कश्मीर में अशांति की वजहों की पड़ताल में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की रिपोर्ट में नया खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा यानी एलओसी से होने वाले व्यापार से मिली रकम से राज्य में इस्लामिक स्टेट समेत विभिन्न आतंकी गुटों की मदद की गई.
इस मामले में एनआईए ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ शिकंजा कस रखा है. जांच एजेंसी ने घाटी में अशांति फैलाने वाले कुछ हुर्रियत नेताओं को नामजद किया है. इनमें जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के उपाध्यक्ष बशीर अहमद बट और सलामाबाद ट्रेडर्स यूनियन के अध्यक्ष हिलाल तुर्की भी शामिल हैं. तुर्की ने इस मामले में बात करने से मना कर दिया. उनका कहना था कि वो एक शोक कार्यक्रम में व्यस्त हैं.
एनआईए के प्रवक्ता आलोक मित्तल ने कहा कि जांच एजेंसी कश्मीर में अशांति की जांच कर रही है. उन्होंने कहा, 'हम सबूत जुटाने की प्रक्रिया में हैं ताकि कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर सकें.'
श्रीनगर के व्यापारी हैं शामिल
एनआईए की रिपोर्ट इस मामले के कुछ प्रोटेक्टेड चश्मदीदों के बयान पर आधारित है. इसमें एलओसी के जरिए कारोबार करने वाले व्यापारियों के नाम भी शामिल हैं. इनमें श्रीनगर के लाल बाजार के व्यापारी गुलाम गिलानी छोटा और बशीर अहमद कुल्लू भी शामिल हैं. इन पर प्रदर्शनों में सक्रियता से हिस्सा लेने का आरोप है, जिसमें आईएएस के झंडे भी लहराए गए.
एनआईए ने यह भी खुलासा किया है कि अधिकारियों के साथ मिलकर व्यापारी श्रीनगर-मुज्जफराबाद एलओसी चेकिंग प्वाइंट पर अपने सामानों की कीमत कम दिखाते हैं. इससे हवाला लेन-देन से आने वाली रकम का उपयोग पत्थरबाजों और आतंकियों को भुगतान में किया जाता है. इसमें बताया गया है कि श्रीनगर के पारिमपोरा फल मंडी में दुकान चलाने वाला एक व्यापारी राजा जहूर खान उरी-मुज्जफराबाद के रास्ते उच्च क्वालिटी के कैलिफोर्निया बादाम तय मात्रा से अधिक भेजता था. अतिरिक्त बादाम बेचने से होने वाली आमदनी को वो अलगाववादियों को देता था.
एनआईए के मुताबिक एक बार में पाकिस्तान से भारत महज आठ टन सामान लाने की अनुमति है. राजा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से नौ टन का आयात करता और इसे नई दिल्ली के व्यापारियों को बेचता था. एक सप्ताह में एलओसी के जरिए आने वाले अतिरिक्त चार-पांच टन सामान की लागत 20 से 25 लाख के बीच होती थी. चूंकि व्यापारी वस्तुओं की अदला-बदली (बार्टर सिस्टम) करते थे, इसलिए कम कीमत की वस्तुएं पाक अधिकृत कश्मीर भेजी जाती थी. इस तरह मिलने वाली रकम का उपयोग कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ाने में किया जाता था.
विरोध प्रदर्शन को देते थे बढ़ावा
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि अलगाववादी नेता खास इलाकों में विरोध-प्रदर्शनों को बढ़ावा देते थे. रिपोर्ट के मुताबिक जेकेएलएफ नेता भट सिविल लाइंस इलाके में पत्थरबाजी के लिए जिम्मेदार थे. वहीं हुर्रियत (एम) के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक, शहर के ओल्ड सिटी इलाके में अपने समर्थकों के माध्यम से यह करवाते थे. यह कहा गया है कि दक्षिण कश्मीर के अस्थिर इलाके पुलवामा, कुलगाम और शोपियां जिलों में यह काम हुर्रियत (जी) के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी के जिम्मे था. ये सब भारत विरोधी भावनाएं भड़काने के लिए जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट में भट के बारे में कहा गया है कि वो 'जेकेएलएफ का मुख्य समर्थक है' और एलओसी व्यापार के जरिए पैसे जमा करता था.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ एलओसी व्यापारी कई फर्म चलाते हैं और पाकिस्तानी व्यापारियों के संपर्क में रहने के लिए यूएई का दौरा भी करते हैं. इस रकम का कुछ हिस्सा अलगाववादियों द्वारा रियल इस्टेट कारोबार के बेनामी लेन-देन में लगाने का आरोप भी है. कुछ एलओसी व्यापारी छद्म फर्म भी चलाते हैं.
हालांकि हुर्रियत (जी) के प्रवक्ता गुलाम अहमद गुलजार का कहना है कि अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप आधारहीन हैं और ये साजिश 'कश्मीर के आजादी आंदोलन को बदनाम' करने की है.
काम करता है पूरा नेटवर्क
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एलओसी व्यापारी राजा 'हर छह महीने' में दुबई की यात्रा करता है और 'क्रॉस एलओसी व्यापार के जरिए जमा रकम के अलावा' उसे 'हवाला चैनल के जरिए' पाकिस्तान से लगातार पैसे मिलते रहे. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में जम्मू और कश्मीर बैंक के पारिमपोरा शाखा में उसके खाते को बैंक ने ब्लॉक कर दिया था क्योंकि इसमें दुबई स्थित फर्मों से कई भारी-भरकम लेन-देन दिखाए गए थे. यह उल्लेख किया गया है कि उसके पास इंडस्ट्रियल स्टेट जैनाकोट में दो क्लोड स्टोरेज हैं. साथ ही हैदरपोरा में तीन कनाल जमीन और कुछ रियल इस्टेट संपत्तियां हैं.
सुरक्षित चश्मदीदों के बयानों के मुताबिक, 'श्रीनगर के सिविल लाइन इलाके में जेकेएलएफ पत्थरबाजी और प्रदर्शनों के लिए धन मुहैया कराता है. बशीर अहम भट जेकेएलएफ का मुख्य समर्थक है और वो राजा जहूर खान के जरिए पैसे की व्यवस्था करता है.'
यह भी पता चला है कि करोड़ों रुपए के टर्नओवर वाले कुछ व्यापारी सैयद अली शाह गिलानी और जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेताओं से नियमित तौर पर मिलते थे.
फिलहाल कुछ अलगाववादी नेता एनआईए की हिरासत में हैं. इन पर आतंकवादियों की शव यात्रा के दौरान पत्थरबाजों और आजादी की भावनाएं भड़काने वालों को धन मुहैया कराने का आरोप है. एनआईए ने साल 2016 के व्यापक प्रदर्शनों के बाद यह जांच शुरू की है. तब ये विरोध-प्रदर्शन हिजबुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद शुरू हुए थे.
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