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#MeTooVsAkbar: एक और महिला पत्रकार ने एमजे अकबर पर लगाया आरोप, अब तक 16...

सीनियर महिला पत्रकार तुषिता पटेल ने अपने कड़वे अनुभव शेयर किए हैं..

Updated On: Oct 16, 2018 04:09 PM IST

FP Staff

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#MeTooVsAkbar: एक और महिला पत्रकार ने एमजे अकबर पर लगाया आरोप, अब तक 16...

एमजे अकबर ने भले ही पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ क्रिमिनल डिफमेशन केस कर दिया हो लेकिन महिला पत्रकार अभी हार मानने वाली नहीं हैं. इस मामले में अब एक और महिला पत्रकार ने आवाज उठाई है. ये हैं तुषिता पटेल. पटेल ने स्क्रॉल में छपे अपने कड़वे अनुभवों को साझा किया है. उन्होंने बताया  कि 1992 में वह 'टेलीग्राफ' में ट्रेनी थी. तब अकबर राजनीति के लिए पत्रकारिता छोड़ दी थी और कभी-कभी कोलकाता आते थे.'

उस वक्त मेरे एक सीनियर ने पूछा कि क्या तुम एमजे अकबर से मिलना चाहोगी? कौन नहीं मिलना चाहेगा. मैं तैयार हो गई. अपने सीनियर के साथ मैं भी गई और वो शाम बहुत अच्छी थी. कहीं से मेरे घर का फोन नंबर एमजे अकबर को मिल गया. उन्होंने मुझे काम के बहाने अगले दिन होटल बुलाया. कई बार सोचने के बाद मैं जाने के लिए तैयार हो गई. मैंने घंटी बजाई और कमरे का दरवाजा खुला. सामने अंडरवियर पहने एमजे अकबर खड़े थे. मैं हैरान दरवाजे पर खड़ी थी. मेरे सामने एक वीआईपी खड़ा था, जो मेरे डर से खुश था. क्या 22 साल कि किसी लड़की को वेलकम करने का ये नैतिक तरीका था. क्या इसे कुछ ना करना कहेंगे?

कहानी और भी है...

बात यहीं खत्म नहीं होती. 1993 में हैदराबाद में अकबर डेक्कन क्रॉनिकल में एडिटर थे. मैं वहां सीनियर सब एडिटर थी. अकबर कभी कभी वहां आते थे. एक बार जब वह हैदराबाद आए तो मुझे पेज डिसकशन के लिए होटल बुलाया. मुझे कुछ पेज कंप्लीट करना था.लिहाजा होटल पहुंचते-पहुंचते मुझे देर हो गई.

मैं जब होटल पहुंची तो अकबर चाय पी रहे थे. मेरे पहुंचते ही वह देर से आने और मेरे काम में कमियां निकालते हुए मुझपर चिल्लाने लगे. मैं बस कुछ बोलने की कोशिश भर कर पा रही थी. अचानक वह उठे और मुझे कसकर पकड़कर चूमने लगे. उनकी चाय की महक और कड़े मूंछ आज भी मेरी यादों को चुभते हैं. मैं उठी और तबतक दौड़ती रही जब तक सड़क पर नहीं पहुंच गई. मैंने दौड़कर एक ऑटोरिक्शा लिया. ऑटोरिक्शा में बैठने के बाद मैं रोने लगी.

अगले दिन मैं ऑफिस पहुंची. मैंने जैसे-तैसे नजर बचाकर अपना पेज पूरा किया. अकबर की टीम में हमेशा स्टाफ की कमी रहती थी. पेपर का काम पूरा करने के लिए कई बार वीक ऑफ की बलि देनी पड़ती थी. हम सब स्टाफ के लिए यह सामान्य था क्योंकि हमें अपने काम से प्यार था. मैं एक कोने में अपना काम कर रही थी.

जब मैं ऑफिस में नजर नहीं आई तो अकबर ने मुझे खोजने के लिए कुछ लोगों को भेजा. एक स्टाफ ने आकर मुझे बताया कि अकबर साब आपको खोज रहे हैं. मैंने कोशिश की थी कि जब अकबर की फ्लाइट का टाइम हो जाएगा मैं बस फटाफट उनसे मिल लूंगी. मिलने के लिए मैंने रिसेप्शन की जगह चुनी, जहां कई लोग थे. अकबर ने मुझसे पूछा कि कहां गायब हो गई थी. तुम्हारे पेज को लेकर बात करनी थी. उसके बाद वह मुझे खाली कॉन्फ्रेंस हॉल में लेकर गए और मुझे पकड़कर दोबारा किस किया.

हारी हुई, शर्मिंदा, आहत और आंसूओं के साथ मैं कॉन्फ्रेंस रूम में ही तब तक रही जब तक मेरा रोना बंद नहीं हो गया. मैंने अकबर के बिल्डिंग से जाने का इंतजार किया. उनके जाते ही मैं बाथरूम में गई. चेहरा धोया और अपना बाकी बचा पेज पूरा करने लगी.

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