मेघालय हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने बीते बुधवार भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने वाली अपनी टिप्पणी पर सफाई पेश की है. सेन ने कहा है कि उनका आदेश कहीं से भी राजनैतिक रूप से प्रभावित नहीं था. सेन ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि भारत को बंटवारे के वक्त ही खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन वो धर्मनिरपेक्ष बना रहा.
एनडीटीवी की खबर अनुसार जस्टिस सेन ने कहा, 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक राष्ट्र के आधार पर भारत से अलग किया था और धर्म के आधार पर बंटे भारत को भी खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए लेकिन यह अभी भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है.'
मेरा आदेश किसी भी पार्टी से प्रभावित नहीं
सेन के इस बयान के बाद प्रमुख वकील, रिटायर्ड जज सहित राजनैतिक पार्टियों ने उनकी इस टिप्पणी की निंदा की है. साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. वहीं कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्कसिस्ट ने कहा कि जस्टिस सेन आरएसएस की हिंदू राष्ट्र विचारधारा से प्रभावित लगते हैं. आरएसएस या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का वैचारिक सलाहकार है.
हर तरफ से हो रही निंदाओं के बाद जस्टिस सेन ने मेघालय हाईकोर्ट के वेबसाइट पर लिखा, 'मैं किसी भी पार्टी से ताल्लुक नहीं रखता और ना ही किसी पार्टी में जाने की मेरी कोई कामना है. मेरा आदेश भी कहीं से किसी पार्टी से प्रभावित नहीं था. धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल आधार है. इसे धर्म, जाति, पंथ, समुदाय या भाषा के आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए. मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि मेरे फैसले में कहीं भी मैंने धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है और मेरा आदेश भी इतिहास के संदर्भ में है और जिसे बदला नहीं जा सकता.'
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