हाल के कुछ सालों में नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी(एनबीसीसी) कई मामलों को लेकर चर्चा में रही है. दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में रीडेवलपमेंट का मामला हो या फिर रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली के कई अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का मामला हो, या फिर साउथ दिल्ली के कुछ इलाकों में पेड़ काटने के मामले में कोर्ट की फटकार का मामला हो, एनबीसीसी चर्चा में रही है.
साल 2014 में भारत सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद एनबीसीसी आज देश में ही नहीं विदेशों में भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. एनबीसीसी को आज देश की कई राज्य सरकारें अपने यहां आमंत्रित कर रही हैं. कंपनी के पास 80 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर बुक मौजूद है. बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी आज सड़क, होटल, स्वास्थ्य और हेरिटेज इमारतों के रखरखाव पर काम कर रही है.
कंपनी का टर्नऑवर सात हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का हो गया है. साल 2010-11 में जिस कंपनी के पास 1 हजार करोड़ रुपए का भी ऑर्डर बुक नहीं था वह आज 80 हजार करोड़ रुपए तक कैसे पहुंच गया? इन सारे मुद्दों पर एनबीसीसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनूप कुमार मित्तल से फर्स्टपोस्ट हिंदी ने बात की.
अनूप कुमार मित्तल को बीते 1 अप्रैल को ही एनबीसीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के तौर पर एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था. मित्तल साल 2013 में पांच साल की अवधि के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के सीएमडी के रूप में कार्यभार संभाला था. अनूप कुमार मित्तल से फर्स्टपोस्ट हिंदी ने कई सवाल किए, जो इस प्रकार हैं.
सवाल- इसी साल मार्च महीने में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने एनबीसीसी की काफी तारीफ की थी. एनबीसीसी ने तय समय से पहले ही सीआईसी बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा कर दिया था. इस समय जहां प्राइवेट सेक्टर की कई रियल एस्टेट्स कंपनियां खरीददार को घर समय पर उपलब्ध नहीं करा रही हैं ऐसे में आपने समय से पहले ही सीआईसी बिल्डिंग को पूरा करके दे दिया. क्या वाकई में एनबीसीसी के सभी प्रोजेक्ट्स टाइम पर पूरे हो जाते हैं? भविष्य में एनबीसीसी क्या सभी प्रोजेक्ट्स को वक्त पर पूरा कर देगी? कंपनी को अपना लक्ष्य निर्धारित करने और उसे पूरा करने में किन-किन बातों का खयाल रखना पड़ता है?
जवाब- एनबीसीसी किसी प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले उसको पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित कर लेती है. जब कार्य प्रगति पर होता है तो हम लगातार समीक्षा करते रहते हैं. इसके कारण ही हमें लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलती है. टेक्नोलॉजी के माध्यम से लक्ष्य पाने में हमें कामयाबी मिलती है. किसी भी प्रोजेक्ट की सफलता के लिए टीम वर्क और टेक्नोलॉजी का जबरदस्त सामंजस्य बैठाना पड़ता है.
मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैं बीते 30 साल से इस कंपनी के साथ जुड़ा हूं. मुझे अच्छी तरह मालूम है कि कौन आदमी किस जगह रह कर कितना अच्छे तरीके से काम कर सकता है. हमने कंपनी में डिजिटाइजेशन, सिस्टम और ट्रांसपेरेंसी पर बहुत काम किया है. अगर आप देखें तो दूसरी कंस्ट्रक्शन कंपनियां अनऑरगनाइज्ड तरीके से ही ज्यादा काम करती हैं. हमने कंपनी के अंदर एक सिस्टम डेवलप किया है.
