भारत आज एक और आतंकी हमले का शिकार हुआ. इस बार यह हमला जम्मू इलाके में भारतीय सेना के 16 कॉर्प्स मुख्यालय पर हुआ. इस हमले में छिपे संदेशों मे से एक यह है कि हमें ऐसे और कई हमलों के लिए तैयार रहना होगा.
हाल ही में एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र की उदासीनता पर अफसोस जताया था. पाकिस्तान के साथ छद्म युद्ध का एक और दौर शुरू हो चुका है. साफ है सर्जिकल स्ट्राइक का पाकिस्तान के मंसूबों पर कोई असर नहीं पड़ा है.
पहले बारामूला, फिर श्रीनगर और अब एक बार फिर सांबा और नगरोटा. मंगलवार को नगरोटा हमले में एक मेजर समेत तीन जवान शहीद हो गए. यह दौर भी 1999 से 2001 के बीच जैसा है जब कश्मीर घाटी लगातार हमले झेल रही थी. लेकिन हमलों का यह दौर शायद कुछ ज्यादा लंबा खिंच रहा है.
गर्मी आते ही इस तरह के हमलों में और इजाफा होगा. इन हमलों के साथ घाटी में विरोध प्रदर्शनों की संख्या भी बढ़ेगी. नियंत्रण रेखा के साथ-साथ आतंकियों द्वारा हमले के लिए चुने गए ठिकानों पर भी मोर्चा खुलेगा.
आज के दौर के आतंकी 90 के दशक के आतंकियों से कहीं ज्यादा बेहतर और हमले की अत्याधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित हैं.
पिछले कुछ दिनों में दूसरी गौर करने वाली बात देखने में आई है. आतंकी हमले कश्मीर घाटी से बाहर निकल कर जम्मू इलाके और पंजाब के पठानकोट और गुरदासपुर जैसी जगहों तक फैल गए हैं.
पिछले दो सालों से पाकिस्तान पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने के काम में भी लगा हुआ है. इसका मतलब यह कतई नहीं कि उसने कश्मीर को बख्श दिया है. घाटी में उसकी नापाक हरकतें बदस्तूर जारी हैं.
कश्मीर में जिस तरह से पिछले तीन दशकों से हिंसा का दौर लगातार जारी है उससे तो साफ है कि पाकिस्तान अपने मंसूबों मे कामयाब हो रहा है. जम्मू कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य भी इस हिंसा के दुष्परिणामों को लेकर चिंतित हैं. उन्हें लगता है कि पाकिस्तान कश्मीर को दूसरा अफगानिस्तान बनाना चाहता है.
ऐसे में कश्मीर में शांति कायम करने और उसे स्वर्ग बनाने के दावे बेमानी लगते हैं. स्वर्ग बनना तो दूर कश्मीर में हालात सामान्य होने से कोसों दूर है.
जिन लोगों ने पिछले जुलाई में कश्मीर में हालात सामान्य करने का मौका गंवा दिया. अब वो पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख के आने से शांति की उम्मीद कर रहे हैं.
भ्रम न पालें
पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख जनरल जावेद अशरफ बाजवा ने कहा है कि कट्टरपंथियों से भारत को कम, पाकिस्तान को ज्यादा खतरा है. उनके इसी बयान से हम शांति की उम्मीद बांध रहे हैं. लेकिन सच यह है कि जनरल बाजवा केवल वही बयां कर रहे हैं जो जाहिर है.
इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वो कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने जा रहे हैं. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो पाकिस्तान सेना प्रमुख के पद पर कम आक्रामक शख्स के बैठने का मतलब यह कतई नही कि उनके भारत विरोधी नजरिए में कोई बदलाव आएगा.
किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले विश्लेषकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक छद्म युद्ध के दौर से गुजर रहे हैं. पिछले आठ सालों में तो हालात हमारे लिए सामरिक चुनौती जैसे हो गए हैं.
बदकिस्मती से हमें इस सच को मानना होगा कि आने वाला समय ज्यादा अच्छा नहीं होने वाला. उम्मीद है सरकार का ढोल पीटने वाले मुझे माफ करेंगे.
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