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भारत और इंडिया के बीच 'संचार' की खाई को खत्म करेगा भारतनेट

सरकार का मानना है कि भारतनेट की सफलता से गर्वनेंस के कई आयाम में पारदर्शिता आएगी और ई गवर्नेंस, ई हेल्थ, ई एजुकेशन की मदद से लोगों के जीवन में काफी सुधार हो सकेगा.

Updated On: Dec 12, 2018 09:10 AM IST

Pankaj Kumar Pankaj Kumar

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भारत और इंडिया के बीच 'संचार' की खाई को खत्म करेगा भारतनेट

एक ट्वीट में 9 दिसंबर को संचार राज्यमंत्री (स्तंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा ने कहा, 'भारतनेट परियोजना से देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. 2019 तक देश का ऐसा कोई भी गांव नहीं होगा जो हाईस्पीड ब्रॉड बैंड से कनेक्टेड न हो.'

भारतनेट प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया मिशन से जुड़ा एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिससे ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति लाए जाने की योजना है. ढाई लाख ग्राम पंचायत को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के जरिए ब्रॉंड बैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने की योजना है. इस प्रोजेक्ट को मार्च 2019 तक पूरा किया जा सके इसके लिए संचार मंत्रालय पूरी तरह प्रयासरत है. सरकार देश के अंदर डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) को खत्म कर गांव-गांव तक भारतनेट को पहुंचाना चाहती है जिससे देश डिजिटल इम्पावर्ड सोसाइटी बन सके और नॉलेज इकोनमी के रूप में तब्दील हो सके.

दरअसल देश में बड़े पैमाने पर डिजिटल डिवाइड के चलते ग्रामीण और शहरी भारत की डिजिटल आधारभूत संरचना ( Digital infrastructure ) में बड़ा फर्क देखा जाता है. इंटरनेट प्रयोग करने को लेकर गांव और शहर के बीच की खाई को पाटने के लिए ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का सहारा लेकर आधुनिक संचार के जरिए सभी गांव को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास कर रही है जो इतने बड़े पैमाने पर अनूठा प्रयास है.

मोदी सरकार भारतनेट प्रोजेक्ट के जरिए डिजिटल इंफ्रस्ट्रक्चर को गांव-गांव तक पहुंचाने में कामयाब दिख रही है. ताजा आंकड़े के मुताबिक 20 नवंबर 2018 तक 1 लाख 16 हजार ग्राम पंचायत ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी का फायदा ले रहे हैं वहीं 1 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों में भारत ब्रॉड बैंड निगम लिमिटेड (BBNL) द्वारा मुफ्त की ब्रॉड बैंड सेवा उपलब्ध कराई जा रही है.

भारतनेट की लोकप्रियता जन-जन तक फैले इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर ने 6000 ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉट स्पॉट्स लगाया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक इसे हर महीने 10 लाख से ज्यादा यूजर्स इस्तेमाल कर रहे हैं और इसमें 38000 जीबी डेटा कंज्यूम किया जा रहा है. इतना ही नहीं 24 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में वाई-फाई स्पॉट्स लग कर तैयार हो चुके है, जिसे जल्द ही लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जा सकेगा.

सरकार की इस मुहिम में बीएसएनएल भी अपना किरदार जिम्मेदारी से निभा रही है. 1800 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में 60 हजार से ज्यादा यूजर्स वाई-फाई का इस्तेमाल कर रहे हैं. बीएसएनएल द्वारा लगाए गए इन वाई-फाई स्पॉट्स के जरिए हर एक महीने 25 हजार जीबी डेटा कंज्यूम हो रहा है जो गांव के स्तर पर भारतनेट की बढ़ती लोकप्रियता का परिचायक है.

प्रोजेक्ट की सफलता के लिए 18 राज्यों में 14 हजार से ज्यादा एफटीटीएच (FTTH)कनेक्शन लगाया जा चुका है और इसके बेहतर इस्तेमाल के लिए बड़े पैमाने पर उपाय किया जा रहा है जिससे डिजिटल प्रोजेक्ट के मकसद को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया जा सके.

