बॉम्बे हाईकोर्ट के एक जज ने एक नई मिसाल कायम की है. वह पुराने मामलों के निपटारे के लिए सुबह 3:30 बजे तक कोर्ट में बैठे रहे. यह संभवतः पहली बार है जब किसी जज ने ऐसा किया है.
हाईकोर्ट के जस्टिस एसजे कथावाला सप्ताहभर से आधी-आधी रात तक काम कर रहे हैं. बता दें कि 5 मई से कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो रही हैं और वह इस कोशिश में जुटे हैं कि लंबित मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो जाए.
जस्टिस कथावाला के कोर्टरूम नंबर 20 में पिछले एक सप्ताह तक आधी-आधी रात तक काम चल रहा था लेकिन शुक्रवार को सुबह सामान्य समय में शुरू हुआ उनका कोर्ट शनिवार अल सुबह 3:30 बजे तक चलता रहा. उन्होंने शुक्रवार को सुबह से 135 से ज्यादा मामलों की सुनवाई की, इनमें से 70 अनिवार्य मामले थे. सुबह तक जस्टिस कथावाला के कोर्ट में मौजूद रहे एडवोकेट हिरेन कमोद ने कहा, 'काम के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण अनुसरणीय है. मैं सुबह साढ़े तीन बजे कोर्ट से निकलने वाले आखिरी तीन लोगों में से एक था. कोर्ट वकीलों, कोर्ट कर्मचारियों और वादियों से भरा हुआ था. मामले अर्जेंट बेसिस पर निबटाए जा रहे थे इसलिए किसी ने इसकी शिकायत नहीं की.'
कमोद ने आगे कहा कि ज्यादातर वकील और वादी मध्यस्थता, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स और व्यावसायिक मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट में मौजूद थे.
एडवोकेट ने बताया, 'उन्होंने अपने सभी मामले निपटा दिए. वह सुबह 11 बजे से अगली सुबह 3:30 बजे तक कोर्ट में बैठे रहे. बीच में उन्होंने महज 20 मिनट का ब्रेक लिया. वह बिना थके कोर्ट में बैठे रहे और हर तर्क को बेहद ध्यान से सुनते रहे. यह सराहनीय है.'
जस्टिस कथावाला ने 2009 में हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में शपथ ली थी और जुलाई 2011 में वह कोर्ट में स्थायी जज के रूप में नियुक्त हुए. काम के प्रति उनकी निष्ठा की ज्यादातर लोग तारीफ करते हैं हालांकि कुछ इसको लेकर उनकी आलोचना भी करते हैं.
नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ने कहा, 'कई जज ऐसे हैं जिन्होंने शाम पांच बजे तक काम करके ही ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटारा किया है. यदि कोई जज इतनी रात तक बैठकर काम करने का फैसला करते हैं तो इससे उनके साथ काम करने वाले स्टाफ को काफी परेशानी होती है.'
हालांकि कथावाला के साथ सात साल तक उनके सेक्रेटरी के रूप में काम कर चुके केपीपी नायर का कहना है, 'मैंने 15 जजों के साथ काम किया है लेकिन कोई भी कथावाला की ऊर्जा की बराबरी नहीं कर सकता. वह छोटे मामलों पर फैसला कोर्ट में ही सुना देते हैं और बड़े मामलों को वह अपने चेम्बर में डिक्टेट करते हैं, जहां वह तुरंत तैयार किया जाता है. मैं डिक्टेशन के लिए रविवार को भी उनके घर जा चुका हूं.' वह कहते हैं कि इससे कथावाला की एक अलग ही छवि बनती है कि काम ही उनकी प्राथमिकता है.
कोर्ट में सुबह तीन बजे तक मौजूद रहे एडवोकेट निषाद नदकर्णी ने कहा, 'बेशक यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसका हमें स्वागत करना चाहिए. अक्सर लोग मामलों के लंबित होने को लेकर शिकायत करते हैं. ऐसे में इस समस्या का समाधान करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है. मुझे जस्टिस कथावाला पर पूरा भरोसा है.'
(न्यूज़18 के लिए राधिका रामास्वामी की रिपोर्ट)
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