एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल को पेश किया है, जिसके बारे में पढ़कर देश के सारे नौकरीपेशा लोग झूम उठेंगे. इस बिल की खास बात यह है कि इसमें ऐसा प्रावधान है जिसके मुताबिक, नौकरी करने वाले लोग अपने ऑफिस आवर्स के बाद कंपनी से आने वाले फोन कॉल्स और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार हासिल कर लेंगे.
द राइट टू डिस्कनेक्ट बिल कर्मचारियों के स्ट्रेस और टेंशन को कम करने की सोच के साथ लाया गया है. इससे कर्मचारी के पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच के तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अपने ही देश में इस तरह के बिल के बारे में चर्चा चल रही है बल्कि दुनिया के कई देश भी इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इसी तरह के प्रावधानों के साथ एक कानून फ्रांस में भी सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से लागू किया गया है. साथ ही साथ न्यूयॉर्क में भी इसे पेश किया गया है और जर्मनी में ऐसा कानून बनाने पर चर्चा चल रही है.
28 दिसंबर को पेश किए गए इस विधेयक में कहा गया है कि एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी. जिसमें आईटी, कम्युनिकेशन और लेबर मंत्री शामिल होंगे. डिजिटल माध्यमों के प्रभाव पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित करने की बात है.
अगर यह बिल कानून का रूप ले लेगा तो ऑफिस आवर्स के बाद किए गए मेल का जवाब न देने पर कंपनी अपने कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी. अगर कर्मचारी तय समयसीमा से अधिक कार्य करता है तो उसे ओवरटाइम माना जाएगा.
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