जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के तीन कश्मीरी छात्रों के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों को वापस लेने की मांग की. उन तीनों छात्रों को कथित तौर पर हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर मनन बशीर वाणी के लिए प्रार्थना सभा आयोजित करने की कोशिश करने के बाद राजद्रोह का केस लगाया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस मामले में उन्होंने केंद्र से हस्तक्षेप करने को भी कहा.
उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मनन के मारे जाने के एक दिन बाद, तीनों छात्रों ने कथित रूप से 'भारत विरोधी' नारे लगाने और वानी के लिए 'नमाज-ए-जानजा' (प्रार्थना सभा) आयोजित करने की कोशिश करने के लिए बुक किया गया था. मुफ्ती ने ट्वीटर पर लिखा, 'युवाओं को परेशान करना खतरनाक होगा. केंद्र को छात्रों के खिलाफ मामलों को वापस लेने में हस्तक्षेप करना चाहिए और एएमयू अधिकारियों को अपने निलंबन को निरस्त करना होगा.'
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के बाहर की राज्य सरकारों को ऐसी स्थिति में 'संवेदनशील' होना चाहिए और 'आगे अलगाव को रोकना चाहिए.' पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, 'उन्हें (छात्रों) को कश्मीर में निरंतर हिंसा का शिकार हुए अपने पूर्व साथी (वानी) को याद करने के लिए सजा देना गलती होगी.'
27 साल का वानी एएमयू में भूविज्ञान में पीएचडी कर रहा था. इस साल जनवरी में विश्वविद्यालय छोड़कर वो आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया था.
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