मुजफरपुर कांड की छाया अब सरकार की इकबाल, विपक्ष की साख और गुनाहगारों की जाति के इर्द-गिर्द चक्कर काट रही है. वहीं, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव चाहते हैं कि इस घटना को एक धारदार मुद्दा बनाकर अगली लोकसभा चुनाव तक ले चलें ताकि चुनावी फायदा मिल सके. लाव लश्कर के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देना इसी रणनीति का अंश है.
आरजेडी के दामन पर दाग
लेकिन अपने मकसद में वो सफल होंगे, इसमें संशय है क्योंकि तेजस्वी यादव एक ऐसी पार्टी आरजेडी का नेतृत्व कर रहे हैं जिसका दामन इतना दागदार है कि उसे साफ करने में कई साल लग जाएंगे. डिटरजेंट की खपत भी बहुत होगी.
मुजफ्फरपुर कांड में भी इनके दल के कई नामचीन नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जिन्होंने कांड के मुख्य सरगना ब्रजेश ठाकुर के साथ हुक्का-पानी किया है. आरजेडी के नवादा विधायक राजबल्लभ यादव नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में जेल में हैं. उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पार्टी ने शो कॉज नोटिस तक नहीं भेजा है.
तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव के साथ ब्रजेश ठाकुर की दोस्ती का सबूत मुजफ्फरपुर की दीवार पर अभी भी अंकित है. आरजेडी के 15 साल के काल में ब्रजेश ठाकुर की धन की बढ़ोत्तरी दिन दूनी रात चौगुनी हुई है. ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित तीन टकिया अखबार प्रातःकमल को आरजेडी के शासन काल में थोक के भाव में सरकारी विज्ञापन मिला है. अब तो ये सच भी सामने आ गया है कि आरजेडी सरकार में कद्दावर मंत्री रघुनाथ झा और रामनाथ ठाकुर के साथ ठाकुर का गहरा संबंध था. रामनाथ ठाकुर बिहार के पूर्व सीएम स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं और अभी जनता दल यू के सांसद हैं.
नीतीश की गुप्तचरी कहां थी?
इस जघन्य और शर्मसार करने वाली घटना ने साबित कर दिया है कि नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली सरकार का इकबाल ढलान पर है. नवंबर 2013 से बालिका सुधार गृह के निरीह बच्चियों के साथ निर्मम तरीके से दुष्कर्म होते रहा और बिहार के वजीरे आला को तब इसकी भनक लगी जब TISS ने सोशल ऑडिटिंग करके अपनी रिपोर्ट सरकार को दी. नीतीश कुमार की गुप्तचरी का लोहा विरोधी भी मानते हैं. घोर विरोधी के किचन में क्या खिचड़ी पक रही है इसकी जानकारी नीतीश कुमार को तत्काल हो जाती है. फिर मुजफ्फरपुर कांड की गूंज इनके कानों तक क्यों नहीं आई?
समाज कल्याण विभाग ने ब्रजेश ठाकुर को बालिका सुधार गृह चलाने का ठेका 31 अक्टूबर 2013 में दिया. साढे चार वर्षों में सैकड़ों अधिकारी, महिला आयोग के दर्जनों माननीय सदस्यों ने इस सुधार गृह का विजिट किया. करीब-करीब सबने ठाकुर की तारीफ की. किसी न किसी को तो ये महसूस हुआ होगा कि यहां सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. सुधारगृह के अगल-बगल के लोग बताते हैं कि रात में बच्चियों की चीख-पुकार सुनते थे. कहां सो गई थी सीएम की गुप्तचरी व्यवस्था? जब सरकार का इकबाल कम होता है तो ऐसा ही होता है.
ठाकुर को बचाने की मुहिम
कांड का सरगना ब्रजेश ठाकुर खुद को बचाने के लिए अपनी जाति को हथियार बनाने का प्रयास कर रहा है. किसी न किसी रूप में लाभान्वित रहे सिस्टम के कुछ ताकतवर लोग भी इस कांड को जातीय रंग देकर ठाकुर को बचाने के मुहिम में जी जान से लगे हुए हैं. उनमें विपक्षी दल के एक सांसद का नाम भी हवा में तैर रहा है. कहा जा रहा है कि महोदय ने ठाकुर को बचाने की सुपारी ले रखी है.
कांड के स्थल से निकलकर जो सबूत आ रहे हैं, वो नीतीश सरकार में एक महिला मंत्री के पति को भी अपने लपेटे में ले रहे हैं. मंत्री के पतिदेव अक्सर उस सुधार गृह का दौरा करते थे. ब्रजेश ठाकुर के साथ मटरगश्ती करते हुए कई बार इनको दिल्ली के कनाॅट प्लेस और बिहार निवास के परिसर में देखा गया है. पति को बचाने के लिए मंत्री महोदया ने अपने जाति को ब्रम्हास्त्र की तरह प्रयोग किया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मंत्री ने कहा, ‘मैं पिछड़ी कुशवाहा जाति से आती हूं इसलिए मेरे पति का नाम जानबूझकर एक साजिश के तहत इस कांड में लाया जा रहा है’.
बहरहाल, सरकार ने मुजफ्फरपुर कांड की जांच की जिम्मेवारी सीबीआई को सौंपकर और पटना हाईकोर्ट से मॉनीटरिंग की मांग करके विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है. विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के अलावे कांग्रेस और वामदल के नेताओं ने इस जघन्य कांड में भागीदार दुष्टों को पकड़कर सजा देने के लिए जिस विधि की भी मांग सरकार से की वह मांग मान ली गई है. उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान ले लिया है.
ऐसी स्थिति में तेजस्वी यादव का दिल्ली जाकर जंतर-मंतर पर धरना देना ये साबित करता है कि उनकी रुचि इस बात में ज्यादा है कि इस कांड से राजनीतिक फायदा उठाया जाए, न कि दोषियों को सजा और पीड़ितो को न्याय दिलवाया जाए.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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