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PNB बैंकों के विदेशी शाखाओं पर दोष मढ़कर ऑडिटर्स का बचाव कर रही है

पीनएनबी ने पूरी धोखाधड़ी का दोष भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं पर मढ़ने की कोशिश की है. उसका कहना है भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने खतरे की घंटी नहीं बजाई

Updated On: Feb 19, 2018 11:28 AM IST

Yatish Yadav

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PNB बैंकों के विदेशी शाखाओं पर दोष मढ़कर ऑडिटर्स का बचाव कर रही है

जांच एजेंसियों द्वारा तहकीकात शुरू करने से पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक की आंतरिक जांच में अपने ऑडिटरों को क्लीन चिट दे दी गई है. हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी पर बैंक के साथ 11,360 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी का आरोप है. आंतरिक जांच में घोटाले के लिए भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को जिम्मेदार ठहराया गया है. पीएनबी ने माना है कि लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) में कई कमियां थी. इनका आसानी से पता लगाया जा सकता था. यह स्वीकार कर बैंक ने खुद को गलत साबित कर दिया है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भेजी ताजा शिकायत में पीएनबी ने जांचकर्ताओं के सवालों का अस्पष्ट जवाब दिया है और इन्हें आंतरिक जांच की तरफ मोड़ दिया है. इस शिकायत की एक्सक्लूसिव कॉपी फ़र्स्टपोस्ट के पास है.

अपनी गलती छुपा रहा है बैंक

बैंक ने चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, स्टैचुटोरी ऑडिटर्स और इम्पैनल्ड वैल्यूर्स की भूमिका से जुड़े सवालों का जवाब कुछ इस तरह दिया, 'आंतरिक जांच रिपोर्ट में प्रोफेशनल्स की भूमिका का कोई जिक्र नहीं है.' हालांकि बैंक ने कहा, 'एलओयू में कई तरह की विसंगतियां थी, जिन्हें आसानी से पकड़ा जा सकता था.'

फ़र्स्टपोस्ट की तरफ से कई कोशिशों के बावजूद पीएनबी के प्रबंधक निदेशक सुनील मेहता से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क नहीं हो सका. हालांकि एजेंसी के सूत्रों ने कहा, पहली नजर में, यह मामला पूरी तरह पीएनबी की आतंरिक ऑडिट टीम समेत निगरानी रखने वाले अधिकारियों की तरफ से परिचालन विफलता का लगता है. इन अधिकारियों और ऑडिटरों को उचित समय पर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा.

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सीबीआई सूत्रों ने कहा, 'गीतांजलि समूह को जारी फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) बैंकिंग तंत्र में पहुंचे लेकिन लेन-देन की रकम छोटी थी. लेकिन जब भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने इसको क्रेडिट किया तो रिकॉर्ड पर भारी-भरकम रकम दिखाई गई. अगर ऑडिटरों ने पूरे ध्यान से तहकीकात की होती तो यह गड़बड़ी महीने की रिकन्सिलीऐशन रिपोर्ट में निश्चित तौर पर नजर आती. पूर्व में एनपीए से जुड़े कई मामलों में हमने पाया कि बड़ी मछलियों को बचाने की कोशिश की गई, लेकिन जो दोषी हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी.'

पीएनबी ने सीबीआई को बताया कि चोकसी के नियंत्रण वाले गीतांजलि समूह की कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (एसडब्ल्यूआईएफटी यानी स्विफ्ट) सिस्टम का दुरुपयोग किया गया. बैंक ने माना कि उनको कोर बैंकिंग सिस्टम में रजिस्टर्ड किया गया था.

