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रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक नहीं, तकनीकी खराबी से हुआ है साइट बंद

पिछले साल भारत सरकार के गृहमंत्रालय के वेबसाइट को हैक कर लिया गया था

Updated On: Apr 06, 2018 10:36 PM IST

FP Staff

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रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक नहीं, तकनीकी खराबी से हुआ है साइट बंद

रक्षा और गृह मंत्रालय समेत कई सरकारी विभागों की दर्जन भर से अधिक वेबसाइटें आज गड़बड़ियों के चलते प्रभावित हुईं जिसके लिए हैकिंग को जिम्मेदार ठहराया गया लेकिन राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा प्रमुख ने कहा कि ऐसा तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हुआ.

सरकारी वेबसाइटों में लोगों को त्रुटि संबंधी संदेश नजर आने के बाद साइबर सुरक्षा के राष्ट्रीय समन्वयक गुलशन राय ने कहा कि उनमें कुछ हार्डवेयर विफलता का पता चला है. राष्ट्रीय सूचना केंद्र इन वेबसाइटों के सर्वरों का कामकाज संभालता है। साइबर सुरक्षा इकाई के प्रमुख ने कहा, ‘न तो हैकिंग हुई है न ही यह साइबर हमला है.’

पिछले कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम के प्रमुख रह चुके राय ने बताया कि राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा स्थापित करीब दर्जन भर सरकारी वेबसाइटें इस गड़बड़ी से प्रभावित हुई हैं. इनमें रक्षा, गृह, विधि एवं श्रम विभाग की वेबसाइटें शामिल हैं. उन्होंने बताया कि हार्डवेयर को बदला जा रहा है। जल्द ही ये वेबसाइटें शुरू हो जाएंगी.

इससे पहले रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक होने की खबर है. वेबसाइट के होम पेज पर चीनी भाषा में लिखावटें देखी जा रही हैं.

वहीं रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के हैक होने के बाद एहतियात के तौर पर गृह मंत्रालय की वेबसाइट को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि गृह मंत्रालय की वेबसाइट को होस्ट करने वाला नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर वेबसाइट की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने में जुटा है. इस वजह से वेबसाइट फिलहाल बंद हो गई.

गृह मंत्रालय की वेबसाइट को लॉगऑन करने पर संदेश आ रहा है, ‘आपने जिस सेवा के लिए अनुरोध किया है, वह अस्थायी तौर पर उपलब्ध नहीं है. असुविधा के लिए खेद है. यह जल्द ही उपलब्ध होगा.’प्रवक्ता ने बताया कि एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है.

पिछले साल भारत सरकार के गृहमंत्रालय के वेबसाइट को हैक कर लिया गया था. जैसे ही हैक की जानकारी लगी नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर ने वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया.

अभी हाल में अरुणाचल प्रदेश से एक ऐसी ही खबर आई थी जिसमें कहा गया था कि वहां के सरहदी इलाकों के मोबाइल चीनी नेटवर्क पकड़ रहे हैं. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे में पड़ने की आशंका जताई गई थी.

अरुणाचल के इलाके में चीनी मोबाइल नेटवर्क मिलने पर पीएलए पर नजर रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने कहा था कि इस इलाके में कनेक्टिविटी की समस्या है. यहां न मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी है न रोड कनेक्टिविटी. यहां तक कि अगर कोई भारतीय सैनिक घायल हो जाए तो उसे निकालना भी एक चुनौती बन जाता है क्योंकि यहां हमेशा जमीन धंसती रहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए असल चुनौती रोड, ब्रिज और इंटर वैली कनेक्टिविटी है न कि मिलिट्री औजार या सैनिकों की.

चीन ने अबतक उत्तर-पूर्वी बॉर्डर की तरफ काफी अच्छा खासा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया है. तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र में चीन ने 14 एयरबेस, एक बड़ा रेल नेटवर्क और 58 हजार किलोमीटर लंबा रोड बनाया है. अपने इस सुविधा के चलते चीन अपनी 30-32 डिवीजनों, जिसमें 12 हजार ट्रूप्स हैं, को आसानी से वहां तैनात कर सकता है.

ऐसे में जमीन का भूखा चीन अगर किसी तरह के नेटवर्क से भारतीय इलाके में छेड़छाड़ कर रहा हो तो आश्चर्य नहीं. लेकिन भारत इतने सालों से चीन से त्रस्त होते हुए भी अभी तक एक ठीक-ठाक ढांचा भी खड़ा नहीं कर पाया है. इस नेटवर्क में गड़बड़ी के मामले की गंभीरता को समझना जरूरी है.

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