मोदी सरकार ने एक बार फिर दो वकीलों को जज नियुक्त किए जाने के तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सुझाव को वापस कर दिया है. दो सालों तक फाइल अपने पास रखने के बाद केंद्र सरकार ने बशरत अली खान और मोहम्मद मनसूर के इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त किए जाने पर अपनी सहमति नहीं दी है.
द प्रिंट के मुताबिक, ये दूसरी बार है जब केंद्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील बशरत अली खान और मोहम्मद मनसूर की फाइलें वापस की गई हैं. इन दोनों वरिष्ठों वकीलों के नाम के सुझाव 2016 में दिए गए थे. लेकिन मोदी सरकार ने उनके नामों के सुझाव को खारिज किया है.
ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि 2014 से मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से उसने कई न्यायिक नियुक्तियों पर रोक लगाई है. इसमें सबसे ज्यादा उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टि के एम जोसेफ की नियुक्ति को लेकर बवाल खड़ा हुआ था. वहीं अब इन दो वकीलों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष कब उठाया जाना है, ये चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा पर निर्भर करता है.
वहीं केंद्र सरकार की ओर से बशरत अली खान और मोहम्मद मंसूर के खिलाफ कुछ शिकायतें की गई हैं. जिसके कारण ही केंद्र ने इनके नाम की सिफारिश को खारिज करने का फैसला किया है. सूत्रों के मुताबिक, कॉलेजियम का कहना है कि वकीलों के खिलाफ जो शिकायतें की गई हैं, वो बेहद मामूली हैं. आपको बता दें कि मनसूर मुख्य स्थाई वकील के रूप में योगी आदित्यनाथ सरकार के 'एंटी रोमियो स्कवॉड' फैसले का बचाव कर चुके हैं. उनके पिता साघिर अहमत सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.