प्रोजेक्ट की कामयाबी को इस बात से भी आंका जा सकता है कि 3400 ग्रामपंचायतों को स्वान नेटवर्क ( State wide Area Network ) के तहत जोड़ा जा चुका है. स्वान इंटिग्रेशन के तहत केरल, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पॉन्डिचेरी राज्यों को जोड़ा जा चुका है जहां सरकारी काम-काज के लिए क्लोज यूजरग्रुप नेटवर्क को हाई स्पीड और बेहद सुरक्षित इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराई जाती है. (इसे राज्यों के मुख्यालय, जिले के मुख्यालय और ब्लॉक के मुख्यालय को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.)

इतने बड़े पैमाने पर बिछाए गए डिजिटल नेटवर्क का इस्तेमाल राज्य सरकार और सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए किया जाना है. बीबीएनएल ने इसके लिए विशेष टैरिफ भी तय किया है जिससे ब्रॉड बैंड नेटवर्क का इस्तेमाल ग्रामीण इलाके में आसानी से किया जा सके.

मई 2018 में सरकार ने तय किया कि भारतनेट की सौ फीसदी सफलता के लिए हर एक ग्राम पंचायत में 5 एक्सेस प्वाइंट लगाया जाएगा. इनमें से तीन एक्सेस प्वाइंट का इस्तेमाल मुख्य सरकारी संस्थानों के लिए किया जाएगा, जिनमें साढ़े चार लाख सरकारी स्कूल,1.8 लाख अस्पताल,1.3 लाख पोस्ट ऑफिस और 10 हजार पुलिस स्टेशन को कवर किया जा सकेगा. वहीं प्रत्येक ग्राम पंचायत में 2 एक्सेस प्वाइंट के जरिए आम लोगों को बड़े पैमाने पर जोड़े जाने की बात कही गई है.

इस कड़ी में बड़े पैमाने पर टेंडर भी जारी किया जा चुके हैं जिसके तहत काफी संख्या में लोग वाई-फाई लगाने के लिए टेंडर भर चुके हैं. सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि मार्च 2019 तक फेज वन के तहत चुने गए सभी ग्राम पंचायतों में वाई-फाई का नेटवर्क लगाया जा सकेगा.

यूनियन कैबिनेट के द्वारा जो ओरिजनल स्कीम पास की गई थी उसके तहत ग्राम पंचायतों में 6 महीने तक की इंटरनेट कनेक्टिविटी का खर्चा बीबीएनएल के द्वारा वहन किया जा सकेगा वहीं अगले 6 महीने का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी, लेकिन भारत सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद कोई राज्य सरकार इसके खर्चे को वहन करने को लेकर हामी नहीं भरी है इसलिए कई राज्यों में कनेक्टिविटी काटना पड़ गया है.

प्रतीकात्मक

प्रतीकात्मक

भारत सरकार इस कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार से समझौता करने की तैयारी कर रही है जिसके भारतनेट इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल सरकारी संस्थान और ग्राम पंचायत स्तर पर बखूबी किया जा सके. वैसे दूसरे चरण में 10 राज्यों ने इच्छा जताई है कि वो 'भारतनेट' प्रोजेक्ट का इस्तेमाल सरकारी संस्थानों से लेकर पंचायत स्तर पर करेंगे और इसकी फंडिंग यूनिवर्सल सर्विस ऑबलिगेशन फंड ( USOF ) द्वारा किया जाएगी.

दरअसल दुनिया के सबसे बड़े ग्रामीण स्तर पर ब्रॉड बैंड से कनेक्ट करने की योजना की इस प्रोजेक्ट का पहले चरण का टार्गेट 31 दिसंबर 2017 को ही पूरा किया जा चुका है. इसके तहत 1 लाख ग्राम पंचायत को ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी से जोड़ा जा चुका है. दूसरे चरण में डेढ़ लाख ग्राम पंचायत को कवर किया जाना है जिसे पूरा कर सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव में पूरी तरह भुनाना चाहती है.

सरकार का मानना है कि भारतनेट की सफलता से गर्वनेंस के कई आयाम में पारदर्शिता आएगी और ई गवर्नेंस, ई हेल्थ, ई एजुकेशन की मदद से लोगों के जीवन में काफी सुधार हो सकेगा. इतना ही बीपीओ की सर्विस बहाल होने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे साथ ही गांव से लेकर पंचायत की कार्य प्रणाली में काफी अंतर दिखेगा जिससे वोकेशनल ट्रेनिंग से लेकर कृषि की तकनीक में सुधार हो सकेगा.

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