मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत 11 साल बाद आज यानी सोमवार को फैसला सुना दिया. कोर्ट ने असीमानंद समेत मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत के इस फैसले पर एनआईए ने कहा है कि फैसले की कॉपी मिलने के बाद उसकी जांच करेंगे और आगे की कार्रवाई क्या होगी यह तय किया जाएगा.
18 मई, 2007 को हैदराबाद में हुए इस विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई थी. घटना वाले दिन जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में हुए विस्फोट में 58 लोग घायल हो गए थे.
All accused in Mecca Masjid blast case have been acquitted by Namapally Court #Hyderabad pic.twitter.com/EzHgvnlGXD
— ANI (@ANI) April 16, 2018
असीमानंद के वकील राज्यवर्धन ने कहा कि अभियोजन पक्ष केस में सबूत पेश करने में विफल रहा, इसी कारण नामपल्ली कोर्ट ने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
अदालत द्वारा सभी आरोपियों को बरी कर दिए जाने के बाद न्यूज-18 से बात करते हुए बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अब हम यह कह सकते हैं कि यह हिंदू समुदाय के खिलाफ एक साजिश थी. उन्होंने पीएम मोदी से अपील की है कि वो पूर्व गृह मंत्री पी चिंदबरम और राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराएं.
I had expected it. All the pieces of evidence were engineered, otherwise, there was no Hindu terror angle: RVS Mani, former Under Secretary, Ministry of Home Affairs on all accused in Mecca Masjid blast case acquitted pic.twitter.com/d8lDnqE5cG
— ANI (@ANI) April 16, 2018
गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि ने कहा है कि मुझे इस फैसले की उम्मीद थी. सारे सबूत बनावटी थे. इस मामले में कोई हिंदू आतंकवाद का कोण नहीं था.
People who perpetrated attack(Mecca Masjid) were protected through misuse of agency(NIA), this is what is alarming. How do you compensate those who suffered&were maligned?Will Congress or anyone else who propagated this theory compensate them?:RVS Mani, former MHA Under Secretary pic.twitter.com/jD7bmKeDKh
— ANI (@ANI) April 16, 2018
मणि ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने हमला किया उन्हें एजेंसियों का दुरूपयोग कर बचाया गया. यह अपने आप में चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को बदनाम किया गया, जिन्हें पीड़ा से गुजरना पड़ा, उसकी आप कैसे भरपाई करेंगे. मणि ने पूछा कि क्या कांग्रेस आय कोई अन्य लोग जिन्होंने हिंदू आतंकवाद को फैलाया था वो मुआवजा देंगे.
2011 में एनआईए के पास गया था केस
पुलिस की शुरुआती तफ्तीश के बाद मामला यह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी. और पिछले सप्ताह फैसले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी थी. सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया. इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया था.
कौन थे आरोपी
जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गया. इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल हैं. स्वामी असीमानंद सहित, देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया. एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी.
कौन हैॆं स्वामी असीमानंद ?
स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे. उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी. बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई. असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था. साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है.
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