अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच अब मुस्लिम महिलाएं अयोध्या प्रस्थान की तैयारी कर रही हैं. रामलला की प्रतिमा के दर्शन करने के बाद ये महिलाएं अयोध्या में एक जनसभा करने की तैयारी में हैं.
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार के संरक्षण में चल रहे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इंद्रेश कुमार और मो. अफजाल समेत कई और नेता इस दिन अयोध्या में रहेंगे. वो भी मुस्लिम महिलाओं के इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक मोहम्मद अफजाल ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत में खुलासा किया, 'अगले 21 और 22 फरवरी को दो दिन तक देश भर से बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं अयोध्या पहुंचेगी जहां भव्य राम मंदिर निर्माण की मांग की जाएगी.'
तीन तलाक पर बने माहौल से उम्मीदें
दरअसल, तीन तलाक के मुद्दे पर बीजेपी और संघ परिवार के रुख के बाद देशभर में मुस्लिम महिलाओं में संघ और बीजेपी के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर देखने को मिल रहा है. आरएसएस को लग रहा है कि तीन तलाक के मुद्दे पर बने फील गुड के माहौल का फायदा उठाने का यह सही वक्त है लिहाजा अब मुस्लिम महिलाओं की तरफ से ही राम मंदिर के समर्थन में आवाज बुलंद कराने की कोशिश हो रही है.
मो. अफजाल के मुताबिक, 'अयोध्यावासियों को उनका हक मिलना चाहिए. अयोध्या हमारे पुरखों की धरती है, भगवान राम हमारे पुरखे थे, बाबर तो एक आक्रांता था. उसका डीएनए हमारा नहीं था. लिहाजा वहां राम मंदिर ही बनना चाहिए.'
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक मो. अफजाल का कहना है, 'पैगंबर मोहम्मद के आने के पहले एक लाख 24 हजार पैगंबर आए थे, जिन्हें आप भगवान मानते हैं. हो सकता है कि भगवान राम भी उन्हीं में से एक हों.'
बकौल मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राम जन्मभूमि के अलावा भी अयोध्या में दो और मजार हैं जिनमें एक शीश-अल-इस्लाम और दूसरी हिंद-अल-इस्लाम है. इसलिए मुस्लिम महिलाएं अपनी अयोध्या यात्रा के दौरान राम जन्मभूमि स्थल के अलावा इन दोनों जगहों पर भी जाएंगी.
मुस्लिम महिलाओं के अयोध्या कूच करने का कार्यक्रम ऐसे वक्त में आया है जब पूरे देश में इस मुद्दे पर चर्चा काफी तेज है. सुप्रीम कोर्ट में इस मसले की सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने 14 मार्च को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस साल के आखिर तक अयोध्या मसले पर कोर्ट का कोई फैसला आ सकता है.
क्या कोर्ट के बाहर निकल पाएगा समाधान ?
लेकिन, कोर्ट के बाहर भी इस मसले का समाधान निकालने के लिए पूरी तैयारी चल रही है. धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर ने इस मसले पर पहल भी की है. मुस्लिम नेताओं से बात कर इस मसले पर सहमति बनाने की कोशिश भी की है. लेकिन, अबतक इस मसले पर कोई सहमति बनती नहीं दिख रही है.
इस पेचीदा मसले पर कभी एक कदम आगे तो दो कदम पीछे वाली कहानी चरितार्थ हो रही है. पिछले शुक्रवार को रविशंकर के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी के कार्यकारी सदस्य सलमान नदवी की मुलाकात के बाद सकारात्मक संकेत मिलने लगे थे. लेकिन, अयोध्या में राम का मंदिर बनने और मस्जिद को अयोध्या से बाहर शिफ्ट करने के मसले को लेकर उनके बयान के बाद उन्हें ही बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कासिम इलियास ने कहा, 'कमेटी का मानना है कि एआईएमपीएलबी अपने उस पुराने स्टैंड पर कायम है कि बाबरी मस्जिद को न तो गिफ्ट किया जा सकता है, न बेचा जाता है और न ही शिफ्ट किया जा सकता है. चूंकि सलमान नदवी ने बोर्ड के स्टैंड से हटकर बयान दिया है, इसलिए उन्हें हटा दिया गया है.'
हालांकि सलमान नदवी का कहना है कि वो खुद बोर्ड की बैठक से उठकर चले गए. उनका आरोप है कि बोर्ड में कुछ लोग गलत तरीके से काम कर रहे हैं. उनका दावा है कि पूरा मुस्लिम समाज उनके साथ है. नदवी आगे आने वाले दिनों में फिर से श्री श्री रविशंकर से मिलकर अमन और शांति का रास्ता निकालने की बात कर रहे हैं.
लेकिन, मुस्लिम बोर्ड के स्टैंड से साफ है कि कोर्ट के बाहर इस मसले के समाधान की गुंजाइश फिर कम हो गई है.
उधर, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही इस मसले के समाधान की वकालत कर रहा है. मो. अफजाल ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वजूद पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा है, 'इसका कोई वजूद नहीं है, वह तो कांग्रेस द्वारा नियुक्त की गई एक एनजीओ है.'
सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई तो होगी ही, लेकिन, उसके पहले अयोध्या में मुस्लिम महिलाओं के माध्यम से राम मंदिर के निर्माण की मांग के जरिए संघ परिवार की तरफ से अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश जारी है.
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