रही बात और प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की तो हम टाइम पर ही अपने सभी प्रोजेक्ट्स पूरा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. हां, दिल्ली में कुछ प्रोजेक्ट्स के बारे में हम अभी कुछ नहीं कह सकते हैं, क्योंकि यह मामला कोर्ट में चल रहा है. इसके बावजूद एनबीसीसी के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है. कई प्राइवेट सेक्टर से लेकर राज्य सरकारों तक एनबीसीसी पर सबसे पहले भरोसा जाता है.
सवाल- आप इस कंपनी में 1985 से ही हैं. इस कंपनी ने पिछले कुछ सालों में अच्छा रिटर्न दिया है. खासकर लोगों का विश्वास इस कंपनी के साथ बढ़ा है. साल 2013 में जब आप इस कंपनी के चेयरमैन बने थे तो मार्केट केपिटल 1100 करोड़ रुपए था, जो बढ़ कर अब लगभग 25 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. क्या आप बता सकते हैं कि इतना जंप जो आपने हासिल किया उसमें सरकार का सपोर्ट कितना मिला?
जवाब- देखिए 2013 में कंपनी के चेयरमैन बनने से पहले भी मैं इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल था. मुझे कंपनी के स्ट्रेंथ के बारे में अच्छी तरह से पता था. हमलोगों ने फैसला किया कि कंपनी को अब किस डायरेक्शन में आगे ले जाना है और क्या-क्या संभावनाएं हमारे पास है.
आपको बता दें कि साल 2010-11 के बाद सरकार के डेवलमेंट प्रोजेक्ट्स के बजट में काफी कमी आ गई थी. हमलोगों ने फैसला किया कि जिस तरह से दिल्ली के मोती बाग कॉम्प्लेक्स में रीडेवलपमेंट का मॉडल शुरू किया गया था. उसी मॉडल को आगे बढ़ाएंगे. इस मॉडल के अंदर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को हमलोग उसी जगह से पूरा करते हैं.
इस मॉडल के बारे में हमने सरकार को भी बताया, सरकार को यह मॉडल बहुत पसंद आया. आपको बता दूं कि 100 एकड़ की मोती बाग कॉम्प्लेक्स के पैसे से ही हमने लीला होटल बनाया था. वैसा ही मॉडल हमलोगों ने दिल्ली में किदवई नगर पर आजमाया. हमने कंपनी के कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के बजाए इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी पर ज्यादा फोकस किया.
सवाल- दिल्ली हाईकोर्ट ने साउथ दिल्ली के कई इलाकों में एनबीसीसी के प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी है. हालांकि नेहरू नगर में चल रहे प्रोजेक्ट्स को कोर्ट से इजाजत मिल गई है. इसके बावजूद एनजीटी और दिल्ली विधानसभा ने एनबीसीसी द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर सवाल-जवाब किया है. एनबीसीसी को इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने लिए 16 हजार से भी ज्यादा पेड़ों को काटने की इजाजत चाहिए. लोगों का भी भारी विरोध हो रहा है. ऐसे में कई और प्रोजेक्ट्स पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों नहीं एनबीसीसी संतुष्ट कर पा रही है? क्या इन परियोजनाओं को लेकर एनबीसीसी मुश्किलों में तो नहीं घिर गई है?
जवाब- देखिए यह मामला कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट ने तो यह नहीं कहा है कि यह गलत है पर इस मामले में हमसे जवाब मांगा है. देखिए पर्यावरण की सुरक्षा होनी चाहिए इसके साथ-साथ विकास भी होना जरूरी है. 200 करोड़ लोगों का यह शहर है. एनबीसीसी एक सरकारी कंपनी है. इसमें मेरा या एनबीसीसी का कोई निजी हित नहीं जुड़ा है.
सरोजनी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, कस्तूरबा नगर और नौरोजी नगर इलाकों में जहां तक काम रुकने का सवाल है. मुझे उम्मीद है कोर्ट हमारे मंत्रालय की बातों पर विचार करेगा. दिल्ली हाईकोर्ट को जिन-जिन बातों को लेकर एतराज है, उन सभी मामलों पर हम अगली सुनवाई में कोर्ट को जवाब देंगे.
