कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि पूर्वोत्तर के लोगों को और स्वायत्तता दी जानी चाहिए और इस सोच का त्याग कर देना चाहिए कि एक ही नीति से हर समस्या का समाधान हो सकता है, क्योंकि वहां हर इलाके की समस्याएं अलग अलग हैं.
दिल्ली में शुक्रवार को ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर में अवलोक लैंगर की पूर्वोत्तर पर लिखी किताब ‘इन परसूट ऑफ कन्फ्लिक्ट’ के विमोचन पर बोलते हुए थरूर ने सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम (AFSPA) में संशोधन का समर्थन किया. थरूर के अनुसार यह बेहतर करने के बजाय कहीं अधिक नुकसान कर रहा है.
थरूर ने कहा कि स्थानीय लोगों (पूर्वोत्तर के लोगों) को हर संभव अधिक से अधिक स्वायत्तता दिए जाने के बारे में मेरा स्पष्ट दृष्टिकोण है. उन्होंने क्षेत्र में हर इलाके की जरुरत एवं संवेदनशीलता पर और अधिक ध्यान दिए जाने का आह्वान किया.
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक ही नीति अपनाने के बजाय बेहतर होगा कि क्षेत्र के लिये कम से कम छह अलग अलग दृष्टिकोण हों क्योंकि राज्य के अंदर हर समस्या समान नहीं है.
उन्होंने कहा कि अनदेखी करने की एक आम बीमारी हो गई है, लेकिन इस अनदेखी के बजाय इस विशिष्ट क्षेत्र से विशेष रूप से निपटने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि अधिकाधिक हमें एक विकेंद्रीकृत लोकतंत्र अपनाना होगा. दिल्ली से दूर रहने वाले क्षेत्र, उत्तर, पूर्वोत्तर या दक्षिण सभी को यह महसूस होने जा रहा है कि यह संभव नहीं है कि उनके लिए हर फैसला दिल्ली में लिया जाए.
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