए सभी संबंधित लोगों से मशविरा किया जाएगा. इसके बाद हथियार नष्ट करने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास आखिरी फैसला लेने के लिए भेजा जाएगा. गृह मंत्रालय ही ऐसे हथियारों को इस्तेमाल न होने लायक/बेकार घोषित करेगा.'

An assortment of 5250 illicit firearms and small weapons, recovered during various security operations is arranged in a stock-pile before its destruction in Ngong hills near Kenya's capital Nairobi, November 15, 2016. REUTERS/Thomas Mukoya - RTX2TREK

प्रतीकात्मक तस्वीर

कुछ हथियार भारत के मित्र राष्ट्रों की पुलिस को भी दिए जा सकते हैं 

एक सुझाव यह भी है कि इस्तेमाल होने लायक कुछ हथियार भारत के मित्र राष्ट्रों की पुलिस को भी दिए जा सकते हैं. अपराधियों और उग्रवादियों से पकड़े गए हथियारों की बात करें तो, इन मामलों में सरकार तभी दखल देगी, जब इनसे जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया और अदालती मामलों का निपटारा हो जाएगा और इन हथियारों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) मिल जाएगा.

फ़र्स्टपोस्ट के हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक, 'पकड़े गए यह हथियार इस्तेमाल होने लायक या बेकार हो चुके हथियारों में बांटे जाएंगे. जो हथियार इस्तेमाल होने लायक होंगे वो हथियार और गोला-बारूद गृह मंत्रालय की इजाजत के बाद केंद्रीय या राज्य पुलिस बलों के आयुध भंडार में जमा करा दिए जाएंगे. वहीं बेकार हो चुके हथियार और गोला बारूद को प्रक्रिया के तहत नष्ट कर दिया जाएगा.'

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