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मुजफ्फरपुर कांड पर सियासत अभी और चलने वाली है, अपनों की मुखालफत से बढ़ेंगी मुश्किलें

सुशील मोदी इस वक्त नीतीश कुमार के साथ ढाल बन कर खड़े हैं. उनका खुलकर बचाव कर रहे हैं. लेकिन, विरोधी नेताओं के सुर में बीजेपी के कुछ नेताओं के सुर मिलाने से बिहार में एनडीए पर दबाव ज्यादा बढ़ गया है.

Updated On: Aug 06, 2018 08:34 PM IST

Amitesh Amitesh

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मुजफ्फरपुर कांड पर सियासत अभी और चलने वाली है, अपनों की मुखालफत से बढ़ेंगी मुश्किलें

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर कहा है कि मुजफ्फरपुर में हुई घटना घृणित और शर्मसार करने वाली है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि इस केस में दोषी पाए जाने वाले हर शख्स पर कार्रवाई की जाएगी. पटना में संवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि ‘टाटा इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट से मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में हुई दुष्कर्म की घटना का खुलासा हुआ. इसकी जानकारी मिलते ही कार्रवाई हुई.’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब मुजफ्फरपुर की घटना पर खुलकर बोल रहे हैं. अब वो कह रहे हैं कि हमने इस मामले में चुप्पी नहीं साध रखी है. अब वो दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं. हालांकि यह बात अलग है कि उन्होंने पहले ही इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. लेकिन, उन्होंने इस मुद्दे पर तब अपना मुंह खोला जब बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दिल्ली में धरना देने का फैसला किया.

शनिवार को दिल्ली में जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव की अगुआई में विपक्षी दलों का जमावड़ा लग गया. सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर आरजेडी के साथ खड़े दिखे. लोकसभा चुनाव से पहले सभी विपक्षी दल लगभग हर मुद्दे पर मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं. उनके निशाने पर केवल बीजेपी है.लेकिन, बिहार की घटना को लेकर निशाने पर राज्य के साथ-साथ केंद्र की भी सरकार रही.

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पूरे कार्यक्रम में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को छोड़कर बाकी नेताओं के निशाने पर नीतीश से ज्यादा नरेंद्र मोदी ही रहे. बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन सरकार में बीजेपी भी शामिल भी है. ऐसे में बीजेपी विरोधी नेताओं को इस मुद्दे पर भी नीतीश के अलावा बीजेपी और मोदी को भी घेरने का मौका मिल गया.

लेकिन, इस कार्यक्रम में भी राजनीति देखने को मिल गई. भले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मंच पर पहुंचकर विरोधी एकता दिखाने की कोशिश की थी. लेकिन, राहुल ने सीधे-सीधे नीतीश कुमार पर हमला नहीं किया. नीतीश कुमार को भी इससे काफी हद तक राहत मिली.

क्योंकि, आरजेडी की कोशिश नीतीश कुमार के सुशासन बाबू वाली छवि को ध्वस्त करने की है. आरजेडी को लग रहा है कि नीतीश कुमार ने जिस तरह से लालू-राबड़ी शासन काल को जंगलराज बताकर सत्ता तक पहुंच गए थे. अब जंगलराज से ज्यादा उनके शासनकाल की तुलना राक्षसराज से कर उनकी सरकार की नाकामियों को उजागर किया जा सकेगा.

हालांकि ऐसा कर पाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि आरजेडी के कई नेताओं के दामन पर भी इस तरह के दाग लगे हैं. फिर भी, उनकी तरफ से कोशिश बिहार के भीतर और बिहार के बाहर भी नीतीश कुमार की छवि को ही खराब करने की है. इस बात का अंदाजा नीतीश कुमार को है, तभी उनकी तरफ से अब इस मुद्दे पर खुलकर बोला जा रहा है.

लेकिन, अब भी विपक्ष हमलावर है. आरजेडी की तरफ से नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का इस्तीफा मांगा जा रहा है. आरोप मंजू वर्मा के पति पर लगाए जा रहे हैं. नीतीश कुमार के लिए इस मुद्दे पर मुश्किल अपनी सहयोगी बीजेपी के कई नेताओं से भी होने लगी है.

बीजेपी के बिहार से ही दो वरिष्ठ सांसदों ने इस मामले में मंजू वर्मा पर कार्रवाई की मांग कर दी है. पहले राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर ने इस मुद्दे पर मंजू वर्मा के इस्तीफे की बात की और अब राज्यसभा के दूसरे सांसद गोपालनारायण सिंह ने भी इस मुद्दे पर सी पी ठाकुर के सुर में सुर मिला दिया.

बीजेपी सांसद गोपाल नारायण ने कहा कि जांच में मंजू वर्मा और उनके पति का नाम सामने आया है, इसलिए सही जांच के लिए उन्हें मंजू वर्मा को मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

बीजेपी नेताओं की तरफ से दिए इस बयान से विपक्षी दलों के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया है. लेकिन, इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की तरफ से की गई है. उन्होंने मंजू वर्मा का बचाव किया है.

सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि बीजेपी पूरी तरह से मंजू वर्मा के समर्थन में है और उनके खिलाफ कोई भी आरोप नहीं है. आरजेडी नेताओं पर तंज कसते हुए उन्होंने लिखा है कि जो लोग चार्जशीटेड हैं और सीबीआई कोर्ट की तरफ से रेलवे टेंडर स्कैम में सम्मन पा चुके हैं, जिनकी दो दर्जन से ज्यादा बेनामी संपति ईडी और इनकम टैक्स अटैच कर चुका है वो इस मामले में नैतिकता को लेकर ज्ञान दे रहे हैं.

सुशील मोदी इस वक्त नीतीश कुमार के साथ ढाल बन कर खड़े हैं. उनका खुलकर बचाव कर रहे हैं. लेकिन, विरोधी नेताओं के सुर में बीजेपी के कुछ नेताओं के सुर मिलाने से बिहार में एनडीए पर दबाव ज्यादा बढ़ गया है.

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