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तो क्या डीयू में इस बार नहीं दिखेगा बिहार का दम?

इस बार डीयू में बिहार का दम दिखने की संभावना बेहद कम लग रही है.

Updated On: May 31, 2017 09:13 AM IST

Pawas Kumar

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तो क्या डीयू में इस बार नहीं दिखेगा बिहार का दम?

दिल्ली विश्वविद्यालय में देशभर के छात्र आते हैं. बाहर आने वाले छात्रों में एक बड़ी संख्या बिहार से आने वाले छात्रों की रही है. परंपरागत रूप से डीयू कैंपस में पढ़ाई से लेकर राजनीति में इन छात्रों का दबदबा रहा है. लेकिन इस बार डीयू में बिहार का दम दिखने की संभावना बेहद कम लग रही है.

बिहार स्कूल एजुकेशन बोर्ड (BSEB) ने राज्य में 12वीं कक्षा के नतीजे घोषित कर दिए हैं. इस बार का रिजल्ट बेहद खराब रहा है. जहां साइंस का रिजल्ट 30.76, तो वहीं आर्ट्स में महज 37.13 फीसदी छात्रों को सफलता मिली है. कॉमर्स में जरूर 73.76 फीसदी छात्र पास हुए हैं.

डीयू के कट-ऑफ के सामने नहीं टिकेंगे बिहारी छात्र

हाल में डीयू ने 100 फीसदी तक का कट-ऑफ छुआ है. ऐसे में इस साल बिहार के आम छात्रों को तो छोड़िए, टॉपर्स की भी डीयू में एंट्री मुश्किल लगती है.

बिहार में साइंस में जमुई सिमुलतला की खुशबू कुमारी ने टॉप किया है. उन्हें 86.2% अंक मिले हैं. पिछली बार की 5वीं कट-ऑफ लिस्ट पर भी नजर डालें तो नॉर्थ कैंपस के कॉलेजों में आकंड़ा 90 फीसदी के ऊपर ही रहा था. डीयू के बाहरी कॉलेजों में भी आंकड़ा काफी ऊंचा रहा था.

ऐसे में बिहार की टॉपर को भी मनपसंद कॉलेज और कोर्स मिल सके, ऐसा असंभव लगता है. बिहार बोर्ड में 12वीं में आर्ट्स में समस्तीपुर के गणेश कुमार (82.6%) ने और कॉमर्स में प्रियांशु जायसवाल (81.86%) ने टॉप किया है. फर्ज करिए की टॉपर्स को अच्छे कॉलेज में मिल भी गए लेकिन बाकी छात्रों के लिए तो उम्मीद कम ही है.

तो क्या डीयू में बिहार का दबदबा खत्म होने वाला है? बिहार और दूसरे राज्य बोर्ड की हमेशा से शिकायत रही है कि सीबीएसई जैसे बोर्ड के मुकाबले अंक कम मिलते हैं. ऐसे में हाई कट-ऑफ वाले डीयू के एडमिशन में ये छात्र पिछड़ते जा रहे हैं. इस बार के नतीजे इस पर मोहर लगाते हैं.

सीबीएसई की परीक्षा में साइंस में रक्षा गोपाल ने 99.60 प्रतिशत के साथ टॉप किया है. आदित्य जैन और मन्नत लूथरा ने कॉमर्स में 99.2 प्रतिशत मार्क्स हासिल किए हैं. जाहिर है कट-ऑफ की होड़ में यह दूसरे बोर्ड के छात्रों पर भारी पड़ेंगे.

क्या चीटिंग से चल रहा था बिहार?

माना जा रहा था कि इस बार बिहार बोर्ड रिजल्ट अच्छा नहीं आएगा, क्योंकि एग्जाम सेंटर्स पर नकल रोकने के लिए काफी सख्ती बरती गई थी. कॉपियों की बार कोडिंग की वजह से पैरवीकारों की पैरवी पहले की तरह नहीं हो सकी. पिछली बार बिहार बोर्ड की परीक्षा में धांधली की जमकर खबरें थीं. टॉपरों को जेल भी जाना पड़ा था. तो क्या बिहार का असली रिजल्ट इस बार आया है? अब तक बिहार के छात्र नकल के भरोसे ही चलते आ रहे थे.

डीयू और दूसरी बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले बिहार के छात्रों को जानने वाले इस बात को खारिज कर देंगे. बिहार के छात्रों ने लंबे समय से हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है. सिविल सर्विसेज और अन्य परीक्षाओं बिहार का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है.

जाहिर है कि इसका मतलब है कि बिहार में परीक्षा के नतीजे ही सबकुछ बयां नहीं करते. एजुकेशन सिस्टम की सफाई तो जरूरी है लेकिन देखना जरूरी है कि अच्छे छात्रों को बराबरी के मौके मिलें. खोट केवल परीक्षा की प्रक्रिया में ही नहीं है, मेरिट को आंकने और कॉलेजों में प्रवेश के सिस्टम में भी है.

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