पंजाब के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 1988 के सड़क पर मारपीट मामले में उन्हें तीन साल की कैद की सजा सुनाने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला मेडकिल सबूतों की बजाय ‘धारणा ’ पर आधारित हैं .
सिद्धू ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ से कहा कि मेडिकल सबूतों में खामियां हैं और अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत के समक्ष शपथ लेकर अलग-अलग बयान दिए हैं.
सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर एस चीमा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा , हाई कोर्ट का फैसला धारणा पर आधारित है न कि मेडिकल सबूत पर. इस प्रकार की धारणा के लिए कोई तार्किकता नहीं है.’
12 अप्रैल को अमरिंदर सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था. हाई कोर्ट ने सिद्धू को दोषी ठहराया था और उन्हें तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी.
सिद्धू अदालत में दलील दी कि पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत के वास्तविक कारण को लेकर अस्पष्टता है। गुरमान सिंह कथित रुप से सिद्धू का घूसा लगने के बाद मर गए थे.
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