पीएनबी ने सीबीआई से कहा, धोखेबाज अधिकारी (गोकुलनाथ शेट्टी और मनोज करात) ने सीबीएस सिस्टम के ट्रेड फाइनेंस मॉड्यूल में छोटी रकम डालकर और रेफरेंस नंबर जेनरेट कर एफएलसी जारी किया और रकम के लिए स्विफ्ट मैसेज भेजा गया. इसके बाद, सीबीएस सिस्टम के ट्रेड फाइनेंस मॉड्यूल में बिना कोई बदलाव किए, आरोपी अधिकारी ने पहले वाले रेफरेंस पर लाभार्थी बैंक को बढ़ी हुई रकम का संशोधित स्विफ्ट मैसेज भेज दिया. लाभार्थी/विदेशी आपूर्तिकर्ताओं ने विदेशी बैंकों के साथ इस तरह के एफएलसी (स्विफ्ट मैसेज के आधार पर) के तहत तैयार दस्तावेजों को छूट दी थी.

गीतांजलि समूह को 3,032 करोड़ रुपए के अनाधिकृत एलओयू और 1,854 करोड़ रुपए के अनधिकृत एफएलसी जारी किए गए थे.

sunil mehta pnb

एक-दूसरे पर दोष

पीनएनबी ने पूरी धोखाधड़ी का दोष भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं पर मढ़ने की कोशिश की. भारतीय स्टेट बैंक की मॉरीशस और फ्रैंक्फर्ट शाखाएं, बैंक ऑफ इंडिया की एंटवर्प शाखा, कैनरा बैंक की बहरीन शाखा, यूको बैंक की हांगकांग शाखा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक और इलाहाबाद बैंक की विदेशी शाखाओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने जाली एलओयू पर खतरे की घंटी नहीं बजाई.

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पीएनबी ने सीबीआई को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक मोती समेत अर्ध-कीमती और कीमती पत्थरों के आयात के लिए खरीदार का बकाया कर्ज 90 दिन से आगे बढ़ाया नहीं जा सकता है. हालांकि, अधिकतर मामलों में एलओयू में स्वीकृत कर्ज को 90 से अधिक दिन के लिए आगे बढ़ाया गया. पीएनबी के मुताबिक एलओयू को करीब 360 दिनों के लिए मान्य किया गया.

पीएनबी रिपोर्ट के मुताबिक, 'खरीददार के कर्ज की समयसीमा बढ़ने को लेकर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को शक जताना चाहिए था. इन बैकों ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं होने पर कभी चेतावनी जारी नहीं की और फर्जी एलओयू के आधार पर रकम जारी करते रहे.'

यह साबित करने का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि ये आयात लेन-देन वैध व्यापारिक लेन-देन हैं. दिलचस्प बात यह है कि पीएनबी ने 16 फरवरी को बयान जारी कर दावा किया था कि उसने फर्जी गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई का फैसला किया है ताकि 'सरकार के पारदर्शी बैकिंग और सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके.'

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सीबीआई जिन तीन कंपनियों की जांच कर रही है, उनमें गीतांजलि जेम्स लिमिटेड को 2,144 करोड़ रुपए के एलओयू जारी किए गए थे. गिलि इंडिया लिमिटेड को 566 करोड़ और नक्षत्र ब्रांड लिमिटेड को 321 करोड़ रुपए के एलओयू जारी हुए थे. तीनों कंपनियों को 1,854 करोड़ रुपए के एफएलसी जारी किए गए थे. हांगकांग स्थित इनटेसा सानपाओलो बैंक भी इस कथित घोटाले का शिकार हुआ है.

गीतांजलि जेम्स को 14.16 करोड़ रुपए का एक एफएलसी जारी हुआ था. पिछले साल 2 मार्च और 14 मार्च को वित्तपोषण बैंक एसबीआई की मॉरीशस शाखा के लिए 33 एलओयू जारी किए गए थे. कम से कम चार मौकों पर यानी 8,9,10 और 14 मार्च को गीतांजलि जेम्स और गिलि इंडिया लिमिटेड को एक दिन के भीतर कम से कम पांच और सात एलओयू जारी किए गए. एसबीआई की मॉरीशस शाखा को इससे कुल 42 लाख डॉलर का चूना लगा है.

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