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यमुना की सफाई की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं : NGT

एनजीटी की हालिया रिपोर्ट में कमिटी ने कहा है कि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग और दिल्ली जल बोर्ड के बीच कोई सामंजस्य ही नहीं बैठ रहा है

Updated On: Feb 09, 2019 07:05 PM IST

FP Staff

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यमुना की सफाई की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं : NGT

नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल द्वारा गठित किए गए यमुना पौल्यूशन मॉनिटरिंग कमिटी ने कहा है कि विभाग के स्तर पर दिल्ली के नालों और यमुना की सफाई की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा.

एनजीटी की हालिया रिपोर्ट में कमिटी ने कहा है कि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग और दिल्ली जल बोर्ड के बीच कोई सामंजस्य ही नहीं बैठ रहा है. विभाग का मानना है कि पानी की गुणवत्ता की जिम्मेदारी उसकी नहीं है. यह दिल्ली जल बोर्ड का काम है. दिल्ली जल बोर्ड कहता है कि यहां के नालें उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते. एनजीटी का फैसला और कमिटी एक्शन प्लान पानी की गुणवत्ता को सुधारने के लिए (aeration)वायु-मिश्रण और ओजोनेशन करने का सलाह देते हैं, लेकिन विभाग स्तर पर इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार ही नहीं है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 10 नहरों में ग्राउंड वाटर की गुणवत्ता सुधारने के लिए कंसल्टेंट्स नियुक्त किए गए हैं. यहां पानी की गुणवत्ता को सुधारने का कार्य किया जाना है, लेकिन इसमें वायु-मिश्रण और ओजोनेशन शामिल नहीं है. समिति ने यह भी कहा, 'यमुना में बहने वाले कम से कम चार प्रमुख नालों के गंदे पानी का इन-सीटू ट्रीटमेंट (in-situ treatment) एक्शन प्लान बनने जा रहा है.प्रारंभिक मूल्यांकन किए जाने के बाद, समिति योजना की समीक्षा करने के लिए एक बैठक बुलाएगी.

अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले नालों को भी सीवरेज नेटवर्क सिस्टम से जोड़ा जाना चाहिए

यमुना में सबसे अधिक प्रदूषक चार प्रमुख नालों, नजफगढ़, सप्लिमेंट्री, शाहदरा, बारापुलाह के माध्यम से आता है. अनुपचारित सीवेज को ट्रैप करने और इसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में ले जाने के लिए विभिन्न योजनाएं चल रही हैं.

कमिटी का कहना है कि हालांकि इसके लिए समन्वति अप्रोच आजमाने की जरूरत है. उदाहरण के तौर पर 2000 करोड़ की लागत वाली इंटरसेप्टर परियोजना की शुरुआत अनुपचारित सीवेज को इकट्ठा करने के लिए की गई थी. लेकिन इसका पूरा इस्तेमाल तब तक नहीं हो सकता जब तक इसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ लिंक नहीं किया जाता. वैसे ही अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले नालों को भी सीवरेज नेटवर्क सिस्टम से जोड़ा जाना चाहिए.

एनजीटी के चेयरपर्सन ए के गोयल ने जुलाई में मॉनिटरिंग कमिटी का गठन किया था और 31 दिसंबर 2018 तक नदी की सफाई के लिए एक कार्य योजना और एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था.

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