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मुजफ्फरपुर रेप कांड: NGO के सेक्रेटरी ने कहा- भाई ब्रजेश ठाकुर ने मुझे मोहरा बनाया

रमेश ठाकुर ने कहा कि वह मुजफ्फरपुर से बहुत दूर एक छोटी प्राइवेट नौकरी करते हैं और उन्हें ये नहीं मालूम कि उनका नाम एनजीओ से कैसे जुड़ गया

Updated On: Aug 14, 2018 03:59 PM IST

Alok Kumar

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मुजफ्फरपुर रेप कांड: NGO के सेक्रेटरी ने कहा- भाई ब्रजेश ठाकुर ने मुझे मोहरा बनाया

मुजफ्फरपुर बालिका गृह सेक्स स्कैंडल के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने दागी एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति का सेक्रेटरी अपने चचेरे भाई रमेश ठाकुर को बनाया था, जो अब सीबीआई के रडार पर है. पता सार्वजनिक न करने की शर्त पर न्यूज18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में रमेश ठाकुर ने कहा कि पूरे मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है.

रमेश ठाकुर ने कहा कि वह मुजफ्फरपुर से बहुत दूर एक छोटी प्राइवेट नौकरी करते हैं और उन्हें ये नहीं मालूम कि उनका नाम एनजीओ से कैसे जुड़ गया. ये पूछने पर कि बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ रेप और बर्बर वर्ताव के मामले में सीबीआई उनकी तलाश कर रही है, तो रमेश ठाकुर भावुक हो उठे. उन्होंने कहा, 'मैं एक सीधा-सादा आदमी हूं. आप मेरे गांव के लोगों से भी पूछ लीजिए. मेरा इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है. मैं मीडिया में नहीं आना चाहता. ज्यादा चर्चा हुई तो मेरी नौकरी चली जाएगी.'

संबंधियों के नाम से रजिस्टर्ड है 15 से ज्यादा संस्थाएं

ब्रजेश ठाकुर ने बेहद शातिराना तरीके से अपनी 15 से ज्यादा संस्थाओं को सगे-संबंधियों के नाम से रजिस्टर्ड कराया था. दैनिक प्रात: कमल का प्रोपराइटर भी हाल ही में उसने अपने बेटे राहुल आनंद को बना दिया. उर्दू दैनिक हालात-ए-बिहार की संपादक उसकी राजदार मिस्ट्री वुमन मधु है और अंग्रेजी अखबार उसकी बेटी निकिता आनंद के नाम है.

यही काम उसने एनजीओ में भी किया. मुजफ्फरपुर बालिका गृह का संचालन करने वाला एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति के दस्तावेजों में बतौर सेक्रेटरी रमेश ठाकुर का जिक्र है, जो ब्रजेश का चचेरा भाई है. रेप कांड के बाद राज्य सरकार ने इसे ब्लैक लिस्ट कर दिया है.

'एनजीओ से नहीं कोई लेना-देना'

रमेश ठाकुर ने कहा कि उन्होंने वर्षों पहले मुजफ्फरपुर को अलविदा कहकर एनसीआर में कहीं आशियाना बनाया और अब कभी-कभी ही वो अपने गांव पचदही जाते हैं. ये पूछने पर कि एनजीओ के सारे वित्तीय ट्रांजैक्शन सेक्रेटरी के हस्ताक्षर से हुए, इस पर उनका कहना था, 'मैंने कोई साइन नहीं किया. मुझे एनजीओ चलाना रहता तो मैं यहां नौकरी क्यों करता? मैं एक साधारण आदमी हूं, और इसी तरह जीना चाहता हूं.'

ये पूछने पर कि क्या उन्हें मालूम है कि सीबीआई उन्हें खोज रही है, रमेश ठाकुर ने कहा, 'मैं किसी तरह परिवार चला रहा हूं. चाहता हूं कोई मेरी चर्चा न करे. अब न चाह कर भी नाम आ रहा है. जब सीबीआई आएगी, तब देखा जाएगा. पर फिलहाल मैं लाइमलाइट में नहीं आना चाहता.'

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