अपराधिक मामलों में जनहित याचिकाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक कठोर टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपराधिक मामलों में जनहित याचिका नहीं दायर की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी उन्नाव रेप केस से संबंधित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की और याचिका को खारिज कर दिया.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में वकील मनोहर लाल शर्मा ने एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस बलात्कार के ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं करती हैं जिनमें मंत्रियों, सांसदों या विधायकों जैसे ताकतवर लोगों की संलिप्तता होती है. यह याचिका उन्नाव रेप केस से संबंधित थी. इस याचिका में वकील ने यह भी आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर पीड़िता के पिता को यातना दी गई जिससे पुलिस हिरासत में उनकी हत्या हो गई. वकील मनोहर लाल शर्मा ने पिछले साल जुलाई में हुए नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले की सीबीआई जांच का भी अनुरोध किया था.
इस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि उन्नाव रेप कांड से वह किस तरह प्रभावित है और इससे उनका क्या संबंध है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या वकील बलात्कार पीड़िता के कोई रिश्तेदार हैं? जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने वकील की जनहित याचिका दायर करने के उसके औचित्य पर ही सवाल उठाते हुए दो टूक कहा कि आपराधिक मामलों में जनहित याचिका नहीं दायर हो सकती है. इसके बाद उन्होंने इसे खारिज करते हुये कहा कि इस पर विचार नहीं किया जा सकता.
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