सवाल- ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली बिल्डर्स के कई अधूरे प्रोजेक्ट्स को बनाने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने आपसे जवाब मांगा है. एनबीसीसी की कई टीम आम्रपाली ग्रुप के सभी साइट्स का निरीक्षण भी किया है. क्या उम्मीद करें कि आप 40 हजार होम बायर्स को घर देने का सपना साकार करेंगे? क्या आम्रपाली बायर्स को अपने घरों पर कब्जा लेने के लिए अतिरिक्त पैसे तो नहीं देने पड़ेंगे?
जवाब- देखिए यह मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं इसलिए इस मुद्दे पर हमकुछ भी आपको नहीं बताएंगे. 4 सितंबर को इस मामले में हमलोग सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेंगे. उसके बाद ही हम आपको यह कहने की स्थिति में होंगे. हमने हर परियोजना की सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर ली है.
सवाल- देश के विरासत स्थलों पर आपके काम से संबंधित एक दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई है. क्या आपने कंपनी के राजस्व और मार्जिन के संदर्भ में विरासत स्थलों को रेनोवेट करने का काम शुरू किया है?
जवाब- सबसे पहले मैं आपको बताना चाहता हूं कि इन परियोजनाओं पर काम शुरू करते वक्त हमारी आंखें राजस्व और मार्जिन पर नहीं थी. सही मायने में इन परियोजनाओं को शुरू करते समय हमने एक जिम्मेदार पीएसयू के रूप में लिया. इस फैसले में मेरी व्यक्तिगत भी रूचि है. हमारे प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं दौरान उन देशों की विरासत स्थलों की सराहना करते हैं.
लेकिन, देश के अंदर शायद कुछ हैरिटेज संपत्ति को छोड़ दें तो कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हमारी विरासत पर ध्यान देते हैं. मैंने इन परियोजनाओं पर एक जिम्मेदार कंपनी के रूप में काम करना शुरू किया और हम सीएसआर के तहत और सरकार के पक्ष से भी काम करेंगे. हमारे पास पुराना किला, लाल किला, कुतुब मीनार से संबंधित परियोजनाएं दिल्ली में हैं. अभी हाल ही में हमने लाल किला की रेनोवेट का काम पूरा किया है.
सवाल- आपका एक विजन है. साल 2020-22 तक आप कंपनी को कहां देखना चाहेंगे? कंपनी के ऑर्डर बुक को कितना तक पहुंचाने का लक्ष्य है? साथ ही आप अगले तीन-चार सालों में देश में कितना रोजगार पैदा करने जा रहे हैं?
जवाब- देखिए आज हमारे पास 80 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर बुक है, और जैसा कि मैंने कहा था कि हमें इस साल के अंत तक 20 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऑर्डर मिलेगा. इसलिए 31 मार्च 2019 तक हमारे पास 90 हजार करोड़ रुपए से लेकर एक लाख करोड़ रुपए तक ऑर्डर बुक मिल सकता है. जहां तक रोजगार की बात है मैंने आपको पहले ही कहा कि हम पहले टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान देते थे.
साल 2014 से अब तक हमने 700 लोगों को डायरेक्ट रोजगार दिया है. माननीय प्रधानमंत्री के मिशन को ध्यान में रखते हुए और एनबीसीसी की वर्क लोड को ध्यान में रखते हुए अगले 5 वर्षों में सालाना लगभग 25-40 हजार नौकरियां देने पर एनबीसीसी विचार कर रही है. साइट इंजीनियर्स, फॉरमेन, सपोर्ट स्टाफ और विभिन्न कुशल और अकुशल श्रमिकों जैसे मेसन, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, हेल्पर सहित विभिन्न श्रेणियों में सीधे और एजेंसियों के ठेकेदारों के मार्फत हमलोग बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने जा रहे हैं.
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